चंडीगढ़ः गुरुग्राम में निर्माण कार्यों में भूमिगत जल के इस्तेमाल किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार सहित गुरुग्राम नगर निगम और हरियाणा सरकार से भूमिगत जल के मौजूदा हालातों की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट ने रिपोर्ट जमा करवाने के लिए 9 मई तक का वक्त दिया है.
चीफ जस्टिस कृष्णा मुरारी एवं जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने साल 2008 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि इस जनहित याचिका में जो आरोप लगाए गए हैं वो बेहद ही गंभीर हैं, अगर इसी तरह से भूमिगत जल का अंधाधुन्द उपयोग जारी रहा तो वो दिन दूर नहीं जब यहां लोग पानी के एक कतरे को भी तरसेंगे.
अगली सुनवाई पर जमा करनी होगी स्टेटस रिपोर्ट- HC
चीफ जस्टिस ने कहा कि इतने सालों बाद सुनवाई में याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को जो जानकारी दी है वो बेहद ही गंभीर है. ऐसे में यहां के भूमिगत जल के मौजूदा हालात का जायजा लिया जाना बेहद ही जरुरी है. लिहाजा इस मामले हाई कोर्ट ने अब केंद्र सरकार सहित हरियाणा सरकार, गुड़गांव नगर निगम और अन्य सभी प्रतिवादी पक्षों को मामले की अगली सुनवाई पर मौजूदा भूमिगत जल की स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए हैं.
पूरा मामला
गुरुग्राम में बिल्डरों द्वारा बड़े पैमाने पर किए जा रहे निर्माण कार्यों में बोर वेल के जरिए भूमिगत जल के दुरूपयोग को लेकर हाई कोर्ट में साल 2008 में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसपर हाई कोर्ट ने सभी बिल्डरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने आदेश दिए थे कि जिस किसी ने भी बिना सरकार से अनुमति लिए भूमिगत जल को निर्माणकार्य में इस्तेमाल किया है वो इसे तत्काल बंद करे. साल 2014 के बाद इस याचिका पर सुनवाई नहीं हो पाई थी लेकिन अब ये याचिका दोबारा सुनवाई के लिए आई है.