चंडीगढ़- सत्ता के लिए सियासत कैसे सत्ते पर सत्ता चलती है ये कम ही लोग समझ पाते हैं. आम आदमी पार्टी हरियाणा में कांग्रेस से गठबंधन करना चाहती थी लेकिन जब कांग्रेस ने घास नहीं डाली तो जेजेपी से ही हाथ मिला लिया. मतलब चप्पल और झाड़ू एक साथ हो लिये. अब सवाल ये है कि हरियाणा में चप्पल और झाड़ू के साथ होने का मतलब क्या है. हालांकि हरियाणा में वोटिंग 12 मई को होनी है और आप के सर से कांग्रेस के साथ का फितूर अभी उतरा नहीं है लेकिन फिर भी अगर अभी की स्थिति बरकरार रहती है और दोनों मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो 2019 के रिजल्ट पर ये गठबंधन क्या असर डालेगा. इसे समझने के लिए 2014 का रुख करना पड़ेगा उस वक्त जेजेपी तो वजूद में नहीं आई थी. लेकिन आम आदमी पार्टी ने सूबे की सभी सीटों पर चुनाव लड़ा था.मतलब इनेलो और आप के वोट शेयर से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस सीट पर ये गठबंधन कितना प्रभावी साबित होगा.
अंबाला-2014
यहां आम आदमी पार्टी को 63,626 वोट मिले थे. जबकि इनेलो को 1,29,000 वोट मिले थे और इनेलो तीसरे नंबर पर रही थी.
रोहतक- 2014
यहां 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 46,759 वोट मिले थे. जबकि इनेलो को 1,51,120 वोट मिले और वो दूसरे नंबर पर रही.
भिवानी-महेंद्रगढ़ 2014
यहां आम आदमी पार्टी को 22, 200 वोट मिले जबकि इनेलो को 2,75,148 वोट मिले और इनेलो यहां भी दूसरे नंबर पर रही.
फरीदाबाद-2014
यहां आम आदमी पार्टी को 67, 355 वोट मिले थे. जबकि इनेलो को 1,32,472 वोट मिले थे.
गुरुग्राम- 2014
यहां आम आदमी पार्टी को 79,713 वोट मिले थे. इस सीट पर इनेलो को 3,70,058 वोट मिले थे.
हिसार- 2014
यहां आम आदमी पार्टी को 28, 490 वोट मिले थे. जबकि इनेलो को 4,94,478 वोट मिले थे, लेकिन यहां से उस वक्त दुष्यंत चौटाला ने इलेक्शन लड़ा था.
करनाल- 2014
इस सीट पर आम आदमी पार्टी को 32, 060 वोट मिले थे. जबकि इनेलो को 1, 87, 902 वोट मिले थे.
कुरुक्षेत्र- 2014
यहां आम आदमी पार्टी को 32, 554 वोट मिले थे. जबकि इनेलो को 2,88, 376 वोट मिले थे.
सिरसा- 2014
यहां आम आदमी पार्टी को 66, 884 वोट मिले थे. जबकि इनेलो को 5, 06, 370 वोट हासिल हुए थे.
सोनीपत- 2014
यहां आम आदमी पार्टी को 48, 597 वोट मिले थे. जबकि इनेलो को 2, 64, 404 वोट मिले थे.
हालांकि 2014 में जेजेपी और इनेलो एक ही पार्टी थी. इसलिए उस वक्त जो वोट इनेलो को मिला था वो सारा वोट जेजेपी को मिलना तो संभव नहीं है. लेकिन फिर भी अगर मान लिया जाये कि इसमें से आधा वोट भी वो लेने में कामयाब हो गई और आम आदमी पार्टी का सारा वोट उसे मिल गया तब भी वो एक सीट को छोड़कर किसी और सीट पर जीत हासिल करने के करीब भी नहीं पहुंचेंगे.
जीतेगा नहीं तो हरा ज़रूर देगा गठबंधन !
आम आदमी पार्टी और जेजेपी के बीच हुआ गठबंधन इस लोकसभा चुनाव में भले ही ज्यादा सीटें न जीत पाये लेकिन एक पार्टी की हार में इस गठबंधन का अहम रोल हो सकता है. क्योंकि जेजेपी जितना भी वोट काटेगी वो सारा वोट इनेलो का होगा. यानि ये गठबंधन सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी को पहुंचाएगा तो वो है इनेलो.
जींद उपचुनाव के नतीजे क्या कहते हैं ?
कुछ महीने पहले हुए जींद विधानसभा उपचुनाव में जेजेपी दूसरे नंबर पर रही थी और यहां बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. बड़ी बात ये है कि इस चुनाव में आम आदमी पार्टी भी जेजेपी के साथ थी. मतलब साफ है कि जेजेपी और आप दोनों का हिसार के अलावा किसी भी सीट पर ऐसा प्रभाव नहीं दिखता कि वो कहीं भी जीत के करीब आकर खड़े हों. बाकी चमत्कार को तो सभी का नमस्कार होता है.