चंडीगढ़: इस समय प्रदेश में डीएपी खाद की किल्लत (DAP crisis haryana) बनी हुई है, लेकिन प्रदेश के सभी जिलों के किसानों को खाद नहीं मिल रही है. कई जिलों में हालात ये हैं कि किसानों को खाद नहीं मिल रही है. जिससे कृषि विभाग के अधिकारी भी परेशान है. इसी समस्या का समाधान करने के लिए इफ्को ने अपना नया उत्पाद तैयार किया है. जिसका नाम रखा गया है नैनो डीएपी (Nano DAP). जो सामान्य डीएपी खाद से सस्ता भी होगा और इसकी गुणवत्ता भी सामान्य डीएपी खाद से कई गुना ज्यादा होगी.
इस बारे में जानकारी देते हुए इसको चंडीगढ़ के डीजीएम ओंकार सिंह ने बताया कि नई फसलों की बुवाई का समय शुरू हो चुका है. नई फसलों की बुआई करते समय फसलों को डीएपी खाद की सबसे पहले जरूरत पड़ती है, क्योंकि डीएपी खाद से पौधे जल्दी जड़ पकड़ते हैं. अभी तक किसान बोरी में आने वाले डीएपी का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इससे नुकसान ये होता है कि 15 से 16 फीसदी ही फसल में जा पाता है. बाकी का डीएपी जमीन में बर्बाद हो जाता है. जबकि नया नैनो डीएपी तरल रूप में आता है और यह 90 प्रतिशत तक फसल में समा जाता है. जिससे फसल को ज्यादा फायदा होता है.
पैसों की भी होगी बचत: डीजीएम ओंकार सिंह का दावा है कि नए डीएपी से किसानों के साथ-साथ सरकार का भी काफी पैसा बचेगा. किसान को डीएपी की एक बोरी 1200 रुपए में मिलती है. उसके ऊपर सरकार 1200 रुपए का अनुदान भी देती है. इसका मतलब हुआ एक बोरी की कीमत करीब 2400 रुपये होती है, हालांकि नैनो डीएपी का रेट अभी तय नहीं किया गया है, लेकिन उम्मीद है कि यह प्रति बोतल 400 रुपये तक किसानों को उपलब्ध हो जाएगा. जिससे सरकार और किसानों दोनों का काफी पैसा बचेगा. अगर किसान अपने खेत में एक बोरी डीएपी का इस्तेमाल करता है तो उसे उसकी जगह सिर्फ एक बोतल का इस्तेमाल ही करना होगा.
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कब होगा उपलब्ध?: इस सवाल के जवाब में डीजीएम ओंकार सिंह ने कहा कि नैनो डीएपी को आने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा. तब तक किसानों को सामान्य डीएपी का इस्तेमाल ही करना पड़ेगा. इसकी सबसे ज्यादा जरूरत बुवाई के वक्त पड़ती है और अब बुवाई का सीजन शुरू हो चुका है. ओंकार सिंह ने कहा कि दक्षिण हरियाणा में डीएपी की सप्लाई शुरू कर दी गई है. क्योंकि वहां पर सरसों की बुवाई शुरू हो चुकी है उत्तर हरियाणा में गेहूं की बुवाई शुरू हो रही है. अगले 20 दिनों में उत्तर हरियाणा के लिए भी डीएपी की सप्लाई शुरू हो जाएगी. फिलहाल रेवाड़ी और भिवानी के लिए डीएपी की सप्लाई भेजी जा चुकी है.

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डीजीएम ओंकार सिंह का कहा है कि डीएपी एक महंगा उर्वरक है. मात्रा की कमी होने पर इसकी कालाबाजारी भी हो सकती है, जो किसानों के लिए सही नहीं है. इसलिए इफ्को और सरकार की यह कोशिश रहती है कि डीएपी की मात्रा में कमी ना आए. कालाबाजारी को रोकने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है.
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