चंडीगढ़: आज दुनिया भर में ‘विश्व शरणार्थी दिवस’ मनाया जा रहा है. हर साल 20 जून को इस दिन के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन दुनिया भर में शरणार्थियों की मदद की जाती है. हर साल रिफ्यूजी डे के लिए एक थीम तय की जाती है. इस साल की थीम ‘#StepWithRefugees’ है.
क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड रिफ्यूजी डे?
दुनिया भर में एक बड़ी संख्या में शरणार्थी रहते हैं. निरंतर प्रताड़ना, संघर्ष और हिंसा की चुनौतियों के कारण अपना देश छोड़कर उन्हें बाहर भागने को मजबूर होना पड़ता है. कई देशों में उन्हें पनाह मिल जाती है. वहीं, कई देशों से निकाल भी दिया जाता है. बेशक इन्हें पनाह मिल जाए, लेकिन वो सम्मान और अधिकार नहीं मिल पाते.
बंटवारे के वक्त लाखों लोग हिन्दुस्तान आए
1947 में जब देश का विभाजन हुआ तो पश्चिमी पाकिस्तान के हिस्से वाले क्षेत्र से हिदुओं को इस ओर आना पड़ा. देश के विभिन्न हिस्से में पहुंचे ये लोग आज देश के नागरिक हैं और जिस राज्य में रह रहे हैं, वहीं की सुविधाएं पा रहे हैं. हरियाणा में भी ऐसे लोगों की तादाद काफी ज्यादा है. जो पाकिस्तान से बंटवारे के वक्त अपना सब कुछ छोड़कर हिन्दुस्तान आए और यहीं बस गए.
मेहनत से खड़ा किया बिजनेस
हरियाणा के जीटी बेल्ट एरिया में ऐसे कई जिले हैं. जहां पंजाबी समाज के लोगों की संख्या काफी ज्यादा है. इनमें से अधिकतर बंटवारे के वक्त पाकिस्तान से भारत में आकर बसे थे. आजादी के इतने साल बीतने के बाद आज ये लोग काफी समृद्ध हैं और समाज में अपना नाम भी चमकाया.
किन देशों ने ली दूसरे देशों में शरण
साल 2009 में विश्व की 43.3 मिलियन आबादी को जबरदस्ती दूसरे देश में स्थापित किया गया, जो 2018 में बढ़कर 70.8 मिलियन हो गई. साल 2012 से 2015 में सीरिया विवाद के समय इसमें वृद्धि हुई.
अन्य क्षेत्रों में भी विवाद इसका मुख्य कारण रहा. इसमें इराक और यमन, उप-सहारा अफ्रीका के कुछ हिस्से जैसे कि डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) और दक्षिण सूडान भी शामिल है. 2017 के अंत में बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थी रहने लगे. कुल मिलाकर यूएनएचसीआर के जनादेश के तहत शरणार्थी आबादी 2012 के बाद से लगभग दोगुनी हो गई है.
वेनेजुएला में हिंसा और असुरक्षा की वजह से नए शरणार्थियों की सबसे बड़ी संख्या 341,800 है. 2018 के अंत तक तीन मिलियन से अधिक वेनेजुएला के लोग अपने घरों को छोड़ दूसरे देश में रहने को मजबूर हो गए.