चंडीगढ़: 'दिल्ली चलो' आंदोलन के तीसरे दिन किसान हरियाणा और दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं. उनकी आगे की रणनीति क्या होगी ये अभी तक साफ नहीं है. किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे नहीं मनी जाती तब तक वो हटेंगे नहीं. दिल्ली सरकार ने उन्हें बुराड़ी में निरंकारी मैदान पर प्रदर्शन की अनुमति दी है, लेकिन किसान इस बात की जिद्द पर अड़े हैं कि या तो वो सिंघु बॉर्डर पर ही प्रदर्शन करेंगे या उन्हें दिल्ली जाने दिया जाए.
गृहमंत्री अमित शाह ने किसानों को बात करने का न्योता दिया है. अमित शाह ने कहा कि सरकार 3 दिसंबर से पहले भी बात करने को तैयार है. उन्होंने शर्त रखते हुए कहा कि किसानों को तय जगह यानी बुराड़ी आना पड़ेगा.
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If farmers' unions want to hold discussion before 3rd December then, I want to assure you all that as soon as you shift your protest to designated place, our government will hold talks to address your concerns the very next day: Union Home Minister Amit Shah https://t.co/HjAcecdqQF
— ANI (@ANI) November 28, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) November 28, 2020If farmers' unions want to hold discussion before 3rd December then, I want to assure you all that as soon as you shift your protest to designated place, our government will hold talks to address your concerns the very next day: Union Home Minister Amit Shah https://t.co/HjAcecdqQF
— ANI (@ANI) November 28, 2020
इसपर किसानों ने कहा कि हम रविवार सुबह 9 बजे बैठक कर आगामी रणनीति का फैसला करेंगे. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी किसानों से गृह मंत्री अमित शाह के बात मानने की अपील की. अमरिंदर सिंह ने कहा कि इसका समाधान बातचीत के जरिए ही निकलेगा.
एक तरफ जहां किसान दिल्ली जाने के लिए धरने पर बैठे हैं. वहीं इस बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ये बयान दिया है कि किसानों को प्रदर्शन में अराजक तत्वों की भीड़ घुस आई है. सोशल मीडिया में वायरल हो रहे कथित खालिस्तानी समर्थकों के वीडियो के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार इसकी जांच करेगी.
वहीं मनोहर लाल का ये भी दावा है कि ये आंदोलन पंजाब के किसानों का आंदोलन है. हरियाणा के किसानों ने इस आंदोलन में कोई भागीदारी नहीं की है. जब कथित खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर सीएम खट्टर से सवाल पूछा गया तो उसके जवाब में उन्होंने कहा कि 'इस पूरे मामले में खालिस्तानी कनेक्शन भी हो सकते हैं, क्योंकि इस तरह की नारेबाजी भी की जा रही है कि इंदिरा गांधी को हम मार सकते हैं तो मोदी को क्यों नहीं. इस बात के कुछ इनपुट भी मिले हैं. इसकी जांच की जा रही है.'
पंजाब के मुख्यमंत्री का सीएम पर निशाना
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि जब तक मनोहर लाल किसानों के खिलाफ क्रूरता के लिए माफी नहीं मानेंगे. तब तक वो उनसे बात नहीं करेंगे. अमरिंदर सिंह ने कहा कि हरियाणा के सीएम खट्टर ने मेरे किसानों के साथ जो किया है उसके लिए वो उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे. पंजाब के सीएम ने कहा कि जबतक हरियाणा के सीएम उनसे माफी नहीं मांगेंगे तक तक वो उनसे बात नहीं करेंगे. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि हरियाणा के सीएम कभी किसानों को खालिस्तानी बताते हैं तो कभी किसान आंदोलन के लिए मुझे दोष देते हैं. ऐसे में उन्हें पहले अपने दिमाग का इलाज करवा लेना चाहिए.
सुखबीर बादल का मनोहर लाल पर निशाना
शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के खालिस्तान वाले बयान की निंदा की है. उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को खालिस्तानों को रूप में बताया गलत है. सुखबीर बादल ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल को उस किसान का अपमान नहीं करना चाहिए. जिसने भारत को आत्मनिर्भर बनाया है. सुखबीर बादल ने कहा कि सीएम खट्टर को अपना बयान वापस लेना चाहिए और केंद्र सरकार से कहना चाहिए कि वो किसानों से जाकर बात करे और उनकी समस्या सुने. किसानों की शिकायत सुनने की जगह वो खालिस्तान की दलाली ना करें.
वहीं हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज किसान आंदोलन का ठीकरा पंजाब सरकार पर फोड़ रहे हैं. अनिल विज ने कहा कि 'किसान कानून पूरे देश के लिए है. पंजाब को छोड़कर पूरे देश के किसानों ने इन कानून को स्वीकार किया है. पंजाब में अमरिंदर सिंह की इंजीनियरिंग की वजह से ये आंदोलन हुआ. केंद्रीय मंत्री ने किसानों को बातचीत के लिए बुलाया है. उम्मीद है कि किसानों को बात समझ में आ जाएगी.'
इस बीच बीजेपी की सहयोगी पार्टी के नेता दिग्विजय चौटाला ने सरकार से मांग की है कि 'केंद्र सरकार 3 दिसंबर तक बातचीत का इंतजार ना करे. आज ही किसानों के संगठन को बुलाकर उनके साथ सकारात्मक बातचीत की जाए. किसानों के भ्रम और शंकाओं को दूर करने का काम किया जाए.
टिकरी बॉर्डर पर दीपेंद्र ने दिया किसानों को समर्थन
तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान दिल्ली को हरियाणा से जोड़ने वाले टिकरी बॉर्डर बहादुरगढ़ पर भी इकट्ठे हैं. यहीं पर किसान आगे की रणनीति बना रहे हैं. किसान 11 मेंबरी कमेटी बनाकर आगे की रणनीति तैयार कर रहे हैं. टिकरी बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर पहुंचे हुए हैं. किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा. चाहे उन्हें अपनी मांग मंगवाने के लिए 6 महीने लग जाए. वो मांग नहीं माने जाने तक सड़कों पर ही डटे रहेंगे. राज्यसभा सांदद दीपेंद्र हुड्डा ने टिकरी बॉर्डर पहुंचकर किसानों को समर्थन दिया
कुछ किसानों को पुलिस ने सोनीपत में ही रोक लिया. जिसके बाद किसानों ने कुंडली बॉर्डर पर डेरा डाल दिया. किसानों ने हाईवे पर ही खाना बनाना शुरू कर दिया. हाई-वे पर ही अपने ट्रक को खड़ा कर किसान वहीं रूके हैं. जिसकी वजह से कुंडली से राई तक करीब 10 किलोमीटर तक लंबा जाम लग गया. जिसमें ज्यादातर तो सिर्फ किसानों के ट्रैक्टर-ट्रॉली ही सड़कों पर मौजूद रहे.
किसानों के दिल्ली कूच को देखते हुए दिल्ली प्रशासन ने हरियाणा से दिल्ली में प्रवेश करने वाले कई बॉर्डर को बंद कर दिया गया है. जो बॉर्डर किसान आंदोलन से अछूते हैं. उसे खोल दिया गया है. इस बीच हरियाणा के अलग-अलग जिलों में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी के साथ-साथ कई किसान नेताओं के खिलाफ पुलिस ने IPC की धारा 307 के तहत मामले दर्ज किए हैं.