चंडीगढ़: अक्सर महिलाओं को इनफर्टिलिटी यानी (बांझपन) के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है. वहीं, विशेषज्ञ चिकित्सकों का मानना है कि महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में इनफर्टिलिटी की समस्या अधिक देखी गई है. हालांकि समय के साथ लोग इस समस्या को लेकर जागरूक होना शुरू हो गए हैं, लेकिन इनकी संख्या अभी भी कम है. चिकित्सक इसे बीमारी नहीं मानते हैं, इसे स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से सही किया जा सकता है. भारत में बांझपन को महिलाओं से जुड़ी समस्या समझी जाती है. जिसके चलते समाज के साथ परिजन भी महिला को ही प्रताड़ित करते हैं. महिलाओं को बच्चा पैदा करने को लेकर दबाव डालकर कई तरीकों से परेशान किया जाता है, लेकिन पुरुष पर कभी सवाल नहीं उठाया जाता.
पुरुषों में अधिक है इनफर्टिलिटी की समस्या: महिलाओं में बांझपन की समस्या 15 से 20 प्रतिशत ही देखी जाती है, इसका कारण भी उनके स्वास्थ्य में आए विकार होते हैं लेकिन पुरुष में बांझपन की दर 20 से 40 प्रतिशत हो सकती है. आज के समय में इस प्रतिशत में भी बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में विशेषज्ञ चिकित्सक इस तरह के मामले में पहले दंपति की स्वास्थ्य जांच करते हैं. पीजीआई इनफर्टिलिटी विभाग की हेड गायनेकोलॉजिस्ट प्रो. शालिनी ने बताया कि बांझपन पुरुष या महिला की प्रजनन प्रणाली को प्रभावित करने वाला एक विकार है.
इनफर्टिलिटी का इलाज संभव: जिसमें दंपति की शादी के कुछ सालों तक संतान नहीं होती है. इसे इनफर्टिलिटी कपल कहते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसका इलाज संभव नहीं है. इनफर्टिलिटी यानी (बांझपन) का इलाज संभव है लेकिन सही उपचार और मार्गदर्शन के बाद ही यह संभव है. चिकित्सक ऐसे मामलों में पहले पीड़ित पुरुष या महिला से संभोग संबधी प्राथमिक जानकारी लेते हैं, जिसके बाद आगे की जांच शुरू की जाती है.
महिलाओं में बांझपन की समस्या: महिला के बांझपन का पता लगाने के लिए दो महीने से अधिक का इलाज और विभिन्न टेस्टों की रिपोर्ट की जांच के बाद उसकी समस्या का हल किया जाता है. महिलाओं में बांझपन की समस्या पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित होने पर फैलोपियन ट्यूब में सिस्ट बन जाते हैं. जिसके कारण वे अंडों का निर्माण नहीं कर पाती हैं. डॉ. शालिनी ने बताया कि अंडों का उत्पादन नहीं होने के कारण महिलाओं को गर्भधारण करने में दिक्कतें आती हैं.
इलाज कराने से झिझकते हैं पुरुष: वहीं, अगर पुरुषों की बात करें तो परिवार बढ़ाने में महिला के साथ पुरुष की भी बराबर की भागीदारी होती है. पुरुषों को आम तौर पर शिक्षा की कमी के कारण प्रजनन स्वास्थ्य की अवधारणा और सही ज्ञान नहीं होता है. जहां महिलाएं अपना इलाज करवाने से नहीं झिझकती हैं तो पुरुष क्यों झिझकते हैं. पुरुषों में बांझपन दूर करने के लिए उन्हें प्रजनन के मुद्दों के बारे में पता होना चाहिए. उन्होंने बताया कि पुरुष बांझपन में या तो स्पर्म स्वस्थ नहीं है या स्पर्म पैदा नहीं हो पा रहे हैं.
पुरुषों में इनफर्टिलिटी की समस्या अधिक: ऐसे में अब तक जितने भी सर्वे हुए हैं, उनमें 40 फीसदी बांझपन के मामले पुरुषों से जुड़े हैं. डॉ. शालिनी ने बताया कि पुरुषों में बांझपन की समस्या उनके स्पर्म की कम संख्या के कारण हो सकता है. ऐसे में उनकी जांच की शुरुआत में पुरुषों के सीमेन का टेस्ट किया जाता है. पुरुष बांझपन को जानने के लिए उन्हें भी दो से तीन महीने की जांच के दायरे में लाया जाता है.
इससे प्रभावित होती है पुरुष की प्रजनन क्षमता: ऐसे में पुरुषों की जीवनशैली के खास व्यवहार की समझने के लिए पुरुषों के अच्छे प्रजनन स्वास्थ्य को बनाए रखना कहा जाता है, लेकिन इसके साथ ही अगर कोई पुरुष कुछ गलत आदतों का शिकार है तो उसके लिए मुश्किल बढ़ सकती हैं. चिकित्सकों की मानें तो पुरुषों को तंबाकू, धूम्रपान छोड़ देना चाहिए. वहीं, अल्कोहल की मात्रा को भी सीमित करना चाहिए. इस तरह से वे इस स्थिति पर काबू पा सकते हैं. यह सभी पुरुष की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं.
पुरुषों में बांझपन बढ़ने के कारण: इसके साथ ही मोटापा भी प्रजनन क्षमता को कई तरीकों से प्रभावित कर सकता है. पुरुषों को उचित पौष्टिक आहार और शारीरिक गतिविधि को बनाए रखना चाहिए. इसके लिए उन्हें रोजाना 15-20 मिनट व्यायाम करना चाहिए और हर संभव तनाव को कम करने के प्रयास करने चाहिए. पुरुषों में शुक्राणु की कम संख्या, जन्मजात असामान्यता, आनुवंशिक असामान्यताएं, शुक्राणु की गति धीमी होना, लंबे समय तक तनाव से ग्रसित होना, सिगरेट और शराब का सेवन, मोटापा यानी वजन अत्याधिक होने के कारण पुरुषों में बांझपन की समस्या बढ़ती है.
वहीं, आजकल की जीवनशैली के कारण इस तरह की समस्या पुरुषों में लगातार बढ़ रही है. लेकिन, समय पर उचित इलाज से इसका उपचार संभव है. डॉ. शालिनी ने बताया कि आज के दौर में पुरुष बांझपन का इलाज के लिए कई तकनीक उपलब्ध हैं. कई बार उपचार में सर्जिकल निष्कर्षण ही आखिरी उपाय रहता है. हालांकि इसके लिए अक्सर पुरुष तैयार नहीं होते हैं. ऐसे में वे अपनी जीवनशैली को बदलकर ही बांझपन से मुक्त हो सकते हैं.