चंडीगढ़ः हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने अपनी पैरोल अवधि चार सप्ताह तक बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दायर की थी. जेबीटी भर्ती मामले में दस साल की सजा काट रहे ओम प्रकाश चौटाला की पत्नी स्नेहलता चौटाला का 11 अगस्त को लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया था. उनकी पत्नी ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली थी. चौटाला को अंतिम संस्कार के लिए पैरोल मिली थी. ओपी चौटाला ने अपनी पत्नी के अंतिम संस्कार के बाद की प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए पैरोल बढ़ाने की मांग की है.
हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
गौरतलब है कि गुरुग्राम के अस्पताल में चौटाला की पत्नी स्नेहलता का निधन हो गया था. इसके बाद दिल्ली सरकार ने उनकी पैरोल की अर्जी को मंजूरी दे दी थी. ओपी चौटाला की पैरोल 27 अगस्त को समाप्त हो रही है. दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने दिल्ली सरकार से याचिका पर जवाब मांगा है और मामले की सुनवाई अब 26 अगस्त यानी सोमवार को होगी. ओपी चौटाला द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उनके पोते की शादी इस साल के अंत में होने की उम्मीद है, इसलिए 40 दिनों की रस्म क्रिया का पालन किया जाना आवश्यक है. इसमें कहा गया है कि चौटाला की दिवंगत पत्नी के अंतिम अरदास कार्यक्रम में हिस्सा लेना आवश्यक है.
पोते की सगाई में भी ली थी पैरोल
ओपी चौटाला इससे पहले 18 जुलाई को अपने पोते के सगाई में हिस्सा लेने के लिए पैरोल पर छूटे थे. चौटाला उनके बेटे अजय और तीन अन्य लोग इस मामले में दस दस साल के जेल की सजा काट रहे हैं. उच्चतम न्यायालय ने अगस्त 2015 में उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली चौटाला की याचिका खारिज कर दी थी जिसमें निचली अदालत द्वारा दी गयी सजा को बरकरार रखा था.
इस मामले में सजा काट रहे चौटाला
जेबीटी टीचर भर्ती घोटाले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 16 जनवरी 2013 को ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला समेत 55 लोगों को आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी करार देते हुए 10 साल की सज़ा सुनाई थी. ओम प्रकाश चौटाला, अजय चौटाला के अलावा तत्कालीन बेसिक एजुकेशन डायरेक्टर संजीव कुमार, चौटाला के पूर्व विशेष अधिकारी विद्याधर और राजनीतिक सलाहकार शेर सिंह बड़शामी को भी कोर्ट ने सजा सुनाई थी. साल 1999-2000 में हरियाणा के 18 जिले में हुई 3206 जेबीटी टीचरों की भर्ती में मानदंडों को ताक पर रखकर मनचाहे अभ्यर्थियों की भर्ती की गई थी, जिसके बाद ये मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था.