चंडीगढ़: दूसरों को इंसाफ दिलाने वाले जज को अपने ही इंसाफ की लड़ाई जीतने में 9 साल का लंबा वक्त लग गया. भले ही आपको सुनकर अजीब लगे, लेकिन ये सच है. एडिशनल सेशन जज डीके सिंह ने मेडिकल रीइंबर्समेंट नहीं मिलने पर उसे एम्स के रेट के बराबर देने की चुनौती हाईकोर्ट में दी थी.
जब जज लीगल सर्विस अथॉरिटी के मेंबर सेक्रेटरी थे तो उस दौरान उनका इलाज चला था. उनके इलाज का बिल करीब 4 लाख का था. तब सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा गया था कि जो भी जुडिशियल ऑफिसर हैं उन्हें उनके मेडिकल बिल का कुल भुगतान किया जाएगा. इस भुगतान में एम्स का रेट शामिल नहीं होगा.
नोटिफिकेशन के बाद उन्हें 4 लाख की जगह सिर्फ 3 लाख के आसपास भुगतान किया गया. जिसके खिलाफ जाते हुए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका डाली. अब हाईकोर्ट ने मेडिकल बिल को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करने के आदेश दिए हैं.