चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने ई टेंडरिंग विवाद पर अपनी स्थिति को आज पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है. सरकार जो बदलाव ई टेंडरिंग में कर रही है, उसके संबंध में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज प्रेस वार्ता कर मीडिया को जानकारी दी. हालांकि अभी भी हरियाणा के कुछ सरपंच अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं और 16 मांगों को पूरा करने को लेकर विरोध जता रहे हैं. जिसके तहत उन्होंने 17 मार्च को विधानसभा के घेराव का भी कार्यक्रम रखा है.
क्या है तीन टायर सिस्टम: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चंडीगढ़ में आज मीडिया से बात करते हुए कहा कि पंचायती राज सिर्फ पंचायत ही नहीं है, बल्कि पंचायती राज 3 टायर सिस्टम है. जिसमें जिला परिषद, पंचायत समितियां और ग्राम पंचायत है. उन्होंने कहा कि जिला परिषद के चेयरमैन के साथ बीते दिनों हमने मीटिंग की थी. जबसे चुनाव हुआ 1 क्वार्टर का समय शेष था. हमने तीनों टायर में 1100 करोड़ की राशि ग्रांट की थी.
जिला परिषदों की जिम्मेदारी: उन्होंने जानकारी देते हुए यह भी कहा कि जिला परिषद का अलग से अपना कार्यालय हो ऐसा सुनिश्चित किया गया. कर्नाटक में जिला परिषद सशक्त है, जहां-जहां पंचायती राज सिस्टम अच्छा है, वहां हमारी टीमें जाएगी और अध्ययन करेगी. खेत खलिहान योजना के अंतर्गत जो रास्ते हैं, उनकी मेंटेनेंस जिला परिषद करेगी. स्ट्रीट लाइट, ई-लाइब्रेरी का काम जिला परिषद करेगी. मिड डे मील का काम भी जिला परिषद करेगी.
पारदर्शिता के साथ होगा काम: सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत जो कार्य होंगे वह भी जिला परिषद करेगी. जिला परिषद के सीईओ और चेयरमैन की मीटिंग हर तीन महीने में होगी. पंचायत समिति की भी बैठक होनी है. सरपंचों का जो चुनाव हुआ उसके बाद जो भी काम पारदर्शिता के साथ हो. उस दिशा में सरकार काम करेगी. इसलिए ई- टेंडरिंग की व्यवस्था को लाया जाएगा. उसके बाद विवाद हुआ. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हिसार मेले में सबसे पूछा ई-टेंडरिंग की व्यवस्था सही है या नहीं सबने कहा कि सही है.
सरपंचों के काम की बढ़ी लिमिट: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि ई टेंडरिंग के तहत राशि सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि जो फैसला एक बार ले लिया वह अंतिम है. यानि मुख्यमंत्री ने ई टेंडरिंग का विरोध कर रहे सरपंच एसोसिएशन की मांग को पूरी तरीके से खारिज कर दिया है. क्योंकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सरकार जो फैसला करती है वह अंतिम होता है. बदलने का कोई विचार नहीं है.
विकास कार्यों की गुणवत्ता की जांच करेगी सरकार: इसके साथ ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ई टेंडरिंग पर किए गए फैसले के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अब ई टेंडरिंग से होने वाले काम का सोशल ऑडिट भी करवाया जाएगा. इसके लिए जल्दी नियम कानून बना दिए जाएंगे. ऑडिट के लिए गांव के प्रबुद्ध लोगों की एक कमेटी बनाई जाएगी जो विकास कार्यों की गुणवत्ता की जांच करेगी.
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पंचों और सरपंचों का बढ़ाया मानदेय: मुख्यमंत्री के बयान के मुताबिक नई ई टेंडरिंग प्रणाली में बड़ी पंचायती साल में सालाना 25 लाख का कार्य कोटेशन के जरिए करवा सकेगी. जबकि छोटी पंचायतों में यह सीमा कुल बजट की 50% रखी गई है. साथ ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ग्राम सचिवों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट लिखने में सरपंचों के कमेंट को भी जरूरी कर दिया है. इसके अलावा सरपंचों का मानदेय 3000 से बढ़ाकर 5000 रुपये और पंचों का मानदेय 1000 से बढ़ाकर 1600 रुपये भी कर दिया है. साथी निर्माण कार्य में गुणवत्ता को लेकर सरपंच के आपत्ती पर तब तक भुगतान नहीं किया जाएगा. जब तक उसका ऑडिट नहीं हो जाता है, अब गांव में कुल बिजली के भुगतान का 1% भी ग्राम पंचायत के खाते में हर 3 महीने बाद भेज दिया जाएगा.
पंचायतों में काम की जांच कर रही सरकार: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस मौके पर पंचायतों द्वारा विकास कार्यों को लेकर दिए गए प्रस्तावों की भी जानकारी मीडिया से साझा की. उन्होंने कहा कि कुल 6217 पंचायतें हैं जिनमें से 5048 पंचायतों ने काम करना शुरू कर दिया है. लेकिन 1169 पंचायतों ने काम शुरू नहीं किया है. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हरियाणा में पिछली पंचायतों के दौरान चुने गए 1100 सरपंचों ने अभी तक अपने विकास के संबंधित रिकॉर्ड कार्य जमा नहीं करवाए हैं. जिसको लेकर सरकार जांच करवा रही है.
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'गुमराह करने की साजिश': हरियाणा सरपंच एसोसिएशन के अध्यक्ष रणबीर समैण मुख्यमंत्री की तरफ से ईटेंडरिंग की सीमा 2 लाख से 5 लाख करने की घोषणा को गुमराह करने की साजिश बताया है. समैण ने कहा कि 5 लाख करने के साथ ही 5 काम करवाने की शर्त भी रख दी गई है. ये आंदोलन को कमजोर करने का प्रयास है. समैण ने कहा 17 मार्च को विधानसभा के घेराव का कार्यक्रम तय है. इसमें पहले से भी ज्यादा मजबूती से जुटेंगे , सरकार दबाव में है 50 लाख तक कि शर्त को माना जायेगा.