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निर्माण कार्यों में अंडरग्राउंड पानी के इस्तेमाल पर HC ने मांगी स्टेटस रिपोर्ट

गुरुग्राम में निर्माण कार्यों में भूमिगत जल के इस्तेमाल किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार सहित गुरुग्राम नगर निगम और हरियाणा सरकार से भूमिगत जल के मौजूदा हालातों की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है.

पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट
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Published : Apr 10, 2019, 9:24 PM IST

चंडीगढ़ः गुरुग्राम में निर्माण कार्यों में भूमिगत जल के इस्तेमाल किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार सहित गुरुग्राम नगर निगम और हरियाणा सरकार से भूमिगत जल के मौजूदा हालातों की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट ने रिपोर्ट जमा करवाने के लिए 9 मई तक का वक्त दिया है.

चीफ जस्टिस कृष्णा मुरारी एवं जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने साल 2008 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि इस जनहित याचिका में जो आरोप लगाए गए हैं वो बेहद ही गंभीर हैं, अगर इसी तरह से भूमिगत जल का अंधाधुन्द उपयोग जारी रहा तो वो दिन दूर नहीं जब यहां लोग पानी के एक कतरे को भी तरसेंगे.

अगली सुनवाई पर जमा करनी होगी स्टेटस रिपोर्ट- HC
चीफ जस्टिस ने कहा कि इतने सालों बाद सुनवाई में याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को जो जानकारी दी है वो बेहद ही गंभीर है. ऐसे में यहां के भूमिगत जल के मौजूदा हालात का जायजा लिया जाना बेहद ही जरुरी है. लिहाजा इस मामले हाई कोर्ट ने अब केंद्र सरकार सहित हरियाणा सरकार, गुड़गांव नगर निगम और अन्य सभी प्रतिवादी पक्षों को मामले की अगली सुनवाई पर मौजूदा भूमिगत जल की स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए हैं.

पूरा मामला
गुरुग्राम में बिल्डरों द्वारा बड़े पैमाने पर किए जा रहे निर्माण कार्यों में बोर वेल के जरिए भूमिगत जल के दुरूपयोग को लेकर हाई कोर्ट में साल 2008 में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसपर हाई कोर्ट ने सभी बिल्डरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने आदेश दिए थे कि जिस किसी ने भी बिना सरकार से अनुमति लिए भूमिगत जल को निर्माणकार्य में इस्तेमाल किया है वो इसे तत्काल बंद करे. साल 2014 के बाद इस याचिका पर सुनवाई नहीं हो पाई थी लेकिन अब ये याचिका दोबारा सुनवाई के लिए आई है.

चंडीगढ़ः गुरुग्राम में निर्माण कार्यों में भूमिगत जल के इस्तेमाल किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार सहित गुरुग्राम नगर निगम और हरियाणा सरकार से भूमिगत जल के मौजूदा हालातों की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट ने रिपोर्ट जमा करवाने के लिए 9 मई तक का वक्त दिया है.

चीफ जस्टिस कृष्णा मुरारी एवं जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने साल 2008 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि इस जनहित याचिका में जो आरोप लगाए गए हैं वो बेहद ही गंभीर हैं, अगर इसी तरह से भूमिगत जल का अंधाधुन्द उपयोग जारी रहा तो वो दिन दूर नहीं जब यहां लोग पानी के एक कतरे को भी तरसेंगे.

अगली सुनवाई पर जमा करनी होगी स्टेटस रिपोर्ट- HC
चीफ जस्टिस ने कहा कि इतने सालों बाद सुनवाई में याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को जो जानकारी दी है वो बेहद ही गंभीर है. ऐसे में यहां के भूमिगत जल के मौजूदा हालात का जायजा लिया जाना बेहद ही जरुरी है. लिहाजा इस मामले हाई कोर्ट ने अब केंद्र सरकार सहित हरियाणा सरकार, गुड़गांव नगर निगम और अन्य सभी प्रतिवादी पक्षों को मामले की अगली सुनवाई पर मौजूदा भूमिगत जल की स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए हैं.

पूरा मामला
गुरुग्राम में बिल्डरों द्वारा बड़े पैमाने पर किए जा रहे निर्माण कार्यों में बोर वेल के जरिए भूमिगत जल के दुरूपयोग को लेकर हाई कोर्ट में साल 2008 में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसपर हाई कोर्ट ने सभी बिल्डरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने आदेश दिए थे कि जिस किसी ने भी बिना सरकार से अनुमति लिए भूमिगत जल को निर्माणकार्य में इस्तेमाल किया है वो इसे तत्काल बंद करे. साल 2014 के बाद इस याचिका पर सुनवाई नहीं हो पाई थी लेकिन अब ये याचिका दोबारा सुनवाई के लिए आई है.

Intro:

गुरुग्राम में बड़े पैमाने पर चल रहे निर्माण कार्यों में बिल्डरों द्वारा भूमिगत जल के इस्तेमाल किये जाने के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने अब केंद्र सरकार सहित गुरुग्राम नगर निगम और हरियाणा सरकार से यहाँ के भूमिगत जल के मौजूदा हालातों की स्टेटस रिपोर्ट 9 मई को हाई कोर्ट में पेश कर पूरी जानकारी दिए जाने के आदेश दे दिए हैं


Body:

चीफ जस्टिस कृष्णा मुरारी एवं जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने वर्ष 2008 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए हैं  चीफ जस्टिस ने कहा कि इस जनहित याचिका मैं जो आरोप लगाए गए हैं वह बेहद ही गंभीर हैं  अगर इस तरह से भूमिगत जल का अंधाधुन्द दुहन जारी रहा तो वह दिन दूर नहीं जब यहाँ लोग पानी के एक कतरे को भी तरसेंगे  यह याचिका वर्ष 2008 में दायर की गयी थी  जिस पर समय-समय हाई कोर्ट निर्देश जारी करता रहा  लेकिन किसी कारणवश इस याचिका पर वर्ष 2014 के बाद सुनवाई नहीं हो पाई 

चीफ जस्टिस ने कहा कि इतने वर्षों बाद अब सुनवाई हुई तो याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को जो जानकारी दी है  वह बेहद ही गंभीर है  ऐसे में यहाँ के भूमिगत जल के मौजूदा हालात का जायजा लिया जाना बेहद ही जरुरी है  लिहाजा इस मामले के सभी पक्षों से यह जानकारी जुटाई जानी अब आवश्यक है  हाई कोर्ट ने अब केंद्र सरकार सहित हरियाणा सरकार, गुड़गांव नगर निगम और अन्य सभी प्रतिवादी पक्षों को मामले की अगली सुनवाई पर भूमिगत जल की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी दिए जाने के लिए स्टेटस रिपोर्ट दायर किये जाने के आदेश दे दिए हैं  





Conclusion:क्या था मामला

गुरुग्राम में बिल्डरों द्वारा बड़े पैमाने पर किये जा रहे निर्माण कार्यों में बोर वेल के जरिये भूमिगत जल के दुरूपयोग को लेकर हाई कोर्ट में वर्ष 2008 में एक जनहित याचिका दायर की गई थी  तब हाई कोर्ट ने सभी बिल्डरों को नोटिस जारी कर जवाब माँगा था कि उनके पानी के स्त्रोत की जानकारी मांगी थी  इसके साथ ही हाई कोर्ट ने आदेश दिए थे कि जिस किसी ने भी बिना सरकार से अनुमति लिए भूमिगत जल को निर्माणकार्य में इस्तेमाल किया है वह इसे तत्काल बंद करे   वर्ष 2014 के बाद इस याचिका पर सुनवाई नहीं हो पाई थी  अब यह याचिका दोबारा सुनवाई के लिए आयी है तो चीफ जस्टिस ने इसे बेहद ही गंभीर मुद्दा बताते हुए इस पर केंद्र सरकार सहित राज्य सरकार और अन्य प्रतिवादी पक्षों को स्टेटस रिपोर्ट दायर किये जाने के आदेश दे दिए हैं 

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