चंडीगढ़: कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया त्राहीमाम-त्राहीमाम कर रही है. हर रोज़ दुनिया भर में सैकड़ों लोग दम तोड़ रहे हैं, लोग सोशल डिस्टेंसिंग के फार्मुले को अपना रहे हैं, और यही जरूरी है, लेकिन दिल्ली का निजामुद्दीन इलाका कोरोना वायरस संक्रमण की महामारी के इस दौर में चर्चा में आ गया है. मार्च के महीने में इस इलाक़े में स्थित तबलीग़ी जमात के मरकज़ में एक धार्मिक आयोजन हुआ था. जिसमें हज़ारों की संख्या में लोग शामिल हुए थे. देश के अलग-अलग हिस्सों के साथ ही विदेश से भी लोग यहां पहुंचे थे.
एक साथ इतनी बड़ी संख्या में जब लोगों के जमा होने का पता चला तब पुलिस ने कार्रवाई की और मरकज से 2361 लोगों को निकाला गया. सभी के सैंपल कोरोना वायरस की जांच के लिए भेजा गया. जिसमें से 97 लोगों के टेस्ट पॉज़िटिव मिले हैं. सैकड़ों लोगों को क्वांरनटीन किया गया. साथ ही 600 से अधिक लोगों में COVID-19 के लक्षण पाए गए, जिनके सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं.
‘तबलीग़ी जमात मरकज़’ से जुड़ी इस खबर ने देश और सभी राज्यों की सरकारों की चिंता बढ़ा दी है. इस घटना ने पूरे देश को बहुत बड़ी मुसीबत में डाल दिया है, भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में एकाएक उछाल आ गया, लेकिन ये तबलीगी जमात मरकज है क्या? और क्यों यहां इतने सारे अगल-अलग देशों के लोग इकट्ठा थे, और ये सभी लोग कैसे ‘सुपर स्प्रेडर’ बन गए इस पर चर्चा करते हैं.
क्या है तबलीगी जमात?
तबलीग़ का मतलब धर्म का प्रचार, जमात का मतलब होता है कोई ग्रुप और मरकज़ का मतलब होता है केंद्र. अब हम इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि तबलीग़ी आइडियलॉजी को लोगों में फैलाने के लिए एक समूह होता है. इस समूह का मक़सद होता है कि आम लोगों तक अपने आयोजनों, पोशाक और व्यक्तिगत व्यवहार के बारे बताना और प्रेरित करना.
तबलीगी जमात की स्थापना कब हुई थी.
भारत में तबलीग़ी जमात की नींव 1926-27 के दौरान रखी गई. एक इस्लामी स्कॉलर मौलाना मुहम्मद इलियास ने इसकी बुनियाद रखी थी. परंपराओं के मुताबिक़, मौलाना मुहम्मद इलियास ने अपने काम की शुरुआत दिल्ली से सटे मेवात में लोगों को मज़हबी शिक्षा देने के ज़रिए की बाद में ये सिलसिला आगे बढ़ता गया. तबलीग़ी जमात की पहली मीटिंग भारत में 1941 में हुई थी. इसमें 25, हज़ार लोग शामिल हुए थे. 1940 के दशक तक जमात का कामकाज़ अविभाजित भारत तक ही सीमित था, लेकिन बाद में इसकी शाखाएं पाकिस्तान और बांग्लादेश तक फैल गईं. जमात का काम तेज़ी से फैला और ये आंदोलन पूरी दुनिया में फैल गया.
वैसे तो ये लोग धर्म का प्रचार-प्रसार करते है. इसमें कोई बुराई भी नहीं है. किसी भी धर्म को प्रचार प्रसार की आजादी है, लेकिन आज लोगों के दिलों में तबलीगी जमात मरकज के नाम से खौफ है, क्योंकि उस सम्मेलन में शामिल होने के बाद कोरोना वायरस संक्रमित हुए लोग अभी भी बाहर घूम रहे हैं. हालांकि सैकड़ों लोगों को आइसोलेट किया गया है, फिर भी हजारों की संख्या में जमाती, लोगों के बीच घूम रहे हैं, कुछ फरार भी हैं. वहीं हरियाणा में भी इसका बड़ा खतरा मंडरा रहा है. तबलीगी जमात मरकज में शामिल होने वाले 544 लोग हरियाणा में प्रवेश कर चुके हैं. इनमें से 523 को क्वांरनटाइन किया गया है. सूबे में आने वालों में 89 लोग विदेशी हैं. हरियाणा में सबसे ज्यादा 385 लोग नूंह में ही पहुंचे. वहीं 5 विदेशी और 14 भारतीय नागरिक पुलिस के पहुंचने से पहले ही वहां से निकल गए. इसके बाद 62 लोग पानीपत पहुंचे. 36 लोग अम्बाला आए.
प्रदेश के 15 जिलों में 1300 से अधिक जमाती
हरियाणा पुलिस लगभग 48 घंटों में राज्य के 15 जिलों में तबलीगी जमात के 1300 से अधिक लोगों को ट्रेस करने में सफल रही है. हरियाणा पुलिस महानिदेशक मनोज यादव ने बताया कि केंद्रीय एजेंसियों द्वारा 31 मार्च, 2020 को दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज की स्थिति के बारे में हरियाणा पुलिस को सतर्क किया गया था.
धर्मगुरु भी कर रहे हैं जमातियों को सामने आने की अपील
वहीं इस्लामिक धर्मगुरु बड़ा मदरसा नूंह के संचालक मुफ्ती जाहिद हुसैन ने वीडियो संदेश में कहा कि जिन जमातीयों के पॉजिटिव केस सामने आए हैं. उनके साथ जितने भी लोग संपर्क में आए, उन सभी को अपने स्वास्थ्य की जांच करानी चाहिए. सबको खुद पहल करने की जरूरत है.
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