चंडीगढ़: बदलती जीवन शैली के कारण आज मोटापा आम बीमारी हो गई है, यह बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी में देखा जा रहा है. मोटापा बढ़ने की बड़ी वजह जीवनशैली है. जिसके चलते लोग सही खान पान पर ध्यान नहीं रख पाते हैं. ऐसे में बढ़ते मोटापे को देखते हुए लोग अक्सर कई तरह तरह के टोटके भी अपनाते हैं, लेकिन वे भी बेअसर दिखाई पड़ते हैं. कई बार डॉक्टर तक पहुंचने तक मोटापा एक जानलेवा बीमारी का रूप धारण कर लेता है. ऐसे में मोटापे जैसी जटिल बीमारी को सही करने के लिए इंडोस्कोपिक स्लीव गैस्ट्रोप्लास्टी तकनीक कारगर साबित हो रही है. इसके जरिए मोटापा का इलाज संभव हो रहा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के शहरी क्षेत्रों की कुल आबादी के लगभग 3 करोड़ लोग ओबीज की श्रेणी में आ गए हैं. मोटापे को कम करने में वेट लॉस सर्जरी की लेटेस्ट तकनीक इंडोस्कोपिक स्लीव गैस्ट्रोप्लास्टी कारगर सिद्ध हो रही है. इसमें कोई शक नहीं कि मोटापा अपने साथ कई तरह की बीमारियों को भी अपने साथ लेकर आता है. जैसे डायबिटीज, हाई बीपी, हृदय रोग, जोड़ों की समस्याएं और लकवा के पीछे एक बड़ा कारण मोटापा भी रहा है. ऐसे में इस तकनीक से मोटापे की समस्या का हल किया जाता है.
क्या है इंडोस्कोपिक स्लीव गैस्ट्रोप्लास्टी: इंडोस्कोपिक स्लीव गैस्ट्रोप्लास्टी तकनीक के माहिर डॉ. राजन मित्तल व डॉ. एस. पी. एस. बेदी ने जानकारी देते हुए बताया कि मोटापा एक चरण के बाद गंभीर बीमारियों का रूप ले लेता है. इसका इलाज वेट लॉस सर्जरी की लेटेस्ट तकनीक यानी इंडोस्कोपिक स्लीव गैस्ट्रोप्लास्टी से संभव है. इस सर्जरी के कुछ घंटों बाद ही मरीज घर जा सकता है. सभी तरीके अपनाने के बाद भी जब मोटापा नहीं घटता है तभी कोई डॉक्टर के पास सर्जरी के लिए आता है.
पढ़ें : जूनियर कोच से छेड़छाड़ मामला: SIT ने कोर्ट से की संदीप सिंह की ब्रेन मैपिंग करवाने की मांग
उन्होंने बताया कि सर्जरी के लिए बॉडी मॉस इंडेक्स देखा जाता है. मोबाइल में बीएमआई की एप से भी अपना बीएमआई तुरंत देखा जा सकता है. इसके लिए एप में अपना वजन व हाईट सेंटीमीटर में डालकर देखा जा सकता है. इसके अलावा आपका वजन कितना ज्यादा है, इसको देखने का एक सरल तरीका है, अपना वजन किलो में नोट करेंगे और हाइट सेंटीमीटर में. अपनी हाइट में से 100 घटा देंगे तो आपको पता चल जाएगा कि आपका वजन कितना ज्यादा है. शरीर में वजन बढ़ने के साथ- साथ वसा का जमाव स्त्री-पुरुष में अलग-अलग जगहों पर होता है. जैसे पुरुषों में मुख्यतः छाती व पेट में और औरतों में जांघों व कमर के नीचे के भागों में वसा जमा होती है.