चंडीगढ़: दिल्ली में 2012 में हुए जघन्य निर्भया गैंगरेप कांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. इसे देखते हुए केंद्र की तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए समर्पित एक विशेष फंड की घोषणा की जिसका नाम 'निर्भया फंड' रखा गया. इस फंड को संसद की संस्तुति मिलने के पूरे 7 साल चुके हैं, ऐसे में हमारा यह जानना जरूरी है कि इस फंड के जरिए सरकार पीड़ितों को कितना लाभ दे पाई है.
महज 32 प्रतिशत इस्तेमाल हो पाया फंड
साल 2013 में केंद्र सरकार की तरफ से निर्भया फंड राज्य सरकारों को भेजना भी शुरू कर दिया गया था, लेकिन इसका कभी भी पूरा इस्तेमाल नहीं किया गया. हरियाणा में निर्भया फंड के तहत अभी तक 40 करोड़ से ज्यादा रुपये केंद्र की तरफ से दिया गया है. हालांकि हरियाणा सरकार इसमें करीब 17 करोड़ 20 लाख रुपये ही खर्च कर पाई है.
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कहां हुआ कितना खर्च?
निर्भया फंड के इस्तेमाल के अंतर्गत महिला सुरक्षा के मद्देनजर मंत्रालय ने 40 करोड़ का बजट मंजूर किया है, जिसमें से अभी तक हरियाणा में 7 करोड़ के करीब का खर्च वन स्टॉप सेंटर पर किया गया है, 9 करोड़ 20 लाख की राशि डायल 100 योजना के एक भाग के रूप में एमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट स्कीम को लागू करने हेतु निर्धारित की गई थी. वहीं महिला हेल्पलाइन 181 पर 55 लाख और महिला पुलिस वालंटियर्स पर 45 लाख से ऊपर खर्च किए गए. इसके इलावा महिला सुरक्षा को बढ़ावा देने और महिलाओ की सुरक्षा को लेकर विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों और महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सुरक्षा परियोजनाओं को लागू करने के लिए भी खर्च किया जा रहा है.
महिला पुलिस कर्मियों की भर्ती
हरियाणा की पुलिसबल में पहले महिलाओं की संख्या केवल तीन प्रतिशत थी, जबकि पिछले पांच वर्ष में इनकी संख्या को बढ़ाकर 6 प्रतिशत किया गया और उसके बाद यह संख्या 10 प्रतिशत तक पहुंच गई. इसके अलावा महिला सुरक्षा के लिए उठाये कदमों में प्रदेश में 31 नये महिला थाने खोले गए हैं, जबकि पहले इनकी संख्या केवल दो थी. इसी तरह, राज्य में महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए दुर्गा शक्ति वाहिनी और दुर्गा शक्ति रेपिड एक्शन फोर्स बनाई गई है, इसके अलावा, एक और सुधार कार्यक्रम के अन्तर्गत दुर्गा शक्ति ऐप भी शुरू किया जा चुका है.
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नहीं थम रहे महिलाओं से अपराध
1 जनवरी, साल 2020 से जून महीने तक दुष्कर्म, महिला उत्पीडन, अपहरण, छेडछाड, से संबंधित कुल 4893 मामलों दर्ज हुए. इनमें दुष्कर्म के 657 केस दर्ज किए गए. पोक्सो एक्ट के तहत 850 मामले सामने आए. महिलाओं के अपहरण 1152 मामले दर्ज किए गए. महिलाओं से छेड़छाड़ की 1128 वारदातें सामने आईं. वहीं महिलाओं के साथ क्रूरता के 1588 मामले दर्ज हुए.
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हरियाणा में बने हैं सात स्टॉप सेंटर्स
साल 2015 में हरियाणा के करनाल, भिवानी, गुरुग्राम, फरीदाबाद, हिसार, रेवाड़ी और नारनौल जिलों में वन स्टॉप केंद्र खोले गए थे. इन केंद्रों की सफलता को देखते हुए साल 2018 में खट्टर सरकार ने 15 नए ऐसे केंद्र बनाने की घोषणा की थी. लेकिन, इन केंद्रों में आने वाले केस महिलाओं के खिलाफ दर्ज होने वाले आपराधिक मामलों का तीस फीसदी भी नहीं हैं.
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वन स्टॉप केंद्र में क्या होता है?
सरकारी दिशा निर्देशों के मुताबिक वन स्टॉप केंद्रों में फ्रिज, कंप्यूटर, प्रिंटर, स्कैनर, टेलिफोन, इंटरनेट, सीसीटीवी कैमरा, दवाइयां और कपड़े उपलब्ध होने चाहिए.
निर्भया फंड क्यों नहीं हो पा रहा सार्थक?
दरअसल निर्भया फंड में पीड़िता को मुआवजे के लिए निर्धारित धनराशि के वितरण और प्रबंधन को लेकर एकीकृत प्रणाली का अभाव है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि, क्योंकि इस फंड से तीन मंत्रालय गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और महिला एवं विकास मंत्रालय जुड़े हैं. इसे लेकर भ्रम की स्थिति है कि किसकी क्या ड्यूटी है. हालांकि केंद्र सरकार इस फंड को लगातार जारी कर रही है, लेकिन राज्य सरकारों को यौन हिंसा संबंधी मुआवजा कब और किस चरण में देना है इसे लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है.
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