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हरियाणा सरकार ने कोरोना काल में खर्च किए 345 करोड़, विपक्ष ने बताया बड़ा घोटाला - 26 हजार कोरोना मरीज खर्च हरियाणा

आरटीआई मेें सामने आया है कि कोरोना काल में प्रदेश सरकार ने अलग-अलग विभागों पर 345 करोड़ रुपये की राशि खर्च की है. जिसमें से 282 करोड़ मरीजों के इलाज पर हुआ है. इस हिसाब से सरकार ने प्रति मरीज पर 26,355 खर्च किया है.

haryana government spent 345 crores during corona pandemic
हरियाणा सरकार ने कोरोना काल में खर्च किए 345 करोड़, विपक्ष ने बताया बड़ा घोटाला
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Published : Oct 1, 2020, 2:11 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की ओर से कोरोना त्रासदी के दौरान किए गए खर्चों का ब्यौरा सामने आने के बाद विपक्ष मुखर हो गया है. विपक्ष सीधे तौर पर इसे घोटाला करार देते हुए जांच की मांग कर रहा है.

बता दें कि हाल ही में एक आरटीआई में सामने आया है कि कोरोना काल में प्रदेश सरकार ने अलग-अलग विभागों पर 345 करोड़ रुपये की राशि खर्च की है. जिसमें से 282 करोड़ मरीजों के इलाज पर हुआ है. इस हिसाब से सरकार ने प्रति मरीज पर 26,355 खर्च किया है.

हरियाणा सरकार ने कोरोना काल में खर्च किए 345 करोड़, विपक्ष ने बताया बड़ा घोटाला

आरटीआई में दी गई जानकारी के मुताबिक 345 करोड़ रुपयों में से 117 करोड़ रुपये पीपीई किट, मास्क और दवाइयों पर खर्च हुए हैं, जबकि 13 करोड़ रुपये वेंटिलेटर जैसे इक्यूपमेंट्स की खरीदारी पर खर्च किए गए हैं.

इसके अलावा 63 करोड़ रुपये लोगों को घरों तक पहुंचाने, खाने का इंतजाम करने जैसे कार्यों पर खर्च हुए. किरण चौधरी ने आरोप लगाया कि हरियाणा में ज्यादातर मरीजों को घर में ही आइसोलेट किया जा रहा है. ऐसे में उनके इलाज पर इतनी बढ़ी राशि खर्च होना किसी बड़ी गड़बड़ को दर्शाता है.

किरण चौधरी ने कहा कि ये अंधेर नगरी है, 345करोड़ रुपये खर्च करना का मतलब प्रत्येक मरीज 26 हजार रुपये खर्च होना है, जबकि 50 से 100 रुपये तक की दवाई दी जाती रही है और 4,500 के करीब इस बीमारी के टेस्ट का खर्चा है तो कुल मिला कर 5000 के करीब एक मरीज पर खर्च हो सकता है. चौधरी ने कहा कि जरूर इस में एक बड़ी गड़बड़ी हुई है.

आरटीआई में ये भी बताया गया कि कोरोना संक्रमण के बीच राज्य में 954 डॉक्टर्स की भर्ती की गई, जबकि 206 आयुष मेडिकल ऑफिसर नियुक्त किए गए. करीब 8 करोड़ रुपये का मासिक अतिरिक्त भार सरकार पर पड़ा है. यानि 5 महीने में 40 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. इसके अलावा ये भी जानकारी दी गई कि कोरोना रीलिफ फंड के तहत 104 करोड़ जारी किए जा चुके हैं. निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने सरकार पर कोरोना काल में कई बड़े घोटाले करने का आरोप लगाया है.

किस पर हुआ सबसे ज्यादा खर्च:

इक्यूपमेंट संख्या राशि
थ्री-लेयर मास्क 1.05 करोड़ 5.42 करोड़ खर्च
हैंड सैनिटाइजर 5.12 लाख5.56 करोड़ खर्च
एन-95 मास्क 6.53 लाख 3.76 करोड़ खर्च
पीपीई किट 3.09 लाख 33.93 करोड़ खर्च
हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन 50 हजार 1.90 करोड़ खर्च
लाइजोल 41 हजार 2.35 करोड़ खर्च
आरटी पीसीआर किट2.80 लाख 8.64 करोड़ खर्च
रैपिड एंटीजन टेस्ट7.39 लाख 35 करोड़ खर्च
ऑक्सीजन सिलेंडर 2165 2.05 करोड़ खर्च

किस विभाग पर हुआ कितना खर्च?

  • स्वास्थ्य विभाग 130 करोड़
  • मेडिकल रिसर्च एंड एजुकेशन डिपार्टमेंट 90 करोड़
  • डीसी को जारी किए गए 22 करोड़
  • अतिरिक्त डॉक्टरों की भर्ती का मानदेय 40 करोड़

खर्च की गई राशि के अलावा आरटीआई में ये भी जानकारी दी गई है कि हरियाणा सरकार ने कोरोना काल के दौरान क्या-क्या बड़े काम किए हैं. बताया गया कि अभीतक प्रदेश में 16 लाख से ज्यादा लोगों की कोरोना जांच हो चुकी है. 14 सरकारी लैब हैं जहां कोरोना की जांच की जा रही है, जबकि पहले हरियाणा में ऐसी कोई लैब नहीं थी. हरियाणा के कोविड केयर्स में 12,263 बेड की व्यवस्था है.

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की ओर से कोरोना त्रासदी के दौरान किए गए खर्चों का ब्यौरा सामने आने के बाद विपक्ष मुखर हो गया है. विपक्ष सीधे तौर पर इसे घोटाला करार देते हुए जांच की मांग कर रहा है.

बता दें कि हाल ही में एक आरटीआई में सामने आया है कि कोरोना काल में प्रदेश सरकार ने अलग-अलग विभागों पर 345 करोड़ रुपये की राशि खर्च की है. जिसमें से 282 करोड़ मरीजों के इलाज पर हुआ है. इस हिसाब से सरकार ने प्रति मरीज पर 26,355 खर्च किया है.

हरियाणा सरकार ने कोरोना काल में खर्च किए 345 करोड़, विपक्ष ने बताया बड़ा घोटाला

आरटीआई में दी गई जानकारी के मुताबिक 345 करोड़ रुपयों में से 117 करोड़ रुपये पीपीई किट, मास्क और दवाइयों पर खर्च हुए हैं, जबकि 13 करोड़ रुपये वेंटिलेटर जैसे इक्यूपमेंट्स की खरीदारी पर खर्च किए गए हैं.

इसके अलावा 63 करोड़ रुपये लोगों को घरों तक पहुंचाने, खाने का इंतजाम करने जैसे कार्यों पर खर्च हुए. किरण चौधरी ने आरोप लगाया कि हरियाणा में ज्यादातर मरीजों को घर में ही आइसोलेट किया जा रहा है. ऐसे में उनके इलाज पर इतनी बढ़ी राशि खर्च होना किसी बड़ी गड़बड़ को दर्शाता है.

किरण चौधरी ने कहा कि ये अंधेर नगरी है, 345करोड़ रुपये खर्च करना का मतलब प्रत्येक मरीज 26 हजार रुपये खर्च होना है, जबकि 50 से 100 रुपये तक की दवाई दी जाती रही है और 4,500 के करीब इस बीमारी के टेस्ट का खर्चा है तो कुल मिला कर 5000 के करीब एक मरीज पर खर्च हो सकता है. चौधरी ने कहा कि जरूर इस में एक बड़ी गड़बड़ी हुई है.

आरटीआई में ये भी बताया गया कि कोरोना संक्रमण के बीच राज्य में 954 डॉक्टर्स की भर्ती की गई, जबकि 206 आयुष मेडिकल ऑफिसर नियुक्त किए गए. करीब 8 करोड़ रुपये का मासिक अतिरिक्त भार सरकार पर पड़ा है. यानि 5 महीने में 40 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. इसके अलावा ये भी जानकारी दी गई कि कोरोना रीलिफ फंड के तहत 104 करोड़ जारी किए जा चुके हैं. निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने सरकार पर कोरोना काल में कई बड़े घोटाले करने का आरोप लगाया है.

किस पर हुआ सबसे ज्यादा खर्च:

इक्यूपमेंट संख्या राशि
थ्री-लेयर मास्क 1.05 करोड़ 5.42 करोड़ खर्च
हैंड सैनिटाइजर 5.12 लाख5.56 करोड़ खर्च
एन-95 मास्क 6.53 लाख 3.76 करोड़ खर्च
पीपीई किट 3.09 लाख 33.93 करोड़ खर्च
हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन 50 हजार 1.90 करोड़ खर्च
लाइजोल 41 हजार 2.35 करोड़ खर्च
आरटी पीसीआर किट2.80 लाख 8.64 करोड़ खर्च
रैपिड एंटीजन टेस्ट7.39 लाख 35 करोड़ खर्च
ऑक्सीजन सिलेंडर 2165 2.05 करोड़ खर्च

किस विभाग पर हुआ कितना खर्च?

  • स्वास्थ्य विभाग 130 करोड़
  • मेडिकल रिसर्च एंड एजुकेशन डिपार्टमेंट 90 करोड़
  • डीसी को जारी किए गए 22 करोड़
  • अतिरिक्त डॉक्टरों की भर्ती का मानदेय 40 करोड़

खर्च की गई राशि के अलावा आरटीआई में ये भी जानकारी दी गई है कि हरियाणा सरकार ने कोरोना काल के दौरान क्या-क्या बड़े काम किए हैं. बताया गया कि अभीतक प्रदेश में 16 लाख से ज्यादा लोगों की कोरोना जांच हो चुकी है. 14 सरकारी लैब हैं जहां कोरोना की जांच की जा रही है, जबकि पहले हरियाणा में ऐसी कोई लैब नहीं थी. हरियाणा के कोविड केयर्स में 12,263 बेड की व्यवस्था है.

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