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FCI गोदामों में गेहूं खराब होने के मामले पर सरकार हुई गंभीर, नोडल अधिकारी की अध्यक्षता में बनेगी जांच कमेटी - एफसीआई गोदाम में गेहूं खराब

FCI गोदामों में गेहूं खराब होने के मामले (wheat spoiled case in haryana) पर हरियाणा सरकार गंभीर हो गई है. उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि इस मामले की जांच के लिए नोडल अधिकारी की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनेगी.

wheat spoiled case in haryana
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Published : Nov 15, 2022, 8:11 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में एफसीआई के गोदाम में गेहूं खराब होने के मामले (wheat spoiled case in haryana) को लेकर हरियाणा सरकार पर लगातार विपक्ष निशाना साध रहा है. इन गोदामों में करीब 44,800 मीट्रिक टन गेंहू सड़ा है. हालांकि जब खबर मीडिया में आई तो सरकार की तरफ से इस मामले की प्राथमिक स्तर पर जांच की गई. जिसमें एफसीआई को इस मामले में जिम्मेदार ठहराया गया. जबकि खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों को इस मामले में क्लीन चिट दी गई. इस जांच को लेकर उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जोकि विभाग के मंत्री भी हैं खुद संतुष्ट नहीं हैं.

अब इस मामले को लेकर हरियाणा के उपमुख्यमंत्री और खाद्य आपूर्ति विभाग के मंत्री दुष्यंत चौटाला (deputy chief minister dushyant chautala) गंभीर हो गए हैं. उनके मुताबिक पंजाब में किसान आंदोलन की वजह से ट्रेनें रुकी थी. उस समय इस गेहूं को खुले में रखा गया था, और जिसका उठान नहीं हो पाया. उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के मुताबिक गेहूं के सड़ने के मामले में जांच के आदेश दे दिए गए हैं. जिसकी वजह से वो अब इस मामले की जांच करवाने की तैयारी कर रहे हैं. उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के मुताबिक जो गेहूं खराब हुआ है और उसका जो डाटा है वो एक बार का नहीं है.

उन्होंने कहा कि ये सारा डाटा 2018-19 और 20019-20 का है. उन्होंने कहा कि उस वक्त जो स्टाफ गोदाम के बाहर रखा गया था. वह भारी बारिश और क्लस्टर लॉस की प्रिकेयरमेंट के बाद रखा गया था. इसके साथ ही उन्होंने जानकारी देते हुए अभी बताया कि बीते साल हरियाणा में जो गेहूं की यूटिलाइजेशन है वह एक्सेस हुई थी, क्योंकि किसान आंदोलन के दौरान पंजाब में ट्रेनों की आवाजाही बंद थी. इस दौरान एफसीआई ने हमारा स्टॉक तो उठाया, लेकिन उस समय जो स्टॉक रिजेक्ट हुआ और एफसीआई की नीति के मुताबिक फर्स्ट इन फर्स्ट आउट के आधार पर माल उठाया जाता है.

उस नीति के तहत पहली जो माल कवर गोडाउन में रखा गया था, वह माल एफसीआई ने उठा लिया, जबकि उस दौरान ओपन गोडाउन में रखा माल बाद में आया. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि सरकार ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं. उन्होंने कहा कि इसकी जांच डिस्ट्रिक्ट में बैठे सीनियर आईएएस अधिकारी (एडमिनिस्ट्रेटिव सेक्रेटरी) जिनको चंडीगढ़ से नोडल ऑफिसर लगाया गया है. उनकी अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जाएगी. जो उस टाइम पीरियड के दौरान कितना माल उठा क्यों माल नहीं उठाया गया, कितनी बार जो माल रिजेक्ट हुआ, कौन-कौन अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार हैं. उनसे रिकवरी करेंगे.

उन्होंने कहा कि अभी तो यह मामला कैथल, कुरुक्षेत्र और करनाल का है. कुछ समय पहले फतेहाबाद में भी इसी तरह का मामला सामने आया था, जिस पर हम ने कार्यवाही करते हुए उस समय जो अधिकारी वहां पर कार्यरत थे. उनसे रिकवरी की है. वहीं उन्होंने कहा कि अब जो यह मामला सामने आया है. इसमें हमने जांच कमेटी भी बैठा दी है. उन्होंने कहा कि खराब माल की ऑक्शन भी की जा रही है. इससे विभाग को कम से कम 44-45 करोड़ मिल जाएंगे. बचे हुए स्टाक को भी ऑक्शन किया जाएगा. सड़ा हुआ अनाज खाने के लायक नहीं है, तो इन्हें और चीजों में इस्तेमाल किया जा सकता है. जैसे कैटल फीड इत्यादि.

नोडल अधिकारी को जो इस मामले की जांच के अध्यक्ष होंगे वह अपने साथ एक फूड एंड सप्लाई विभाग के अधिकारी को साथ लेंगे. इसके साथ ही एक अधिकारी, एक फाइनेंस विभाग का होगा. क्योंकि इसमें कितना नुकसान हुआ है उसकी जांच भी होगी और साथ ही एक अधिकारी विजिलेंस विभाग से भी लिया जाएगा. दुष्यंत चौटाला ने कहा कि इस मामले में दोषी अधिकारियों से रिकवरी भी कराई जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इससे पहले भी इस तरह के मामले सामने आए थे. जिनमें खाद्य आपूर्ति विभाग ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की थी.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में अधिकारियों की लापरवाही से करोड़ों का गेहूं बर्बाद, दोषी कर्मचारियों से होगी नुकसान की भरपाई

अब इस मामले में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी. जब उनसे सवाल किया गया कि इस मामले में एक जांच रिपोर्ट के मुताबिक खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों को क्लीन चिट दी गई है, तो उन्होंने कहा कि यह प्राथमिक जांच की गई थी, लेकिन अब हमने इस मामले की जांच कमेटी गठित करने का फैसला किया है. बता दें कि हाल ही में कैथल, करनाल और कुरुक्षेत्र जिले में करीब 44800 मिट्रिक टन गेहूं खराब होने के लिए प्राकृतिक कारणों को जिम्मेदार बताया गया था. जांच रिपोर्ट में कहा गया कि गेहूं सड़ने के लिए बारिश, नमी और धूप के साथ FCI जिम्मेदार है. लेकिन इस रिपोर्ट से उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जिनके पास खाद्य आपूर्ति विभाग भी है वह संतुष्ट नहीं थे. जिसके बाद अब इस मामले के लिए जांच कमेटी गठित करने का निर्णय लिया गया.

चंडीगढ़: हरियाणा में एफसीआई के गोदाम में गेहूं खराब होने के मामले (wheat spoiled case in haryana) को लेकर हरियाणा सरकार पर लगातार विपक्ष निशाना साध रहा है. इन गोदामों में करीब 44,800 मीट्रिक टन गेंहू सड़ा है. हालांकि जब खबर मीडिया में आई तो सरकार की तरफ से इस मामले की प्राथमिक स्तर पर जांच की गई. जिसमें एफसीआई को इस मामले में जिम्मेदार ठहराया गया. जबकि खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों को इस मामले में क्लीन चिट दी गई. इस जांच को लेकर उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जोकि विभाग के मंत्री भी हैं खुद संतुष्ट नहीं हैं.

अब इस मामले को लेकर हरियाणा के उपमुख्यमंत्री और खाद्य आपूर्ति विभाग के मंत्री दुष्यंत चौटाला (deputy chief minister dushyant chautala) गंभीर हो गए हैं. उनके मुताबिक पंजाब में किसान आंदोलन की वजह से ट्रेनें रुकी थी. उस समय इस गेहूं को खुले में रखा गया था, और जिसका उठान नहीं हो पाया. उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के मुताबिक गेहूं के सड़ने के मामले में जांच के आदेश दे दिए गए हैं. जिसकी वजह से वो अब इस मामले की जांच करवाने की तैयारी कर रहे हैं. उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के मुताबिक जो गेहूं खराब हुआ है और उसका जो डाटा है वो एक बार का नहीं है.

उन्होंने कहा कि ये सारा डाटा 2018-19 और 20019-20 का है. उन्होंने कहा कि उस वक्त जो स्टाफ गोदाम के बाहर रखा गया था. वह भारी बारिश और क्लस्टर लॉस की प्रिकेयरमेंट के बाद रखा गया था. इसके साथ ही उन्होंने जानकारी देते हुए अभी बताया कि बीते साल हरियाणा में जो गेहूं की यूटिलाइजेशन है वह एक्सेस हुई थी, क्योंकि किसान आंदोलन के दौरान पंजाब में ट्रेनों की आवाजाही बंद थी. इस दौरान एफसीआई ने हमारा स्टॉक तो उठाया, लेकिन उस समय जो स्टॉक रिजेक्ट हुआ और एफसीआई की नीति के मुताबिक फर्स्ट इन फर्स्ट आउट के आधार पर माल उठाया जाता है.

उस नीति के तहत पहली जो माल कवर गोडाउन में रखा गया था, वह माल एफसीआई ने उठा लिया, जबकि उस दौरान ओपन गोडाउन में रखा माल बाद में आया. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि सरकार ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं. उन्होंने कहा कि इसकी जांच डिस्ट्रिक्ट में बैठे सीनियर आईएएस अधिकारी (एडमिनिस्ट्रेटिव सेक्रेटरी) जिनको चंडीगढ़ से नोडल ऑफिसर लगाया गया है. उनकी अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जाएगी. जो उस टाइम पीरियड के दौरान कितना माल उठा क्यों माल नहीं उठाया गया, कितनी बार जो माल रिजेक्ट हुआ, कौन-कौन अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार हैं. उनसे रिकवरी करेंगे.

उन्होंने कहा कि अभी तो यह मामला कैथल, कुरुक्षेत्र और करनाल का है. कुछ समय पहले फतेहाबाद में भी इसी तरह का मामला सामने आया था, जिस पर हम ने कार्यवाही करते हुए उस समय जो अधिकारी वहां पर कार्यरत थे. उनसे रिकवरी की है. वहीं उन्होंने कहा कि अब जो यह मामला सामने आया है. इसमें हमने जांच कमेटी भी बैठा दी है. उन्होंने कहा कि खराब माल की ऑक्शन भी की जा रही है. इससे विभाग को कम से कम 44-45 करोड़ मिल जाएंगे. बचे हुए स्टाक को भी ऑक्शन किया जाएगा. सड़ा हुआ अनाज खाने के लायक नहीं है, तो इन्हें और चीजों में इस्तेमाल किया जा सकता है. जैसे कैटल फीड इत्यादि.

नोडल अधिकारी को जो इस मामले की जांच के अध्यक्ष होंगे वह अपने साथ एक फूड एंड सप्लाई विभाग के अधिकारी को साथ लेंगे. इसके साथ ही एक अधिकारी, एक फाइनेंस विभाग का होगा. क्योंकि इसमें कितना नुकसान हुआ है उसकी जांच भी होगी और साथ ही एक अधिकारी विजिलेंस विभाग से भी लिया जाएगा. दुष्यंत चौटाला ने कहा कि इस मामले में दोषी अधिकारियों से रिकवरी भी कराई जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इससे पहले भी इस तरह के मामले सामने आए थे. जिनमें खाद्य आपूर्ति विभाग ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की थी.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में अधिकारियों की लापरवाही से करोड़ों का गेहूं बर्बाद, दोषी कर्मचारियों से होगी नुकसान की भरपाई

अब इस मामले में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी. जब उनसे सवाल किया गया कि इस मामले में एक जांच रिपोर्ट के मुताबिक खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों को क्लीन चिट दी गई है, तो उन्होंने कहा कि यह प्राथमिक जांच की गई थी, लेकिन अब हमने इस मामले की जांच कमेटी गठित करने का फैसला किया है. बता दें कि हाल ही में कैथल, करनाल और कुरुक्षेत्र जिले में करीब 44800 मिट्रिक टन गेहूं खराब होने के लिए प्राकृतिक कारणों को जिम्मेदार बताया गया था. जांच रिपोर्ट में कहा गया कि गेहूं सड़ने के लिए बारिश, नमी और धूप के साथ FCI जिम्मेदार है. लेकिन इस रिपोर्ट से उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जिनके पास खाद्य आपूर्ति विभाग भी है वह संतुष्ट नहीं थे. जिसके बाद अब इस मामले के लिए जांच कमेटी गठित करने का निर्णय लिया गया.

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