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आसान भाषा में समझिए बजट में इस्तेमाल किए जाने वाले मुश्किल शब्द

इस रिपोर्ट में हम उन तमाम शब्दों को आसान भाषा में समझाने की कोशिश कर रहे हैं जो बजट भाषण में आम लोगों को समझ से परे और मुश्किल लगते हैं. रिपोर्ट देखें.

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आसान भाषा में समझिए बजट में इस्तेमाल किए जाने वाले ये मुश्किल शब्द
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Published : Feb 27, 2020, 7:16 PM IST

Updated : Feb 27, 2020, 7:38 PM IST

चंडीगढ़: सूबे का बजट पेश होने वाला है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर बतौर राज्य वित्त विभाग के मुखिया होने के चलते प्रदेश का वित्तिय बजट 2020-21 पेश करेंगे, लेकिन हर बार बजट में कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनका हम अर्थ नहीं समझ पाते हैं. चलिए कुछ ऐसे ही शब्दों के बारे में जानते है और उनके मतलब को समझते हैं.

आसान भाषा में समझिए बजट में इस्तेमाल किए जाने वाले मुश्किल शब्द
  • बजट लेखा-जोखा: वित्त वर्ष के दौरान सरकार द्वारा विभिन्न करों से प्राप्त राजस्व और खर्च के आंकलन को बजट लेखा-जोखा कहा जाता है.
  • संशोधित लेखा-जोखा: बजट में किए गए आकलनों और मौजूदा आर्थिक परिस्थिति के मद्देनजर इनके वास्तविक आंकड़ों के बीच का अंतर संशोधित लेखा-जोखा कहलाता है.
  • राजस्व प्राप्ति: सरकार द्वारा वसूले गए सभी प्रकार के कर और शुल्क, निवेशों पर प्राप्त ब्याज और लाभांश तथा विभिन्न सेवाओं के बदले प्राप्त रकम को राजस्व प्राप्ति और अंग्रेजी में Revenue कहा जाता है. हिन्दी में संप्राप्ति और राजस्व दो अलग- अलग अर्थ वाले शब्द हैं, लेकिन इन दोनों शब्दों के लिये अंग्रेजी में एक ही शब्द Revenue का उपयोग किया जाता है जो थोड़ा भ्रामक है.
  • बॉन्ड: यह कर्ज का एक प्रमाणपत्र होता है जिसे कोई सरकार और कार्पोरेशन जारी करता है ताकि पैसा जुटाया जा सके.
  • कॉरपोरेट टैक्स: इस तरह का टैक्स कार्पोरेट संस्थानों का फर्मों पर लगाया जाता है, जिसके जरिए आमदनी होती है.
  • चालू खाता घाटा: इस तरह का घाटा आयात और निर्यात के बीच के अंतर को दर्शाता है.
  • स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स: माल का लेन-देन अगर एक ही स्टेट के दो पक्षों के बीच हो रहा हो तो यह टैक्स SGST राज्य सरकार को देना पड़ता है.
  • डॉयरेक्ट टैक्स: इस तरह का कर व्यक्ति और संस्थानों की आय और उसके स्त्रोत पर लगता है. सामान्य तौर पर यह संपत्ति और आमदनी पर इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स के जरिए लगता है.
  • विनिवेश: आसान शब्दों में इसका मतलब यह होता है कि सरकार किसी संस्थान या फर्म में अपनी हिस्सेदारी का कुछ फीसदी हिस्सा किसी प्राइवेट फर्म को बेच देता है. ऐसा आमतौर पर इसलिए किया जाता है ताकि कंपनी के प्रदर्शन को सुधारा जा सके और सरकार के राजस्व में भी कुछ इजाफा हो.
  • उत्पाद शुल्क: एक देश की सीमाओं के भीतर बनने वाले सभी उत्पादों पर लगता है.
  • राजकोषीय घाटा: राजकोषीय घाटा सरकार के कुल खर्च और राजस्व प्राप्तियों एवं गैर ऋण पूंजी प्राप्तियों का योग के बीच का अंतर है.

ये भी पढ़ेंः बजट मास्टर से आसान भाषा में समझिए कि राज्य का बजट कैसे तैयार होता है

तो ये थे वित्तिय बजट में इस्तेमाल किए जाने वाले वो कठिन शब्द हर साल पेश होने वाले इस बजट में वित्त मंत्री कई तरह के शब्दों का प्रयोग करते हैं जो आम लोगों की समझ से परे होते हैं. लेकिन इस बार हम आपको बजट में आने वाले इन कठिन शब्दों के बारे में बताएंगे जिसके बाद आपके लिए बजट को समझना और आसान हो जाएगा.

चंडीगढ़: सूबे का बजट पेश होने वाला है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर बतौर राज्य वित्त विभाग के मुखिया होने के चलते प्रदेश का वित्तिय बजट 2020-21 पेश करेंगे, लेकिन हर बार बजट में कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनका हम अर्थ नहीं समझ पाते हैं. चलिए कुछ ऐसे ही शब्दों के बारे में जानते है और उनके मतलब को समझते हैं.

आसान भाषा में समझिए बजट में इस्तेमाल किए जाने वाले मुश्किल शब्द
  • बजट लेखा-जोखा: वित्त वर्ष के दौरान सरकार द्वारा विभिन्न करों से प्राप्त राजस्व और खर्च के आंकलन को बजट लेखा-जोखा कहा जाता है.
  • संशोधित लेखा-जोखा: बजट में किए गए आकलनों और मौजूदा आर्थिक परिस्थिति के मद्देनजर इनके वास्तविक आंकड़ों के बीच का अंतर संशोधित लेखा-जोखा कहलाता है.
  • राजस्व प्राप्ति: सरकार द्वारा वसूले गए सभी प्रकार के कर और शुल्क, निवेशों पर प्राप्त ब्याज और लाभांश तथा विभिन्न सेवाओं के बदले प्राप्त रकम को राजस्व प्राप्ति और अंग्रेजी में Revenue कहा जाता है. हिन्दी में संप्राप्ति और राजस्व दो अलग- अलग अर्थ वाले शब्द हैं, लेकिन इन दोनों शब्दों के लिये अंग्रेजी में एक ही शब्द Revenue का उपयोग किया जाता है जो थोड़ा भ्रामक है.
  • बॉन्ड: यह कर्ज का एक प्रमाणपत्र होता है जिसे कोई सरकार और कार्पोरेशन जारी करता है ताकि पैसा जुटाया जा सके.
  • कॉरपोरेट टैक्स: इस तरह का टैक्स कार्पोरेट संस्थानों का फर्मों पर लगाया जाता है, जिसके जरिए आमदनी होती है.
  • चालू खाता घाटा: इस तरह का घाटा आयात और निर्यात के बीच के अंतर को दर्शाता है.
  • स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स: माल का लेन-देन अगर एक ही स्टेट के दो पक्षों के बीच हो रहा हो तो यह टैक्स SGST राज्य सरकार को देना पड़ता है.
  • डॉयरेक्ट टैक्स: इस तरह का कर व्यक्ति और संस्थानों की आय और उसके स्त्रोत पर लगता है. सामान्य तौर पर यह संपत्ति और आमदनी पर इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स के जरिए लगता है.
  • विनिवेश: आसान शब्दों में इसका मतलब यह होता है कि सरकार किसी संस्थान या फर्म में अपनी हिस्सेदारी का कुछ फीसदी हिस्सा किसी प्राइवेट फर्म को बेच देता है. ऐसा आमतौर पर इसलिए किया जाता है ताकि कंपनी के प्रदर्शन को सुधारा जा सके और सरकार के राजस्व में भी कुछ इजाफा हो.
  • उत्पाद शुल्क: एक देश की सीमाओं के भीतर बनने वाले सभी उत्पादों पर लगता है.
  • राजकोषीय घाटा: राजकोषीय घाटा सरकार के कुल खर्च और राजस्व प्राप्तियों एवं गैर ऋण पूंजी प्राप्तियों का योग के बीच का अंतर है.

ये भी पढ़ेंः बजट मास्टर से आसान भाषा में समझिए कि राज्य का बजट कैसे तैयार होता है

तो ये थे वित्तिय बजट में इस्तेमाल किए जाने वाले वो कठिन शब्द हर साल पेश होने वाले इस बजट में वित्त मंत्री कई तरह के शब्दों का प्रयोग करते हैं जो आम लोगों की समझ से परे होते हैं. लेकिन इस बार हम आपको बजट में आने वाले इन कठिन शब्दों के बारे में बताएंगे जिसके बाद आपके लिए बजट को समझना और आसान हो जाएगा.

Last Updated : Feb 27, 2020, 7:38 PM IST
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