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हरियाणा में ड्रैगन फ्रूट, खजूर और मशरूम की खेती को मिलेगा बढ़ावा, बागवानी विभाग युवाओं को देगा प्रशिक्षण

हरियाणा में सरकार ड्रैगन फ्रूट, खजूर और मशरूम की खेती को बढ़ावा देने पर काम करेगी. इस संबंध में कृषि मंत्री जेपी दलाल (Agriculture Minister JP Broker In Haryana) ने एक बैठक का आयोजन किया. इस बैठक में उन्होंने कहा कि राज्य में ड्रैगन फल, खजूर फल व मशरूम को बढ़ावा (Agriculture Minister promote horticulture in Haryana) देने के लिए बागवानी विभाग की ओर से एक विशेष टीम का गठन किया जाएगा, जो युवाओं को ड्रैगन, खजूर और मशरूम की खेती के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ प्रशिक्षण दिलाने का काम भी करेगी. पढ़ें पूरी खबर..

Agriculture promote in Haryana
बागवानी को बढ़ावा देने के लिए कृषि मंत्री ने की बैठक
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Published : Jun 23, 2022, 10:21 AM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में सरकार ड्रैगन फ्रूट, खजूर और मशरूम की खेती को बढ़ावा देने पर काम करेगी. इस संबंध में कृषि मंत्री जेपी दलाल (Agriculture Minister JP Broker In Haryana) ने एक बैठक का आयोजन किया. इस बैठक में उन्होंने कहा कि राज्य में ड्रैगन फल, खजूर फल व मशरूम को बढ़ावा (Agriculture Minister promote horticulture in Haryana) देने के लिए बागवानी विभाग की ओर से एक विशेष टीम का गठन किया जाएगा, जो युवाओं को ड्रैगन, खजूर और मशरूम की खेती के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ प्रशिक्षण दिलाने का काम भी करेगी.

बैठक के दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस वर्ष में मशरूम की उपज (Agriculture promote in Haryana) को बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा परियोजनाओं पर काम किया जाए और जिन जिलों में मशरूम नहीं होता है, उसमे कलस्टर विकास के तहत लोगों को प्रशिक्षण देकर मशरूम की खेती को बढ़ावा देने का काम किया जाए. मशरूम की खेती से न केवल लोगों को मशरूम आसानी से उपलब्ध होगा बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे.

कृषि मंत्री जेपी दलाल (Farmers Welfare Minister JP Broker In Haryana) ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि ड्रैगन फल, खजूर फल व मशरूम को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य निर्धारित करें और योजना तैयार करें. बैठक में बताया गया कि एमआईडीएच द्वारा नर्सरी, टीशू कल्चर लैब, फलों के क्षेत्र में विस्तार, सब्जियां, फूल, मसालें, एरोमैटिक पौधे, मशरूम परियोजनाएं, जल स्रोतों, उत्कृष्टता केन्द्र, मधुमक्खी पालन, मानव संसाधन, पोस्ट हारवेस्टिंग प्रबंधन, विपणन ढांचागत, सोलर फेसिंग और मिशन प्रबंधन इत्यादि परियोजनाओं पर वर्ष 2005-06 से 2009-10 तक कुल 16, 437.60 लाख रुपये की राशि खर्च की गई, जबकि वर्ष 2010-11 से 2013-14 के बीच 31500.12 लाख रुपये की राशि व्यय की गई.

इसी प्रकार, वर्ष 2014-15 से 2018-19 के बीच 48347.98 लाख रुपये और वर्ष 2019-20 से 2021-22 तक 31714.37 लाख रुपये की राशि को खर्च किया गया. बैठक में बताया गया कि लगभग 21453 हैक्टेयर क्षेत्र को फलों की फसलों के तहत कवर किया गया है, जबकि 37297.82 हैक्टेयर क्षेत्र को सब्जियों की फसलों के अंतर्गत कवर किया गया. बैठक में कृषि मंत्री को अवगत कराया गया कि वर्ष 2013-14 से अब तक एनएचएम के अंतर्गत 1.80 लाख किसानों को लाभ प्रदान किया गया है. वहीं एमआईडीएच ने वर्ष 2005-06 से अब तक लगभग 1516 करोड़ रुपये की राशि किसानों के उत्थान में खर्च की है.

ये भी पढ़ें: हरिद्वार में दबंगई दिखाने पर हरियाणा के पर्यटकों की पिटाई, मामूली बात पर हुआ विवाद

चंडीगढ़: हरियाणा में सरकार ड्रैगन फ्रूट, खजूर और मशरूम की खेती को बढ़ावा देने पर काम करेगी. इस संबंध में कृषि मंत्री जेपी दलाल (Agriculture Minister JP Broker In Haryana) ने एक बैठक का आयोजन किया. इस बैठक में उन्होंने कहा कि राज्य में ड्रैगन फल, खजूर फल व मशरूम को बढ़ावा (Agriculture Minister promote horticulture in Haryana) देने के लिए बागवानी विभाग की ओर से एक विशेष टीम का गठन किया जाएगा, जो युवाओं को ड्रैगन, खजूर और मशरूम की खेती के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ प्रशिक्षण दिलाने का काम भी करेगी.

बैठक के दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस वर्ष में मशरूम की उपज (Agriculture promote in Haryana) को बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा परियोजनाओं पर काम किया जाए और जिन जिलों में मशरूम नहीं होता है, उसमे कलस्टर विकास के तहत लोगों को प्रशिक्षण देकर मशरूम की खेती को बढ़ावा देने का काम किया जाए. मशरूम की खेती से न केवल लोगों को मशरूम आसानी से उपलब्ध होगा बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे.

कृषि मंत्री जेपी दलाल (Farmers Welfare Minister JP Broker In Haryana) ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि ड्रैगन फल, खजूर फल व मशरूम को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य निर्धारित करें और योजना तैयार करें. बैठक में बताया गया कि एमआईडीएच द्वारा नर्सरी, टीशू कल्चर लैब, फलों के क्षेत्र में विस्तार, सब्जियां, फूल, मसालें, एरोमैटिक पौधे, मशरूम परियोजनाएं, जल स्रोतों, उत्कृष्टता केन्द्र, मधुमक्खी पालन, मानव संसाधन, पोस्ट हारवेस्टिंग प्रबंधन, विपणन ढांचागत, सोलर फेसिंग और मिशन प्रबंधन इत्यादि परियोजनाओं पर वर्ष 2005-06 से 2009-10 तक कुल 16, 437.60 लाख रुपये की राशि खर्च की गई, जबकि वर्ष 2010-11 से 2013-14 के बीच 31500.12 लाख रुपये की राशि व्यय की गई.

इसी प्रकार, वर्ष 2014-15 से 2018-19 के बीच 48347.98 लाख रुपये और वर्ष 2019-20 से 2021-22 तक 31714.37 लाख रुपये की राशि को खर्च किया गया. बैठक में बताया गया कि लगभग 21453 हैक्टेयर क्षेत्र को फलों की फसलों के तहत कवर किया गया है, जबकि 37297.82 हैक्टेयर क्षेत्र को सब्जियों की फसलों के अंतर्गत कवर किया गया. बैठक में कृषि मंत्री को अवगत कराया गया कि वर्ष 2013-14 से अब तक एनएचएम के अंतर्गत 1.80 लाख किसानों को लाभ प्रदान किया गया है. वहीं एमआईडीएच ने वर्ष 2005-06 से अब तक लगभग 1516 करोड़ रुपये की राशि किसानों के उत्थान में खर्च की है.

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