चंडीगढ़: आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पूरे देश में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. महिलाएं हमारे जीवन में बेहद अहम भूमिका निभाती हैं. घर, परिवार, समाज और दुनिया महिला के बिना संभव ही नहीं है.
एक तरफ जहां देश में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहा है, वहीं दूसरी तरफ आज भी महिला सुरक्षा का मुद्दा सबसे बड़ा है. जिसको लेकर कोई बात नहीं करना चाहता. महिलाओं का सम्मान दर-दर ठोकरे खा रहा है. महिलाओं की सुरक्षा पर किए गए तमाम दावे सिर्फ एक कागजी दस्तावेज़ बनकर रह गए हैं.
हमारा समाज एक पुरुष प्रधान समाज है. और इस पुरुष प्रधान समाज ने महिलाओं को वो सम्मान नहीं दिया है जिसकी वो हकदाकर हैं. अगर हम बात करें तो महिलाओं की सुरक्षा हमेशा से सवालों से घिरी रही है. महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कितनी ही सरकारों ने ना जाने कितने वादे किए हों लेकिन आखिर में सिर्फ निराशा ही मिली है. जिसके बाद महिलाओं की सुरक्षा पर अनगिनत सवाल खड़े हो जाते हैं.
महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध जैसे- गैंगरेप, दहेज हत्या, छेड़खानी, घरेलू हिंसा के मामलों ने जैसे ना थमने की जिद पकड़ ली हो. अगर बात करें बीते कुछ सालों की तो चड़ीगढ़ जैसे शहर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के आंकड़े भयावह हैं.
अपराध | 2016 | 2017 | 2018 | ||
⦁ गैंगरेप | 72 | 68 | 80 | ||
⦁ दहेज हत्या | 229 | 260 | 216 | ||
⦁ छेड़खानी | 68 | 50 | 102 | ||
⦁ घरेलू हिंसा | 33 | 238 | 241 |
रेप और हत्या जैसी घटनाओं को सुनकर दुख होता है- बबीता फोगाट
महिलाओं के बारे में बात करते हुए बबीता फोगाट ने कहा कि एक महिला होने के नाते उन्होंने कभी असुरक्षा की भावना को व्यक्तिगत तौर पर महसूस नहीं किया लेकिन वो अक्सर अखबारों में और टीवी में महिलाओं के साथ हो रही दरिंदगी की खबरें देखती हैं. जिससे उन्हें बेहद दुख होता है.
चुनावी मुद्दा है महिला सुरक्षा- गुरबख्श रावत
महिला सुरक्षा के मुद्दे पर बात करते हुए पार्षद और पूर्व डिप्टी मेयर गुरबख्श रावत ने कहा कि महिला सुरक्षा का मुद्दा देश में सिर्फ एक चुनावी मुद्दा है. चुनाव के वक्त सरकारें इस मुद्दे को जमकर भुनाती हैं. लेकिन धरातल पर इसके लिए कोई काम नहीं किया जाता. उन्होंने कहा कि नेता मुझे एक ऐसा काम बता दें जो उन्होंने महिला सुरक्षा को लेकर किया हो.
'महिला सुरक्षा में चंडीगढ़ बेहतर शहर नहीं'
चंडीगढ़ की कांग्रेस नेता और पार्षद रविंद्र कुमार गुजराल ने कहा कि अगर चंडीगढ़ की बात की जाए तो यहां सांसद भी महिला हैं और मेयर भी महिला हैं. लेकिन इसके बावजूद चंडीगढ़ में महिला सुरक्षा की स्थिति बेहद खराब है. यहां पर हर महीने कोई ना कोई दुष्कर्म का मामला सामने आ ही जाता है. लेकिन इस पर ना तो सांसद ने कभी कोई कार्रवाई करनी जरूरी समझी और ना ही मेयर ने.
क्या है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ?
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को विश्व भर में मनाया जाता है. इस दिन सम्पूर्ण विश्व की महिलाएं देश, जात-पात, भाषा, राजनीतिक, सांस्कृतिक भेदभाव से परे एकजुट होकर इस दिन को मनाती हैं. आज की महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है. महिलाओं के सम्मान को सलाम और उनके आत्मविश्वास को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर महिला दिवस मनाया जा रहा है.
कब शुरू हुआ अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ?
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक मज़दूर आंदोलन है. इसकी शुरुआत साल 1908 में हुई थी. जब 15 हज़ार औरतों ने न्यूयॉर्क शहर में मार्च निकालकर नौकरी में कम घंटों की मांग की थी. साथ ही उनकी मांग थी कि उन्हें बेहतर वेतन दिया जाए और मतदान करने का अधिकार भी दिया जाए. एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ अमेरिका ने इस दिन को पहला महिला दिवस घोषित कर दिया.