चंडीगढ़ः कोरोना वायरस के कारण वैश्विक बाजारों के लिए बीते कुछ सप्ताह बेहद तनावपूर्ण रहे हैं और कुछ विशेषज्ञों ने तो मंदी की आहट की चेतावनी भी दी है. कोरोना वायरस के चलते भारत में 21 दिनों का लॉकडाउन लगा हुआ है. ऐसे में कई तरह के सवाल हमारे मन में उठ रहे हैं. जैसें ठप पड़े बाजारों का देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा? क्या हमारी अर्थव्यवस्था इन हालातों से लड़ने में सक्षम है? और भी जाने क्या-क्या सवाल लोगों के मन में आ रहे हैं. आपके और हमारे इन्हीं सब तमाम सवालों को लेकर ईटीवी भारत ने आर्थिक मामलों के जानकार बिमल अंजुम से खास बातचीत की.
सवाल- सरकार द्वारा विभिन्न सेक्टरों को दी गई रिलीफ का अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ेगा असर?
जवाब- आर्थिक मामलों के जानकार बिमल अंजुम का कहना है कि कोरोना वायरस की महामारी विश्वव्यापी है. देश के प्रधानमंत्री के सामने इसको लेकर दो ही विकल्प थे, या तो वह अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए इस महामारी को अपना लेते या फिर उस से मुकाबला करते. ऐसे में प्रधानमंत्री ने उससे लड़ने की ठान ली. अंजुम का कहना है कि इतने दिनों के लॉक डाउन का अर्थव्यवस्था पर बुरा असर तो पड़ेगा. अर्थव्यवस्था से जुड़े सभी सेक्टरों के सामने इसको लेकर कई तरह की परेशानियां भी आएंगी.
इस वक्त ग्लोबल ग्रोथ रेट 2.9 के आसपास है हम छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं. मार्केट ऊपर जा रही है इसका उस पर सीधा असर पड़ रहा है. उनके मुताबिक इन्फ्लेशन रेट का एकदम ऊपर जाना और एकदम नीचे आ जाना भी अर्थव्यवस्था के हिसाब से अच्छा नहीं माना जाता है. विमल का कहना है कि वह मानते हैं इन्फ्लेशन, डिफ्लेशन से बेहतर है. और जैसे वर्तमान स्थिति में लोगों का प्रधानमंत्री पर विश्वास है. उसे देखते हुए हमारी मार्केट इन्फ्लेशन की ओर जाएगी इसकी सम्भावनाएं ज्यादा हैं. हमें भी इन हालातों से मिलने के लिए तैयार रहना होगा जिससे अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे लाइन पर आएगी.
सवाल - बरोजगारी के बढ़ते आंकड़ो से कैसे लड़ेगी सरकार?
जवाब- विमल अंजुम के मुताबिक बेरोजगारी बहुत बड़ी समस्या है. वर्तमान में यह एक अनुमान के मुताबिक 23 फीसद से अधिक है, इसमें अभी 10 से 12 फ़ीसदी की वृद्धि और हो सकती है. वह इसलिए क्योंकि उद्योग भले ही आने वाले दो-तीन महीनों में शुरू हो जाएं, लेकिन जो कामगार जिन हालातों में वर्तमान में काम छोड़कर गए हैं. वह एकदम वापस नहीं आ पाएंगे. उनको फिर से खुद को वापस लेकर खड़ा करना आसान नहीं होगा.
जब तक उद्योग अपनी रफ्तार नहीं पकड़ेंगे तब तक रोजगार मिलना भी मुश्किल होगा. क्योंकि सरकार के पास रोजगार बांटने की कोई तकनीक नहीं है. क्योंकि रोजगार को हमेशा जनरेट करना पड़ता है. बिमल का कहना है कि कुछ लोगों ने सुझाव दिया है कि पब्लिक कंस्ट्रक्शन वर्क पर दो साल तक रोक लगा देनी चाहिए, लेकिन इस पर रोक लगाना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है क्योंकि इससे बेरोजगारी और ज्यादा रफ़्तार से बढ़ेगी.
सवाल- उद्योग जगत किस तरह इन हालातों से लड़ सकता है?
जवाब- बिमल अंजुम के मुताबिक वर्तमान दौर में हमें उद्योग जगत की उम्मीदों को बढ़ाना होगा. इसके लिए हमें उनको जीएसटी में भी कुछ छूट देनी होगी. प्रोडक्शन को बढ़ाने पर काम करना होगा. इसके लिए उद्योगों को जो जीएसटी का रिफंड मिलता है सर्कारवको उसे उन्हें जल्द से जल्द देने की व्यवस्था करनी होगी.
बैंक भी जो अभी वर्तमान में उद्योगों के हितों में योजनाएं चला रहे हैं उन्हें भी जारी रखना होगा. हालांकि अंजुम का कहना है कि वर्तमान में हमारे अधिकतर बैंक एनपीए हुए पड़े हैं. वह इन हालातों में ज्यादा वित्तीय मदद उद्योग की नहीं कर सकते. लेकिन वह वर्किंग कैपिटल को संचालित रखने में मदद कर सकते हैं. साथ ही सरकार को कम से कम अगले 6 महीने में इस पर ध्यान देने की जरूरत है. जिससे अर्थव्यवस्था की विकास दर को भी बनाए रखा जा सकता है.