चंडीगढ़: साल 2020 ने पूरी दुनिया को कुछ ऐसे अनुभव दिए कि कोई नहीं भुला सकता. भारत में कोरोना संक्रमण की वजह से लगे लॉकडाउन ने हर किसी के जीवन पर जबरदस्त असर डाला और सबसे ज्यादा असर हुआ प्रवासी मजदूरों को. उद्योग धंधे चौपट होने की वजह से भारत देश में दुनिया का सबसे बड़ा पलायन शुरू हुआ. प्रवासी मजदूर अपनी कार्यभूमि को छोड़ घर की तरफ पलायन करने लगे. ऐसे में इन बेरोजगार मजदूरों के लिए संकट मोचन बनी मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी) योजना. इस बात का प्रमाण हरियाणा में भी देखने को मिला.
ईटीवी भारत की टीम ने लॉकडाउन के शरुआती दिनों और अनलॉक के बाद मनरेगा का जायजा लेने ग्राउंड जीरो पर पहुंचा. हमारे सामने जो आंकड़े आए वो वाकई हैरान करने वाले हैं. हरियाणा मुख्यमंत्री कार्यालय से एक रिपोर्ट जारी की गई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2020 में मनरेगा के तहत दिए जाने वाले रोजगार में साल 2019 की तुलना में करीब-करीब 85 फीसदी बढ़ोतरी हुई है.हरियाणा में साल 2019 में मनरेगा स्कीम में 3.64 लाख वर्कर्स को काम दिया गया, जबकि साल 2020 में 5.62 लाख लोगों को काम दिया जा चुका है.
अब इस स्कीम के तहत किए गए खर्च की बात करें तो सरकार ने इस स्कीम के तहत साल 2019 में 388 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि साल 2020 में कोविड के बावजूद 621 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. जिससे ये साबित होता है कि हरियाणा में लॉकडाउन के दौरान दूसरे प्रदेश पलायन कर लौटे मजदूरों ने मनरेगा स्कीम का लाभ उठाया और अपने अपन ही गांव के विकास में सहयोग देकर जीवनयापन के लिए रोजगार हासिल किया.
लॉकडाउन में सिरसा ने तोड़ा रिकॉर्ड
हमारी टीम सिरसा जिले में जायजा लेने पहुंची. यहां ज्यादातर लोग कृषि अधारित मजदूरी करते हैं, लेकिन मनरेगा के तहत कृषि अधारित मजदूरी नहीं करवाई जाती है. इसलिए इस क्षेत्र से मनरेगा के तहत औसतन कम लोग ही मजदूरी करते हैं, फिर भी लॉकडाउन के दौरान लोगों ने मनरेगा का भरपूर फायदा उठाया.जून महीने में सिर्फ सिरसा जिले में 1 लाख 45 हजार 556 लोग काम पर आए, लेकिन अनलॉक होने की वजह से जब लोग अपने काम धंधे पर लौट चुके हैं, इस वजह से दिसंबर महीने में मनरेगा के तहत महज 20 हजार 234 लोगों ने ही रोजगार का लाभ उठाया.
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सिर्फ नूंह में 4 महीने में 60 हजार लोगों ने उठाया लाभ
सिरसा के बाद हमारी टीम नूंह में मनरेगा के तहत दी जाने वाले रोजगार की स्थिति जानने के लिए ग्राउंड जीरो पर पहुंची. नूंह जिले में 60 हजार से ज्यादा लोगों ने इस योजना के तहत लाभ उठाया. नूंह में अगस्त तक जहां 9 लाख के करीब दिहाड़ी मजदूरी की गई थी. वहीं पिछले 4 महीनों में मनरेगा योजना के तहत 29,22,412 बार दिहाड़ी मजदूरी की गई है जो कि प्रदेश में सबसे ज्यादा है.
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पानीपत में भी बढ़ें तीन गुना मनरेगा मजदूर
लॉकडाउन के दौरान पानीपत में भी मनरेगा मजदूरों ने रिकॉर्ड तोड़ काम किया. साल 2020 में जून से अगस्त महीने के बीच पिछले साल के औसतन तीन गुना मनरेगा मजदूरों ने रोजगार का लाभ उठाया.साल 2019 में जहां इस दौरान पंद्रह हजार लोग मनरेगा के तहत रोजगार ले रहे थे वहीं साल 2020 में ये आंकड़ा बढ़कर 40,000 पहुंच चुका था.
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लॉकडाउन के दौरान मजदूरों ने भरपूर लाभ उठाया
इसी तरह हमने प्रदेश के सभी जिलों से साल 2020 के अप्रैल, मई, जून और जुलाई में मनरेगा के तहत करवाए गए काम के बदले दी गई दिहाड़ी को सितंबर, अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर की दिहाड़ी से तुलना की तो हमने पाया कि अप्रैल में महीने में 352.91 लाख रुपये ही सरकार मनरेगा पर खर्च कर रही थी, लेकिन मई में महीने में मनरेगा के तहत किया जाने वाले खर्च में अविश्वसनीय बढ़ोत्तरी हुई और 4036.76 लाख रुपये खर्च किए. ऐसे ही जून और जुलाई में 6558.31 लाख , 6916 लाख रुपये खर्च किए गए,लेकिन जब कारोबार दोबारा पटरी पर आ गए तो लोगों ने मनरेगा के तहत मजदूरी भी कम की और दूसरे कारोबार में हाथ आजमाने लगे.
सितंबर महीने में मनरेगा के तहत 4826.83 लाख रुपये खर्च किए गए वहीं अक्टूबर में 4213.38 लाख रुपये आवंटित किए गए. ऐसे ही नवम्बर और दिसंबर में 4555.16 लाख और 5732.29 लाख रुपये मजदूरों को बतौर दिहाड़ी दी गई.
अभी भी मनरेगा के सहारे हैं लाखों मजदूर
इसका मतलब ये है कि लॉकडाउन के दौरान जब सभी काम धंधे बंद थे तब हरियाणा में मजदूरों ने मनरेगा योजना का भरपूर लाभ उठाया, लेकिन जब जून-जुलाई में दोबारा उद्योग-धंधे और बाकी कारोबार पटरी पर आए तो मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों की संख्या तो घटी, लेकिन भारी संख्या में मजदूरों ने अपने गृह क्षेत्र में काम करना ही पसंद किया, जिसका असर है कि अभी भी मनरेगा के तहत मजदूरी करने वालों मजदूरों की संख्या लॉकडाउन से पहले की तुलना में कई गुना ज्यादा है.