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ऐसी मशीन जो सोशल डिस्टेंसिंग की मार्किंग खुद करेगी, बस ऑन करना होगा एक बटन

चंडीगढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज के एक प्रोफेसर ने अपने दो छात्रों के साथ मिलकर ऐसी मशीन तैयार की है, जो बिना किसी इंसानी मदद के कहीं भी मार्किंग कर सकती है. ये मशीन कोरोना काल में सोशल डिस्टेंस बनाने के लिए मार्क लगाने के काम आ सकती है.

automatic marking machine invention chandigarh
एक ऐसी मशीन जो सोशल डिस्टेंसिंग की मार्किंग खुद करेगी
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Published : Jul 8, 2021, 9:36 PM IST

Updated : Jul 8, 2021, 10:59 PM IST

चंडीगढ़: कोरोना वायरस को दूर रखने में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग ने एक अहम भूमिका अदा की है. सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे इसके लिए बकायदा दुकानों और सार्वजनिक स्थानों पर विशेष निशान भी बनाए जाते हैं, ताकि इन निशानों पर खड़े होकर लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर सकें.

ऐसे में चंडीगढ़ के एक प्रोफेसर ने अपने दो छात्रों के साथ मिलकर एक ऐसी मशीन तैयार की है जो सोशल डिस्टेंसिंग की मार्किंग खुद-ब-खुद करेगी. इस मशीन को इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ के प्रोफेसर गुरजीत सिंह और उनके दो छात्रों ने तैयार किया है. इस मशीन को बनाने का उद्देश्य ये है कि मशीन बिना इंसानी देखरेख के अपने आप सही जगह पर मार्किंग कर सके.

एक ऐसी मशीन जो सोशल डिस्टेंसिंग की मार्किंग खुद करेगी

मशीन के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. गुरजीत सिंह ने बताया कि हम आमतौर पर देखते हैं कि दुकानों, शॉपिंग मॉल्स और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर निशान लगाए जाते हैं ताकि लोग उन निशानों पर खड़े होकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर सकें. इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमनें एक ऐसी मशीन तैयार करने की है जो बिना किसी देखरेख के अपने आप मार्किंग कर सकती है.

अलग-अलग जगहों पर जाकर इस मशीन की सिर्फ प्रोग्रामिंग सेट करनी होगी. जिसके बाद प्रोग्रामिंग के हिसाब से ये अपने आप पूरी जगह की मार्किंग कर देगी. चाहे वो सड़क हो, स्कूल हो, कोई स्टेडियम हो या अन्य कोई जगह हो. इसमें जीपीएस की सहायता ली जाएगी. जीपीएस की सहायता से इस मशीन को ये आदेश दिया जा सकता है कि उसे कितनी जगह में मार्किंग करनी है और उस मार्किंग का डिजाइन क्या होगा. इसके बाद ये मशीन अपने आप उस जगह की मार्किंग कर देगी.

ये भी पढ़िए: पाबंदी होने के बावजूद इस जिले में धड़ल्ले से बिक रही है थाई मांगुर मछली, इसे खाने से हो सकती है ये गंभीर बीमारियां

इस मशीन को बनाने वाली टीम में शामिल छात्र युवराज ने बताया कि इस मशीन में एक कैमरा और एक आरडी नो लगाया गया है. आरडी नो को इस मशीन का दिमाग कहा जा सकता है, जो इस मशीन को काम करने के लिए आदेश देता है. इसमें एक कैमरा भी लगाया गया है, जिससे इस मशीन को ये पता रहता है कि मार्किंग ठीक तरीके से हो रही है या नहीं. अगर कहीं पर मार्किंग गलत होती है तो ये मशीन खुद ही रुक जाती है.

automatic marking machine invention chandigarh
खुद निशान लगाती मशीन

ये भी पढ़िए: हरियाणाः कहीं ऊंट ने खींची कार, कहीं इंसानों ने ट्रैक्टर, देखिए किसान प्रदर्शन की अनोखी तस्वीरें

हालांकि ये मशीन अपने शुरुआती चरण में है, लेकिन जब इस मशीन में सभी सिस्टम लगा दिए जाएंगे और उसका आकार भी बड़ा कर दिया जाएगा तब ये मशीन काफी कारगर साबित हो सकती है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि सड़कों पर मार्किंग करते वक्त ट्रैफिक को रुकना नहीं पड़ेगा. ट्रैफिक चलने के साथ-साथ ये मशीन मार्किंग कर सकती है. इस मशीन से इस तरह के सभी काम तेज गति से हो पाएंगे और सटीक तरीके से भी हो पाएंगे.

चंडीगढ़: कोरोना वायरस को दूर रखने में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग ने एक अहम भूमिका अदा की है. सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे इसके लिए बकायदा दुकानों और सार्वजनिक स्थानों पर विशेष निशान भी बनाए जाते हैं, ताकि इन निशानों पर खड़े होकर लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर सकें.

ऐसे में चंडीगढ़ के एक प्रोफेसर ने अपने दो छात्रों के साथ मिलकर एक ऐसी मशीन तैयार की है जो सोशल डिस्टेंसिंग की मार्किंग खुद-ब-खुद करेगी. इस मशीन को इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ के प्रोफेसर गुरजीत सिंह और उनके दो छात्रों ने तैयार किया है. इस मशीन को बनाने का उद्देश्य ये है कि मशीन बिना इंसानी देखरेख के अपने आप सही जगह पर मार्किंग कर सके.

एक ऐसी मशीन जो सोशल डिस्टेंसिंग की मार्किंग खुद करेगी

मशीन के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. गुरजीत सिंह ने बताया कि हम आमतौर पर देखते हैं कि दुकानों, शॉपिंग मॉल्स और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर निशान लगाए जाते हैं ताकि लोग उन निशानों पर खड़े होकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर सकें. इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमनें एक ऐसी मशीन तैयार करने की है जो बिना किसी देखरेख के अपने आप मार्किंग कर सकती है.

अलग-अलग जगहों पर जाकर इस मशीन की सिर्फ प्रोग्रामिंग सेट करनी होगी. जिसके बाद प्रोग्रामिंग के हिसाब से ये अपने आप पूरी जगह की मार्किंग कर देगी. चाहे वो सड़क हो, स्कूल हो, कोई स्टेडियम हो या अन्य कोई जगह हो. इसमें जीपीएस की सहायता ली जाएगी. जीपीएस की सहायता से इस मशीन को ये आदेश दिया जा सकता है कि उसे कितनी जगह में मार्किंग करनी है और उस मार्किंग का डिजाइन क्या होगा. इसके बाद ये मशीन अपने आप उस जगह की मार्किंग कर देगी.

ये भी पढ़िए: पाबंदी होने के बावजूद इस जिले में धड़ल्ले से बिक रही है थाई मांगुर मछली, इसे खाने से हो सकती है ये गंभीर बीमारियां

इस मशीन को बनाने वाली टीम में शामिल छात्र युवराज ने बताया कि इस मशीन में एक कैमरा और एक आरडी नो लगाया गया है. आरडी नो को इस मशीन का दिमाग कहा जा सकता है, जो इस मशीन को काम करने के लिए आदेश देता है. इसमें एक कैमरा भी लगाया गया है, जिससे इस मशीन को ये पता रहता है कि मार्किंग ठीक तरीके से हो रही है या नहीं. अगर कहीं पर मार्किंग गलत होती है तो ये मशीन खुद ही रुक जाती है.

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खुद निशान लगाती मशीन

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हालांकि ये मशीन अपने शुरुआती चरण में है, लेकिन जब इस मशीन में सभी सिस्टम लगा दिए जाएंगे और उसका आकार भी बड़ा कर दिया जाएगा तब ये मशीन काफी कारगर साबित हो सकती है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि सड़कों पर मार्किंग करते वक्त ट्रैफिक को रुकना नहीं पड़ेगा. ट्रैफिक चलने के साथ-साथ ये मशीन मार्किंग कर सकती है. इस मशीन से इस तरह के सभी काम तेज गति से हो पाएंगे और सटीक तरीके से भी हो पाएंगे.

Last Updated : Jul 8, 2021, 10:59 PM IST
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