चंडीगढ़: हरियाणा में रेत की अवैध माइनिंग बड़े रूप में होती है. अब इस पर लगाम लग सकेगी. पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर ने जियो स्पेस टेक्नोलॉजी की मदद से सॉफ्टवेयर तैयार किया है. अभी तक इस सॉफ्टवेयर के जरिए हिमाचल, उत्तराखंड में भी अवैध माइनिंग को रोकने और ऑडिट करने में मदद मिली है .इस सॉफ्टवेयर की मदद से, अवैध रेत खनन को कैसे रोका जाए (How To Stop Illegal Sand Mining) ? इस सवाल का जवाब मिल गया है.
सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है? : पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के अस्टिटेंट प्रोफेसर ने बताया कि ये सॉफ्टवेयर दो तकनीक की मदद से बनाया गया है. इसमें जीआईएस यानि जियोग्राफिकल इंफॉरमेशन सिस्टम(GIS) और रिमोट सेसिंग (RS) दोनों तकनीक हैं. इसमें पहली तकनीक जगह का नक्शा तैयार करती है. तो दूसरी जमीन में हुए परिवर्तन को देखती है. इसके जरिए किसी भी जगह में परिवर्तन को एक साथ कम्प्यूटर पर देखा जा सकता है. इस सॉफ्टवेयर से उस जगह की स्थिति की जांच कर सकते हैं जहां पर माइनिंग चल रही है. जगह में किसी भी प्रकार का परिवर्तन होता है तो भी सॉफ्टवेयर पकड़ लेता है.
हरियाणा सरकार ने ली मदद: सरकार को यमुनानगर में होने वाली अवैध रेत माइनिंग को रोकना था. साथ ही ऑडिट के सिलसिले में इंजीनियरिंग कॉलेज से मदद मांगी गई थी. कॉलेज का स्टॉफ फील्ड में जा नहीं पा रहा था. इस वजह से तकनीक का उपयोग करते हुए एक ही जगह से माइनिंग को देखने का फैसला लिया गया. इसके बाद GIS और RS का एक साथ उपयोग करने के बारे में रणनीति बनाई गए. प्रोफेसर बताते हैं कि इस काम में वे सफल हो गए. इसके बाद अन्य राज्यों के साथ भी उन्होंने कई प्रोजेक्ट किए हैं. इन राज्यों के लिए जो रिपोर्ट तैयार की गई है. उस रिपोर्ट को ऑडिट जनरल ने अपनी रिपोर्ट में शामिल भी किया है.
मुख्य भूमिका सैटेलाइट की: प्रोफेसर संधू ने बताया कि जीआईएस में सबसे अहम रोल सैटेलाइट का होता है.इसकी मदद चंडीगढ़ में रहते हुए भी उन इलाकों पर नजर रखी जा सकती है, जहां पानी का बहाव है और रेत माइनिंग की जा रही है.अवैध माइनिंग करने वाले नियमों को ताक पर रखते हैं. वे नदियों पर पुल भी बना देते हैं. इसका पता सैटेलाइट की तस्वीरों से लगता है. ऐसे पुल ज्यादा देर तक नहीं रहते हैं. जब उनका फिजीकल वेरीफिकेशन होता है तो पुल जगह से गायब मिलते हैं. ऐसे में ये सॉफ्टवेयर पुरानी तस्वीरों को उपलब्ध कराता है.