चंडीगढ़: हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना के नाम से नई बागवानी फसल बीमा योजना (Chief Minister Horticulture Insurance Scheme) के पोर्टल की शुरुआत की. इस योजना के तहत किसानों की फसलों में प्रतिकूल मौसम और प्राकृतिक आपदाओं के कारण से होने वाले नुकसान की भरपाई की जाएगी. कृषि मंत्री ने बताया कि प्रतिकूल मौसम कारक तथा प्राकृतिक आपदाओं से खराब फसलों के लिए मुआवजा दिया जाएगा.
जैसे ओलावृष्टि, तापमान, पाला, जल कारक (बाढ़, बादल फटना, नहर/ड्रेन का टूटना, जलभराव) आंधी-तूफान और आग जो फसल के नुकसान का कारण बनते हैं, इन सभी को योजना में शामिल किया जा रहा है, ताकि किसानों को कोई भी परेशानी ना हो. इस योजना के तहत 21 फसलें शामिल हैं. जिसमें 14 सब्जियां हैं. जैसे- टमाटर, प्याज, आलू, फूलगोभी, मटर, गाजर, भिंडी, घीया, करेला, बैंगन, हरी मिर्च, शिमला मिर्च, पतागोभी, मूली, 2 मसालें (हल्दी, लहसुन) और 5 फल (आम, किन्नू, बेर, अमरूद, लीची) शामिल हैं.
जेपी दलाल (Agriculture Minister JP Dalal Haryana) ने बताया कि ये योजना उन सभी किसानों के लिए वैकल्पिक तौर पर होगी जो मेरी फसल मेरा ब्योरा के तहत पंजीकृत होंगे. योजना के तहत आश्वस्त राशि (सम एश्योरड) सब्जियों व मसालों के लिए 30,000 रुपये प्रति एकड़ और फलों के लिए 40,000 रुपए प्रति एकड़ होगी. इसमें किसान का योगदान/हिस्सा आश्वस्त राशि का केवल 2.5 प्रतिशत होगा. सब्जियों में राशि 750 रुपये और फलों में राशि 1000 रुपये प्रति एकड़ होगी.
कृषि मंत्री ने बताया कि मुआवजा को चार श्रेणी 25, 50, 75 व 100 में बांटा गया है. उन्होंने बताया कि 26 प्रतिशत से 50 प्रतिशत के बीच फसल नुकसान की अवस्था में मुआवजा 50 प्रतिशत की दर से सब्जियों/मसालों के लिए 15,000 रुपये व फलों के लिए 20,000 रुपये, 51 प्रतिशत से 75 प्रतिशत के बीच नुकसान की अवस्था में मुआवजा 75 प्रतिशत की दर से सब्जियों/मसालों के लिए 22,500 रुपये, फलों के लिए 30,000 रुपये मुआवजा मिलेगा.
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इसके अलावा 75 प्रतिशत से अधिक नुकसान की अवस्था में मुआवजा 100 प्रतिशत की दर से सब्जियों/मसालों के लिए 30,000 रुपये व फलों के लिए 40,000 रुपये दिया जाएगा. कृषि मंत्री ने बताया कि सरकार द्वारा योजना के लिए प्रारम्भिक पूंजी के रूप में 10 करोड़ रुपये की व्यवस्था की जाएगी. मुआवजा राशि सर्वेक्षण पर आधारित होगी. योजना की निगरानी समीक्षा एवं विवादों का समाधान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत गठित राज्य स्तर व जिला स्तर की समितियों के माध्यम से किया जाएगा.
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