जींद: पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर एक बार फिर से किसानों का जमावड़ा बढ़ना शुरू हो गया है. पिछले चार-पांच दिनों से पंजाब की ओर से काफी संख्या में किसान लगातार धरना स्थल पर पहुंच रहे हैं. किसान ट्रेनों के जरीए पंजाब से आ रहे हैं और फिर नरवाना रेलवे स्टेशन से ऑटो के जरीए खनौरी-पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं. किसानों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रशासन भी पूरी तरह से सतर्क हो गया है.
डल्लेवाला ने परिजनों को दे दी अपनी सारी प्रॉपर्टी : दरअसल, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने ऐलान किया था कि जब तक सरकार एमएसपी गारंटी कानून नहीं बनाएगी, तब तक धरना प्रदर्शन जारी रखा जाएगा. डल्लेवाल ने अपनी जमीन-जायदाद परिवार के नाम कर दी और वो मंगलवार दोपहर 12 बजे से आमरण अनशन पर बैठ गए. लेकिन पुलिस ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करवा दिया. इस बीच किसानों ने कहा कि जब तक सरकार किसानों के कर्जे माफ नहीं करेगी और एमएसपी गारंटी कानून नहीं बनाएगी तब तक आमरण अनशन जारी रहेगा.
पैदल ही दिल्ली कूच कर सकते हैं किसान : वहीं अंदाजा लगाया जा रहा है कि मांगों को लेकर किसान खनौरी व शंभू बार्डर से पैदल दिल्ली की ओर कूच कर सकते हैं, लेकिन अभी तक किसान नेताओं ने इसकी पुष्टि नहीं की है. इस बीच जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनशन पर बैठेने से पहले ही पंजाब पुलिस ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करवा दिया है. बार्डर पर भारी संख्या में पुलिसबल पंजाब और हरियाणा दोनों तरफ तैनात कर दिया गया है, जिससे कोई अप्रिय घटना न घटे. नरवाना के पुलिस उपाधीक्षक अमित कुमार भी मौके पर मौजूद हैं और स्थिति का जायजा ले रहे हैं. लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.
"हर हाल में होगा दिल्ली शंभू बॉर्डर कूच" : खेती बचाओ किसान यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष राजविंद्र सिंह चहल की अध्यक्षता में खनोरी बॉर्डर पर किसान धरने पर पहुंचे. इनमें किसान नेता अभिमन्यु कोहाड, दशरथ दैपल, अर्शदीप सिंह गिल शामिल रहे. किसान मजदूर मोर्चा कोऑर्डिनेटर सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि इस आंदोलन को और आगे ले जाने के लिए हमें क्या करना है, अब इस बात पर ध्यान देना है. बॉर्डर पर 450 से ज्यादा किसान घायल व शहीद हो चुके हैं. भाजपा नेता किसानों की तालिबानियों के साथ तुलना करते हैं.
"भगवंत मान भी किसानों से टकराकर खत्म हो जाएंगे" : उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट की नीतियों की बात हो तो भारतमाला के तहत जो रोड बनाए जा रहे हैं, उसके लिए किसानों की जमीनों को बहुत कम दामों पर एक्वायर किया जा रहा है. किसी भी बात में केंद्र व पंजाब सरकार अलग नहीं है. पंजाब के मुख्यमंत्री कहते थे कि मैं आपकी लड़ाई लड़ रहा हूं, वो भी किसानों के आंदोलन में सियासत कर रहे हैं. पंजाब के किसानों के साथ टकरा कर सुखबीर सिंह बादल खत्म हो गए, कैप्टन अमरिंदर भी किसान मजदूर से टकराए, वो भी खत्म हो गए. आने वाले समय में भगवंत मान को भी इसका जवाब दिया जाएगा.
"किसान आंदोलन की वजह से 240 पर सिमटी बीजेपी" : उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में केंद्र सरकार 240 सीटों पर किसानों के आंदोलन की वजह से सिमट गई और किसान नेताओं पर भी यह सरकार वार कर सकती है. इस आंदोलन की रखवाली वो लोग कर सकते हैं जो दल्लेवाल की तरह यह जज्बा रखते हों. उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार बातचीत बेशक शुरू न करे, वो छह दिसंबर को दिल्ली शंभू बॉर्डर से कुच करेंगे. जिसकी सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी.
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