चंडीगढ़: बहादुरगढ़ में चार अप्रैल को सेप्टिक टैंक में चार श्रमिकों की मौत हो गई थी. चारों सेप्टिक टैंक में पानी निकासी के लिए पाइप लगाने उतरे थे. जहरीली गैस की चपेट में आने उन्होंने सेप्टिक टैंक में ही दम तोड़ दिया. ये कोई पहला मामला नहीं है जब हरियाणा में सेप्टिंक टैंक की सफाई करते वक्त मजूदरों की मौत हुई हो. हरियाणा में पिछले पांच सालों में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करते हुए 40 मजदूरों की मौत हुई है. साल 2018 से 2022 के बीच लिए गए इन आंकड़ों में हरियाणा तीसरे नंबर पर है.
पहले नंबर पर तमिलनाडु है, जहां इन पांच सालों में 52 मजदूरों की मौत हुई हैं. दूसरे नंबर पर 46 मौतों के साथ उत्तर प्रदेश है. तीसरा स्थान हरियाणा का है. ये जानकारी सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने 5 अप्रैल को राज्य सभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी. सरकार के मुताबिक देश में पिछले पांच सालों में सीवर और सेप्टिक टैंक साफ करने में कुल 308 लोगों की मौत हुई है. दिल्ली में 33 और पंजाब में सात लोगों की मौत हुई. अठावले ने सदन को ये भी बताया कि मैनुअल स्कैवेंजिंग में लगे लोगों की कोई रिपोर्ट नहीं है.
जिसे 6 दिसंबर, 2013 को प्रतिबंधित कर दिया गया था. इस बीच, हरियाणा राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष कृष्ण कुमार ने कहा कि हरियाणा में ज्यादातर मौतें निजी सेप्टिक टैंक की सफाई करने वाले अप्रशिक्षित कर्मचारियों की हुई हैं. सरकारी क्षेत्र में सीवर की सफाई के लिए मशीनों का प्रयोग किया जाता है. पिछले सात दिनों में ही बहादुरगढ़ में सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान चार और पानीपत में दो की सीवर में गिरकर मौत हो गई. सभी अप्रशिक्षित कर्मचारी थे.