चंडीगढ़: 13 दिसंबर यानी आज ही के दिन लोकतंत्र के मंदिर कहे जाने वाले संसद पर आतंकी हमला (Parliament attack anniversary) हुआ था. आज संसद पर आतंकी हमले के 20 साल (20 years of parliament attack) पूरे हो चुके हैं. आज ही के दिन जैश-ए-महम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के 5 आतंकी संसद भवन परिसर तक पहुंचने में कामयाब रहे थे. हालांकि सुरक्षाबलों ने आंतकवादियों के मंसूबों को नाकाम कर दिया था. इस हमले में कुल नौ लोगों के मारे जाने के साथ ही 18 लोग घायल हो गए थे.
संसद पर आतंकी हमले के 20 साल पूरे होने पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस हमले में शहीद हुए सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि (manohar lal tribute to security personnel) दी है. ट्वीट कर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने लिखा कि 'वर्ष 2001 में संसद भवन पर हुए आतंकी हमले के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले देश के वीर जवानों को मेरा नमन. लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा हेतु दी गई आपकी शहादत को देश हमेशा याद रखेगा'.
एके47 राइफल, ग्रेनेड लांचर, पिस्टल और हथगोले लेकर आतंकवादियों ने संसद परिसर के चारों ओर तैनात सुरक्षा घेरे को तोड़ दिया. जैसे ही वे कार को अंदर ले गए, स्टाफ सदस्यों में से एक, कांस्टेबल कमलेश कुमारी यादव को उनकी हरकत पर शक हुआ. कमलेश पहली सुरक्षा अधिकारी थीं जो आतंकवादियों की कार के पास पहुंचीं और कुछ संदिग्ध महसूस होने पर वह गेट नंबर 1 को सील करने के लिए अपनी पोस्ट पर वापस चली गईं, जहां वह तैनात थीं.
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आतंकवादियों ने अपने कवर को प्रभावी ढंग से उड़ाते हुए कमलेश पर 11 गोलियां चलाईं. आतंकवादियों के बीच एक आत्मघाती हमलावर था, जिसकी योजना को कमलेश ने विफल कर दिया, लेकिन उनकी मौके पर ही मौत हो गई. कमलेश को मारने के बाद आतंकी अंधाधुंध फायरिंग करते हुए आगे बढ़ गए. आतंकी कार्रवाई लगभग 30 मिनट तक चली, जिसमें कुल नौ लोग मारे गए और अन्य 18 घायल हो गए. उसी बीच सुरक्षा बलों ने सभी पांचों आतंकियों को बिल्डिंग के बाहर ही ढेर कर दिया.
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