चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार पर सवालों की बौछार की. उन्होंने बीजेपी सरकार के 5 साल और बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार के 2 साल सहित कुल 7 साल पूरे होने पर प्रदेश में बेरोज़गारी, कोरोना काल में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव और बड़े पैमाने पर लोगों की मौत, हरियाणा से बड़ी मंजूरशुदा परियोजनाओं के दूसरे राज्यों में चले जाने, महंगाई, डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों, प्रदेश पर कर्ज के बढ़ते बोझ, घटते बिजली उत्पादन सहित किसान आन्दोलन को सत्ता की ताकत के बल पर कुचलने के सरकारी प्रयासों पर हरियाणा सरकार से जवाब मांगा.
भूपेंद्र सिंह ने पूछा कि अलग-अलग सरकारी महकमों में कर्मचारियों के कितने पद खाली पड़े हुए हैं? सरकार इन पदों को क्यों नहीं भर रही है? पक्की भर्तियां करने की बजाय कच्ची भर्तियों के जरिए क्यों काम चलाया जा रहा है? हुड्डा ने पूछा कि सरकार बताए कि कोरोना काल के दौरान बिना ऑक्सीजन, बिना दवाई, अस्पताल, बेड और बिना इलाज के कितने लोगों ने अपनी जान गंवाई? सरकार ने ऐसे लोगों की पहचान करने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया? कोरोना से मौत के सरकारी आंकड़े और इस दौरान जारी हुई मौतों की संख्या में इतना बड़ा अंतर क्यों है?
नेता प्रतिपक्ष ने पूछा कि कांग्रेस सरकार के समय मंजूर हुई रेल कोच फैक्ट्री और महम एयरपोर्ट जैसी बड़ी परियोजनाएं दूसरे प्रदेशों में क्यों चली गई? इन मंजूरशुदा परियोजनाओं को हरियाणा से छीने जाने का प्रदेश सरकार ने क्यों विरोध नहीं किया? महंगाई और डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से आम हरियाणवी को राहत देने के लिए प्रदेश सरकार क्या कदम उठाए? इस सरकार ने कांग्रेस कार्यकाल की तुलना में वैट की दर को डबल करके प्रदेश की जनता पर महंगाई का बोझ क्यों बढ़ाया?
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इस सरकार के 7 साल में प्रदेश में कोई बड़ी परियोजना, उद्योग, संस्थान, नई मेट्रो लाइन या रेलवे लाइन नहीं आई. बावजूद इसके, पिछले 7 साल में प्रदेश पर कर्ज का बोझ 60 हजार करोड़ से बढ़कर करीब ढाई लाख करोड़ कैसे हो गया? इतना रुपया कहां खर्च हो गया? कांग्रेस कार्यकाल में 4 पावर प्लांट निर्माण करके हमने हरियाणा को पावर सरप्लस स्टेट बनाया था, लेकिन बीजेपी जेजेपी सरकार के दौरान लगातार बिजली का उत्पादन क्यों घट रहा है? देशभर के किसानों के साथ सबसे ज्यादा हरियाणा के किसान कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत हैं. आंदोलन का सकारात्मक समाधान निकालने के लिए प्रदेश सरकार ने क्या कदम उठाए? प्रदेश सरकार ने केंद्र के सामने किसानों की वकालत करने की बजाय, इन्हें सत्ता की ताकत के बल पर कुचलने की कोशिश क्यों की?