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चंडीगढ़: हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और हरियाणा सूचना आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा - म्युनिसिपल काउंसिल भिवानी

हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में सूचना आयोग को प्राप्त शक्तियों को लेकर कई सवाल उठाए गए हैं. याचिकाकर्ता पक्ष के वकील ने कहा कि सूचना आयोग को अवमानना के तहत कार्रवाई की शक्तियां दी जानी चाहिए.

हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और हरियाणा सूचना आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा
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Published : Aug 22, 2019, 8:54 PM IST

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा के मुख्य सचिव और हरियाणा सूचना आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में सूचना आयोग को प्राप्त शक्तियों को लेकर कई सवाल उठाए गए हैं.

हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और हरियाणा सूचना आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा

सूचना के अधिकार कानून में कमियां

याचिकाकर्ता पक्ष के वकील ने कहा कि सूचना आयोग के पास अपने आदेशों को लागू करवाने की शक्तियां नहीं हैं. इसमें कहा गया कि सूचना के अधिकार कानून में कमियां हैं. जिसको दूर करते हुए सूचना आयोग को अवमानना के तहत कार्रवाई की पावर दी जाए.

याचिकाकर्ता पक्ष के वकील ने उठाए सवाल

याचिका के माध्यम से सवाल उठाया गया है कि सूचना आयोग के आदेशों के बावजूद भी ढाई साल से सूचना नहीं दी गई है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव और सूचना आयोग को 4 हफ्ते में जवाब देने को कहा है.

सेक्टरी म्युनिसिपल काउंसिल भिवानी को 2 हफ्ते में जवाब देने को कहा गया है. मामले की अगली सुनवाई 11 नवम्बर को होगी.

ढाई साल पहले मांगी गई थी जानकारी

दरअसल याचिकाकर्ता की तरफ से करीब ढाई साल पहले आरटीआई लगाकर जानकारी मांगी गई थी. 2018 में सूचना आयोग ने अधिकारियों को सूचना उपलब्ध करवाने के आदेश दिए. जिसके बाद भी सूचना उपलब्ध नहीं करवाई गई. सूचना आयोग की तरफ से अधिकारी को शो-कॉज नोटिस जारी किया गया. जिसका भी जवाब नही दिया गया.

ये भी पढ़ें: पानीपत में 3 साल की बच्ची के साथ रेप, आरोपी गिरफ्तार

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा के मुख्य सचिव और हरियाणा सूचना आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में सूचना आयोग को प्राप्त शक्तियों को लेकर कई सवाल उठाए गए हैं.

हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और हरियाणा सूचना आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा

सूचना के अधिकार कानून में कमियां

याचिकाकर्ता पक्ष के वकील ने कहा कि सूचना आयोग के पास अपने आदेशों को लागू करवाने की शक्तियां नहीं हैं. इसमें कहा गया कि सूचना के अधिकार कानून में कमियां हैं. जिसको दूर करते हुए सूचना आयोग को अवमानना के तहत कार्रवाई की पावर दी जाए.

याचिकाकर्ता पक्ष के वकील ने उठाए सवाल

याचिका के माध्यम से सवाल उठाया गया है कि सूचना आयोग के आदेशों के बावजूद भी ढाई साल से सूचना नहीं दी गई है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव और सूचना आयोग को 4 हफ्ते में जवाब देने को कहा है.

सेक्टरी म्युनिसिपल काउंसिल भिवानी को 2 हफ्ते में जवाब देने को कहा गया है. मामले की अगली सुनवाई 11 नवम्बर को होगी.

ढाई साल पहले मांगी गई थी जानकारी

दरअसल याचिकाकर्ता की तरफ से करीब ढाई साल पहले आरटीआई लगाकर जानकारी मांगी गई थी. 2018 में सूचना आयोग ने अधिकारियों को सूचना उपलब्ध करवाने के आदेश दिए. जिसके बाद भी सूचना उपलब्ध नहीं करवाई गई. सूचना आयोग की तरफ से अधिकारी को शो-कॉज नोटिस जारी किया गया. जिसका भी जवाब नही दिया गया.

ये भी पढ़ें: पानीपत में 3 साल की बच्ची के साथ रेप, आरोपी गिरफ्तार

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पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा के मुख्य सचिव और हरियाणा सूचना आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है । हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में सूचना आयोग को प्राप्त शक्तियों को लेकर कई सवाल उठाए गए है । याचिकाकर्ता पक्ष के वकील ने कहा कि सूचना आयोग के पास अपने आदेशों को लागू करवाने की शक्तियां नहीं है । इसमें कहा गया है कि सूचना का अधिकारी कानून में कमियां है जिसको दूर करते हुए सूचना आयोग को अवमानना के तहत कार्यवाही की पॉवर दी जाए । याचिका के माध्यम से सवाल उठाया गया है की सूचना आयोग के आदेशों के बावजूद भी ढाई साल से सूचना नहीं दी गई है । इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने मुख्यसचिव और सूचना आयोग को 4 हफ्ते में जवाब देने को कहा है । दो हफ्ते में सेक्टरी म्युनिसिपल कौंसिल भिवानी को 2 हफ्ते में जवाब देने को कहा गया है । मामले की अगली सुनवाई 11 नवम्बर को होगी ।


Body:सूचना का अधिकार कानून के तहत दी जाने वाली जानकारी जुटाना कई बार बेहद मुश्किलों भरा हो जाता है । आरटीआई से मांगी गई जानकारी अधिकारियों की तरफ से ना देने के बाद जब शिकायतकर्ता की तरफ से सूचना आयोग को शिकायत की जाती है तो सूचना आयोग के तरफ से भी दिए गए आदेशों को अधिकारी अनसुना करते नजर आते हैं । ऐसा ही एक मामला पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में पहुंचा है जहां पर कि याचिकाकर्ता ने सूचना आयोग को प्राप्त शक्तियों को लेकर ही सवाल उठा दिए हैं । दरअसल याचिकाकर्ता की तरफ से करीब दो ढाई साल पहले आरटीआई लगाकर जानकारी मांगी गई थी । 2018 में सूचना आयोग ने अधिकारियों को सूचना उपलब्ध करवाने के आदेश के बावजूद इसके सूचना उपलब्ध नहीं करवाई गई । सूचना आयोग की तरफ से अधिकारी को शो कॉज नोटिस जारी किया गया जिसका भी जवाब नही दिया गया । सूचना आयोग की तरफ से इस मामले में अधिकारी के खिलाफ 10000 की कॉस्ट लगाई गई साथ ही अधिकारी के खिलाफ डिसीप्लिनरी एक्शन के आदेश जारी किए गए मगर उसके बाद भी याचिकाकर्ता को सूचना नही दी गई । जिसके बाद आरटीआई एक्टिविस्ट की तरफ से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है । याचिकाकर्ता पक्ष के वकील प्रदीप रापड़िया ने बताया कि बार-बार सूचना आयोग की तरफ से विभाग को बार बार लिखा गया कि अंतिम वार्निंग दी जा रही है सूचना दी जाए , बावजूद इसके सूचना नहीं दी गई । प्रदीप रापड़िया ने कहा कि सूचना आयोग के पास कोई ऐसी पावर नहीं है कि अपने आदेशों का पालन करवा सके । उन्होंने कहा कि सूचना आयोग के पास दो कार्यवाही करने के तरीके हैं जिसमें 25000 का जुर्माना और दूसरा अनुशासन हीनता के तहत कार्रवाई के आदेश , जिसमें भी केवल रिकमेंडेशन की जा सकती है सूचना आयोग मजबूर नहीं कर सकता की कार्रवाई की जाए । प्रदीप रापड़िया ने कहा कि कई बार ऐसे मामले होते हैं जिसमें अधिकारियों के लिए ₹25000 देने मायने नहीं रखते क्योंकि कई बार भ्रष्टाचार के मामले बड़े होते हैं । इस मामले में याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से हाईकोर्ट से दरखास्त की गई है कि सूचना का अधिकार कानून में कई कमियां हैं सूचना आयोग को अवमानना के तहत कार्रवाई की शक्तियां दी जानी चाहिए ।
बाइट - प्रदीप रापड़िया , याचिकाकर्ता पक्ष के वकील


Conclusion:याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से हाईकोर्ट में कई सवाल पूछे गए हैं उन सवालों के तहत जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया गया है । याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से सवाल पूछा गया है कि क्या सूचना आयोग दंत विहीन है जिसके पास अपने ही आदेशों की पालना करवाने की शक्ति नहीं है ? अगर दोषी अधिकारी अधिक अधिकतम ₹25000 का जुर्माना देने के बाद व विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई झेलने के बाद भी सूचना ना दे तो सूचना आयोग के पास अपने आदेशों की पालना करवाने की क्या शक्ति है ? भ्रष्टाचार के मामलों में सूचना इतनी संवेदनशील व विस्फोटक हो सकती है कि अधिकारी सूचना आयोग द्वारा लगाए गए जुर्माने कोई मायने ना रखते हैं ? याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से पूछे गए इन सवालों पर हरियाणा के मुख्य सचिव और सूचना आयोग से 4 हफ्ते में जवाब मांगा गया है । वही ढाई साल तक सूचना न देने वाले अधिकारी से भी हाईकोर्ट ने 2 हफ्ते में जवाब तलब कर दिया है । मामले की अगली सुनवाई 11 नवम्बर को होगी ।
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