चंडीगढ़: कोरोना वायरस ने सभी तरह के व्यव्साय को प्रभावित किया है. हालांकि, लॉकडाउन के तीसरे चरण में कई तरह की रियायते दी हैं. जिसके बाद दुकानें, सैलून और कंपनियों को शर्तों के साथ खोला जा रहा है. अगर बात बसों की करें तो ग्रीन और ऑरेंज्र जोन में कुछ बसों को चलने की परमिशन मिली है, लेकिन चंडीगढ़ में ऐसा नहीं है.
चंडीगढ़ में भी लॉकडाउन और कामकाज बंद होने के चलते सैकड़ों प्राइवेट वॉल्वो और डिलेक्स बसें सड़कों पर खड़ी हैं. कुछ ट्रांसपोटर्स टूर एंड ट्रेवल्स में या अलग-अलग स्कूलों में बसें चलाते हैं. इन ट्रांसपोटर्स को बसों का खर्चा भी निकाल पाना मुश्किल हो गया है.
चंडीगढ़ प्राइवेट बस ऑपरेटर्स ने बताया कि साल के इन महीनों में ही उनके पास ज्यादा काम होता था. गर्मी में ही पर्यटक घूमने आया करते थे, लेकिन कोरोना से सब कुछ बर्बाद कर दिया. उन्होंने बताया कि फरवरी के आखिरी दिनों से ही बुकिंग कैंसिल होनी शुरू हो गई थी. जिसके बाद से उनकी बसें खड़ी हैं.
प्राइवेट बस ऑपरेटर ने बताया कि हर महीने बस की EMI करीब 40 से 50 हजार के बीच जाती है, डाइवर की सैलरी 10 हजार और हेल्पर की सैलरी 6 हजार है. उसके बाद जो बचता था उससे घर खर्च चल था, लेकिन बसें नहीं चल रही हैं. ऐसे में ड्राइवर और हेल्पर को सैलरी देना भी मुश्किल हो रहा है.
वहीं एक दूसरे प्राइवेट बस ऑपरेटर ने कहा कि सरकार प्रवासी मजदूरों को भेजने के लिए सरकारी बसों का इस्तेमाल कर रही हैं, जबकि उनकी जगह प्राइवट बसों का भी इस्तेमाल हो सकता था. अगर सरकार प्राइवेट बसों का इस्तेमाल करती तो उन्हें थोड़ी राहत मिल जाती.
ये भी पढ़िए: जब होनी थी सबसे ज्यादा कमाई तभी हो गया लॉकडाउन, टैक्सी ड्राइवर कैसे भरेंगे किश्त?
बता दें कि चंडीगढ़ में सैकड़ों ट्रांसपोर्टर हैं, जिनकी हजारों प्राइवेट बसें सड़कों पर खड़ी हैं. ये समय प्राइवेट बस ट्रांसपोर्टर्स के लिए भी बेहद मुश्किलों भरा है. काफी समय से बसें खड़ी हैं. बसों की सर्विस करवाना भी मुश्किल हो गया है, क्योंकि बसों के चलने से ही खर्चा पूरा हो पाता था. ऐसे में अब प्राइवेट बस ऑपरेटर सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि रोडवेज बसों की ही तरह उन्हें भी पास जारी कर प्रवासी मजदूरों को लाने ले जाने के काम में उतारा जाए. वहीं उन्हें EMI की किश्त जमा करने में कुछ और महीनों का वक्त दिया जाए.