चंडीगढ़: फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन (haryana Private Schools Association) के प्रदेशाध्यक्ष एवं निमा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने शुक्रवार को प्रेस क्लब चंडीगढ़ में प्रेसवार्ता की. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार और स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज ने प्राइवेट स्कूलों को एक वर्ष का प्रॉपर्टी टैक्स माफ कर उन्हें संजीविनी प्रदान की है. उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि जिन स्कूलों ने प्रॉपर्टी टैक्स जमा करवाया दिया है उन्हें भी राहत प्रदान की जाए व उनके द्वारा जमा करवाई गई राशि को अग्रिम टैक्स मानकर अगले वर्ष में एडजस्ट किया जाए ताकि ऐसे स्कूलों को भी सरकार द्वारा प्रदान की गई राहत का लाभ मिल सके.
कुलभूषण शर्मा ने कहा आज शिक्षा विभाग और फेडरेशन की मीटिंग हुई जिसमें प्राइवेट स्कूलों की लम्बित 25 सूत्रीय मांगों पर चर्चा की गई और सरकार से मांग की गई कि इनका शीघ्र समाधान किया जाए ताकि आर्थिक मंदी और कोरोना की मार के कारण तबाह हो चुके स्कूलों को बर्बाद होने से बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि मीटिंग में अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलों को एक वर्ष की एक्सटेंशन, एक्जिस्टिंग स्कूलों की लिस्ट को जल्द जारी करना, गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को यू-डाइस नंबर जारी करना, सरकार द्वारा स्कूलों के बिजली के बिल माफ करने की घोषणा की जल्द नोटिफिकेशन जारी करने के मुद्दे उठाए गए.
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साथ ही पेज मनी को स्कूलों को वापस करना, बसों की लाइफ दो साल तक एक्सटेंड करना, स्कूलों की सोसाइटी रिन्यूअल के पोर्टल को शुरू कर जुर्माना माफ करना, गांव व शहरों के स्कूलों पर एक समान नियम लागू करना, स्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलों को अगले साल तक बिना जमीन की शर्तें कमरे बड़ा कर अपग्रेड करना, सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों और प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों पर एक समान स्कालरशिप योजना लागू करना और बसों के फिटनेस केंद्र जिला स्तर पर ही रखने के मुद्दे उठाए गए.
उन्होंने कहा कि अधिकारियों के साथ वार्ता सकारात्मक रही और जल्द ही इसके अच्छे परिणाम मिलने की संभावना है. उन्होंने उम्मीद जताई कि शिक्षा मंत्री और सरकार तुरंत उनकी मांगों को पूर्ण कर प्राइवेट स्कूलों को राहत प्रदान करेगा. उन्होंने 134ए के दाखिलों पर कहा कि 5 वर्षों से स्कूलों को 134ए के अंतर्गत पढ़ाने वाले विद्यार्थियों की क्षतिपूर्ति नहीं मिली है. सरकार को ईमानदारी से यह भुगतान प्राइवेट स्कूलों को करना चाहिए अन्यथा प्राइवेट स्कूलों पर अनावश्यक इस वर्ष बच्चों को दाखिला देने का दबाब नहीं बनाना चाहिए.
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उन्होंने यह भी मांग की के जिन प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों को सरकारी स्कूलों में बिना एसएलसी के प्रवेश दे दिया गया है उनकी प्राइवेट स्कूलों की तरफ देय राशि का भुगतान सरकार कर दें ताकि स्कूलों और अभिभावकों को राहत मिल सके और एसएलसी विवाद भी खत्म हो सके.
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