चंडीगढ़: होली से पहले शुरू हुई हरियाणा पुलिस की भर्ती प्रक्रिया के बाद नियुक्ति पत्र देने पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. दरअसल ये पुनर्विचार याचिका मधुबन में करीब 5500 पुरुष कांस्टेबल को नियुक्ति पत्र जारी करने के खिलाफ दायर की गई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने उन कांस्टेबल को नियुक्ति पत्र देने पर रोक लगा दी है, जिनको अभी तक नियुक्ति नहीं दी गई.
मामले में याचिकाकर्ता राकेश कुमार और अन्य ने हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर पुनर्विचार याचिका लगाई थी. जिसमें उन्होंने हरियाणा पुलिस के चयनित 7 हजार से अधिक महिला और पुरुष कांस्टेबल की भर्ती को चुनौती दी है. इस मामले में हाईकोर्ट में कई याचिकाएं विचाराधीन हैं. पुरुष और महिला कांस्टेबल की नियुक्ति प्रक्रिया को एक समान आधार पर याचिकाकर्ता ने चुनौती दी हुई थी. इससे पहले हाई कोर्ट ने महिला कांस्टेबल की नियुक्ति के लिए दाखिल की गई याचिका पर नियुक्ति पत्र जारी करने का आदेश दिया था.
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मामले को लेकर दायर सभी याचिका पर एक साथ सुनवाई चल रही है. पुरुष कांस्टेबल वाली याचिका में सरकार ने मौखिक रूप से कोर्ट में यह स्वीकारा था कि याचिका विचाराधीन रहने तक चयनित पुरुष कांस्टेबल को नियुक्ति पत्र जारी नहीं किए जाएंगे. लेकिन सरकार ने पिछले दिनों पुरुष कांस्टेबल को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए. जिसके बाद इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट की ओर से आदेश दिए गए कि जिन को नियुक्ति पत्र दिए जा चुके हैं उनको छोड़कर बाकी जो बचे हैं उनको नियुक्ति पत्र जारी न किए जाएंं. याचिका में भर्ती की नार्मलाइजेशन परसेंटाइल पॉलिसी और अन्य मेथड को चुनौती दी गई थी. सुनवाई के दौरान एचएसएससी ने बताया था कि भारतीय सांख्यिकी संस्थान दिल्ली की सलाह पर भर्ती में ये मैथड अपनाया गया था.
भारतीय सांख्यिकी संस्थान ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि यह फार्मूला तभी अपनाया जा सकता है, जब लिखित परीक्षा के बाद फाइनल मेरिट सूची बनाई जाती है. लेकिन इस भर्ती में लिखित परीक्षा के बाद सामाजिक आर्थिक मानदंड के अंक और शारीरिक परीक्षा के अंक भी जुड़ने हैं. इस मामले में याचिकाकर्ता के मुताबिक इस मैथड के चलते एक शिफ्ट में अच्छा नंबर हासिल करने के बावजूद कई अभ्यर्थी फाइनल मेरिट सूची में जगह नहीं बना पाये.
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