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AJL प्लॉट आवंटन मामला: जज के छुट्टी पर होने से सुनवाई टली, अब 30 जनवरी को होगी - एजेएल मामले की सुनवाई टली

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा उस वक्त हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के चेयरमैन थे. वहीं आरोपी मोती लाल वोहरा AJL हाउस के चेयरमैन थे. प्लॉट आवंटन मामले में पंचकूला विशेष सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट की स्क्रूटनी पहले ही पूरी हो चुकी है.

hearing on ajl plot allocation case
पंचकूला की विशेष CBI कोर्ट में आज होगी सुनवाई
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Published : Dec 16, 2019, 7:57 AM IST

Updated : Dec 16, 2019, 10:51 AM IST

पंचकूला: एजेएल प्लांट आवंटन मामले में आज पंचकूला की विशेष सीबीआई कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन जज जगदीप सिंह के छुट्टी पर होने के चलते सुनवाई नहीं हो पाई. अब मामले पर अगली सुनवाई 30 जनवरी को होगी.

आपको बता दें कि आज होने वाली सुनवाई में आरोपियों पर लगे आरोपों पर बहस होनी थी, लेकिन अब ये बहस अगली सुनवाई में की जाएगी. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा उस वक्त हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के चेयरमैन थे. वहीं आरोपी मोती लाल वोहरा AJL हाउस के चेयरमैन थे. प्लॉट आवंटन मामले में पंचकूला विशेष सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट की स्क्रूटनी पहले ही पूरी हो चुकी है.दोनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट 1 दिसबंर को दाखिल की गई थी.

क्या है एजेएल प्लॉट आवंटन मामला ?
1982 में पंचकूला सेक्टर-6 में प्लॉट नंबर सी-17 तब के सीएम चौधरी भजनलाल ने एजेएल को अलॉट कराया. कंपनी को इस पर 6 महीने में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई. अक्टूबर 1992 को हुड्डा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया. 18 अगस्त 1995 को फ्रेश अलॉटमेंट के लिए आवेदन मांगे गए. इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई.

ये भी पढ़िए: AJL प्लॉट आवंटन मामला: ED कोर्ट में पेश हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा, 21 जनवरी को होगी अगली सुनवाई

अगस्त 2005 को हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एजेएल को 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन किए, साथ ही कंपनी को 6 महीने में निर्माण शुरू करके 1 साल में काम पूरा करने को भी कहा गया.

हुड्डा पर आरोप है कि उनकी सरकार के दौरान नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड(एजेएल) को नियमों के विपरीत भूखंड आवंटित किया. इससे सरकार को 67.65 लाख रुपये का नुकसान हुआ.

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया. मुख्यमंत्री हुड्डा तब इस विभाग के अध्यक्ष थे और यह गड़बड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है.

ये भी पढ़िए: ये है हरियाणा के 'मिनी क्यूबा' का गांव, हर घर में मिलेगा बॉक्सर

केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत में दिसंबर 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा, एजेएल के तत्कालीन चेयरमैन कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और एजेएल के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी. एजेएल पर कांग्रेस के नेताओं का कथित तौर पर नियंत्रण है, जिसमें नेहरु-गांधी परिवार भी शामिल है.

पंचकूला: एजेएल प्लांट आवंटन मामले में आज पंचकूला की विशेष सीबीआई कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन जज जगदीप सिंह के छुट्टी पर होने के चलते सुनवाई नहीं हो पाई. अब मामले पर अगली सुनवाई 30 जनवरी को होगी.

आपको बता दें कि आज होने वाली सुनवाई में आरोपियों पर लगे आरोपों पर बहस होनी थी, लेकिन अब ये बहस अगली सुनवाई में की जाएगी. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा उस वक्त हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के चेयरमैन थे. वहीं आरोपी मोती लाल वोहरा AJL हाउस के चेयरमैन थे. प्लॉट आवंटन मामले में पंचकूला विशेष सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट की स्क्रूटनी पहले ही पूरी हो चुकी है.दोनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट 1 दिसबंर को दाखिल की गई थी.

क्या है एजेएल प्लॉट आवंटन मामला ?
1982 में पंचकूला सेक्टर-6 में प्लॉट नंबर सी-17 तब के सीएम चौधरी भजनलाल ने एजेएल को अलॉट कराया. कंपनी को इस पर 6 महीने में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई. अक्टूबर 1992 को हुड्डा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया. 18 अगस्त 1995 को फ्रेश अलॉटमेंट के लिए आवेदन मांगे गए. इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई.

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अगस्त 2005 को हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एजेएल को 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन किए, साथ ही कंपनी को 6 महीने में निर्माण शुरू करके 1 साल में काम पूरा करने को भी कहा गया.

हुड्डा पर आरोप है कि उनकी सरकार के दौरान नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड(एजेएल) को नियमों के विपरीत भूखंड आवंटित किया. इससे सरकार को 67.65 लाख रुपये का नुकसान हुआ.

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया. मुख्यमंत्री हुड्डा तब इस विभाग के अध्यक्ष थे और यह गड़बड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है.

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केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत में दिसंबर 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा, एजेएल के तत्कालीन चेयरमैन कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और एजेएल के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी. एजेएल पर कांग्रेस के नेताओं का कथित तौर पर नियंत्रण है, जिसमें नेहरु-गांधी परिवार भी शामिल है.

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Last Updated : Dec 16, 2019, 10:51 AM IST
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