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चंडीगढ़ में 3 हजार बच्चे मिले कुपोषित, प्रशासन ने डाइट प्लान तैयार करने के दिए निर्देश

चंडीगढ़ में स्क्रीनिंग के दौरान 45 हजार बच्चों में से सामान्य श्रेणी के 3 हजार बच्चे (malnourished children in chandigarh) कु​पोषित पाए गए. पोषण ट्रैकर के मुताबिक बच्चों के डाटा पर ध्यान रखा जा रहा है. इनके खाने-पीने पर नजर रखी जा रही है.

malnourished children in Chandigarh
चंडीगढ़ में 3 हजार बच्चे मिले कुपोषित.
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Published : Jan 10, 2023, 7:53 PM IST

चंडीगढ़: बाल चिकित्सा सार्वभौमिक पोषण जांच और बच्चों की सार्वभौमिक जांच का गहन अभियान के तहत चंडीगढ़ स्वास्थ्य विभाग (Chandigarh Health Department) ने पिछले साल सितंबर महीने में एक सर्व कराया था. जिसके तहत शहर के एक दिन से छह साल तक के 45 हजार बच्चों में से 3 हजार बच्चों में कुपोषण के लक्षण देखे गए हैं. इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने इन बच्चों की सूची तैयार की है. इनके लिए डाइट प्लान तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं. कुपोषण का कारण बदलती लाइफस्टाइल भी है. समय पर खाना न खाना, देर तक जागना, बाहर का खाना आदि कारणों से कारण शहरों में भी कुपोषण के मामले बढ़ने लगे हैं.

चंडीगढ़ प्रशासन के समाज कल्याण विभाग (Social Welfare Department Chandigarh) ने स्वास्थ्य विभाग की मदद से स्क्रीनिंग के दौरान 45 हजार बच्चों में से सामान्य श्रेणी में लगभग 3 हजार बच्चे ऐसे पाए गए, जिनमें सेम यानी सीवियर एक्यूट मॉनुट्रिशन (एसएएम) और मेम यानी मॉडरेट एक्यूट मॉनुट्रिशन (एमएएम) के तहत जिन बच्चों का चंडीगढ़ में 450 आंगनबाड़ी केंद्रों की ओर से सर्वे किया गया था. इसमें करीब 3 हजार बच्चे कुपोषित मिले हैं. ऐसे में बच्चों के रोजाना खाने वाली डाइट, वजन और रहन-सहन के बारे में जानकारी ली गई.

malnourished children in Chandigarh
चंडीगढ़ में स्क्रीनिंग के दौरान 3 हजार बच्चे कु​पोषित पाए गए.

चंडीगढ़ प्रशासन फिर कराएगा सर्वे: जिसमें पाया गया कि कुछ बच्चे न तो अच्छा खाना खाते हैं और न ही पीने वाली चीजों में दिलचस्पी रखते हैं. ऐसे में चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा इस डाटा में सुधार लाने के लिए एक बार और सर्व करवाया जा रहा है. जहां कुपोषण के अंदर आने वाले और आ चुके बच्चों को बाहर निकालने के लिए इन बच्चों का डाइट प्लान बनाया गया है. इनके खाने-पीने पर नजर रखी जा रही है.

पढ़ें: करनाल अस्पताल में 7 वर्षों से डिब्बे में बंद ऑडियोमेट्रिक मशीन, ऑडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति का इंतजार

बच्चों के लिए बनाया गया डाइट प्लान: चंडीगढ़ के डीएसई पालिका अरोड़ा ने बताया कि समाज कल्याण विभाग ने स्वास्थ्य विभाग और‌ पीडियाडिक की और से आंगनबाड़ी केंद्रों के सभी बच्चों के स्वास्थ्य की जांच विभिन्न पैरामीटर पर की गई. इसमें शुगर, थायराइड व अन्य हार्मोनल बीमारियों के साथ उम्र के अनुसार उनकी लंबाई और वजन की भी जांच की जा रही है. इन 3 हजार बच्चों की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के विंग पोषण पुनर्वास केंद्र में भेजी गई है. जहां से इनके लिए डाइट प्लान बनाया गया. डॉक्टर अब इन बच्चों की नियमित जांच करते हैं और उनका डेली रूटीन की निगरानी की जाती है. अगर किसी बच्चे को फिजियोथेरेपी या एक्सरसाइज की जरूरत होती है, तो वह भी कराया जाता है. जिससे इन सभी बच्चों को कुपोषण से बाहर निकाला जा सके.

malnourished children in Chandigarh
छह साल तक के 45 हजार बच्चों में से 3 हजार बच्चों में कुपोषण के लक्षण देखे गए हैं.

पढ़ें: HIV patients in Panipat: पानीपत में बढ़े HIV के मरीज, स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें बढ़ीं

बच्चों की नियमित दिनचर्या पर रखें ध्यान: पोषण ट्रैकर के मुताबिक बच्चों के डाटा पर ध्यान रखा जा रहा है. ऐसे में पोषण ट्रैकर को देख रहे डॉक्टरों का कहना है कि कुपोषण का मुख्य कारण पोषक आहार की कमी है. इसी के चलते बच्चे कम उम्र में डायबिटीज, थायराइड आदि समस्याओं के शिकार हो जाते हैं. कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए नियमित दिनचर्या पर ध्यान देने की जरूरत है.

चंडीगढ़: बाल चिकित्सा सार्वभौमिक पोषण जांच और बच्चों की सार्वभौमिक जांच का गहन अभियान के तहत चंडीगढ़ स्वास्थ्य विभाग (Chandigarh Health Department) ने पिछले साल सितंबर महीने में एक सर्व कराया था. जिसके तहत शहर के एक दिन से छह साल तक के 45 हजार बच्चों में से 3 हजार बच्चों में कुपोषण के लक्षण देखे गए हैं. इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने इन बच्चों की सूची तैयार की है. इनके लिए डाइट प्लान तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं. कुपोषण का कारण बदलती लाइफस्टाइल भी है. समय पर खाना न खाना, देर तक जागना, बाहर का खाना आदि कारणों से कारण शहरों में भी कुपोषण के मामले बढ़ने लगे हैं.

चंडीगढ़ प्रशासन के समाज कल्याण विभाग (Social Welfare Department Chandigarh) ने स्वास्थ्य विभाग की मदद से स्क्रीनिंग के दौरान 45 हजार बच्चों में से सामान्य श्रेणी में लगभग 3 हजार बच्चे ऐसे पाए गए, जिनमें सेम यानी सीवियर एक्यूट मॉनुट्रिशन (एसएएम) और मेम यानी मॉडरेट एक्यूट मॉनुट्रिशन (एमएएम) के तहत जिन बच्चों का चंडीगढ़ में 450 आंगनबाड़ी केंद्रों की ओर से सर्वे किया गया था. इसमें करीब 3 हजार बच्चे कुपोषित मिले हैं. ऐसे में बच्चों के रोजाना खाने वाली डाइट, वजन और रहन-सहन के बारे में जानकारी ली गई.

malnourished children in Chandigarh
चंडीगढ़ में स्क्रीनिंग के दौरान 3 हजार बच्चे कु​पोषित पाए गए.

चंडीगढ़ प्रशासन फिर कराएगा सर्वे: जिसमें पाया गया कि कुछ बच्चे न तो अच्छा खाना खाते हैं और न ही पीने वाली चीजों में दिलचस्पी रखते हैं. ऐसे में चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा इस डाटा में सुधार लाने के लिए एक बार और सर्व करवाया जा रहा है. जहां कुपोषण के अंदर आने वाले और आ चुके बच्चों को बाहर निकालने के लिए इन बच्चों का डाइट प्लान बनाया गया है. इनके खाने-पीने पर नजर रखी जा रही है.

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बच्चों के लिए बनाया गया डाइट प्लान: चंडीगढ़ के डीएसई पालिका अरोड़ा ने बताया कि समाज कल्याण विभाग ने स्वास्थ्य विभाग और‌ पीडियाडिक की और से आंगनबाड़ी केंद्रों के सभी बच्चों के स्वास्थ्य की जांच विभिन्न पैरामीटर पर की गई. इसमें शुगर, थायराइड व अन्य हार्मोनल बीमारियों के साथ उम्र के अनुसार उनकी लंबाई और वजन की भी जांच की जा रही है. इन 3 हजार बच्चों की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के विंग पोषण पुनर्वास केंद्र में भेजी गई है. जहां से इनके लिए डाइट प्लान बनाया गया. डॉक्टर अब इन बच्चों की नियमित जांच करते हैं और उनका डेली रूटीन की निगरानी की जाती है. अगर किसी बच्चे को फिजियोथेरेपी या एक्सरसाइज की जरूरत होती है, तो वह भी कराया जाता है. जिससे इन सभी बच्चों को कुपोषण से बाहर निकाला जा सके.

malnourished children in Chandigarh
छह साल तक के 45 हजार बच्चों में से 3 हजार बच्चों में कुपोषण के लक्षण देखे गए हैं.

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बच्चों की नियमित दिनचर्या पर रखें ध्यान: पोषण ट्रैकर के मुताबिक बच्चों के डाटा पर ध्यान रखा जा रहा है. ऐसे में पोषण ट्रैकर को देख रहे डॉक्टरों का कहना है कि कुपोषण का मुख्य कारण पोषक आहार की कमी है. इसी के चलते बच्चे कम उम्र में डायबिटीज, थायराइड आदि समस्याओं के शिकार हो जाते हैं. कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए नियमित दिनचर्या पर ध्यान देने की जरूरत है.

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