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हनीप्रीत की जमानत याचिका को लेकर 26 अगस्त तक टली सुनवाई - पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

हाईकोर्ट में गुरुवार को हनीप्रीत की जमानत याचिका को लेकर सुनवाई हुई. जिसके बाद कोर्ट ने 26 अगस्त तक के लिए सुनवाई टाल दी.

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट
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Published : May 9, 2019, 9:13 PM IST

चंडीगढ़: डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की सबसे करीबी रही प्रियंका तनेजा उर्फ हनीप्रीत की नियमित जमानत की मांग को लेकर दायर अर्जी पर जस्टिस रामेंद्र जैन ने कहा कि याचिकाकर्ता पर संगीन आरोप हैं. ऐसे आरोपी को कैसे जमानत दी जा सकती है.

हनीप्रीत को पक्ष रखने का दिया जाए मौका
वहीं हनीप्रीत के वकील ने कहा कि उन्हें अपना पक्ष रखे जाने का मौका दिया जाए. इस पूरे मामले पर हाईकोर्ट में हनीप्रीत की जमानत याचिका पर अब अगली सुनवाई 26 अगस्त तक होगी.

चंडीगढ़: डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की सबसे करीबी रही प्रियंका तनेजा उर्फ हनीप्रीत की नियमित जमानत की मांग को लेकर दायर अर्जी पर जस्टिस रामेंद्र जैन ने कहा कि याचिकाकर्ता पर संगीन आरोप हैं. ऐसे आरोपी को कैसे जमानत दी जा सकती है.

हनीप्रीत को पक्ष रखने का दिया जाए मौका
वहीं हनीप्रीत के वकील ने कहा कि उन्हें अपना पक्ष रखे जाने का मौका दिया जाए. इस पूरे मामले पर हाईकोर्ट में हनीप्रीत की जमानत याचिका पर अब अगली सुनवाई 26 अगस्त तक होगी.

डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की सबसे करीबी रही प्रियंका तनेजा उर्फ हनीप्रीत की नियमित जमानत की मांग को लेकर दायर अर्जी पर जस्टिस रामेन्द्र जैन ने कहा कि याचिकाकर्ता पर संगीन आरोप हैं  ऐसे आरोपी को कैसे जमानत दी जा सकती है  वहीँ हनीप्रीत के वकील ने कहा कि उन्हें पक्ष रखे जाने का अवसर दिया जाये  इस पर हाई कोर्ट ने हनीप्रीत की जमानत याचिका पर 26 अगस्त तक सुनवाई स्थगित कर दी है।
हनीप्रीत ने हाईकोर्ट में दायर अपनी नियमित जमानत की मांग को लेकर दायर याचिका में कहा है कि 25 अगस्त 2017 को जब पंचकूला सी.बी.आई. अदालत ने डेरा मुखी गुरमीत सिंह राम-रहीम को साध्वी यौन शोषण के मामले में दोषी करार दिया था तो उसके बाद पंचकूला में हुए दंगों की साजिश रचे जाने का उस पर आरोप लगाया गया है। जबकि जिस समय दंगे हुए थे वह डेरा मुखी के साथ थी और उन्ही के साथ वह पंचकूला से सीधे रोहतक की सुनारिया जेल चली गई थी, उसे इन दंगों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। बावजूद इसके उसे इन दंगों की साजिश का आरोप बना दिया गया।
हनीप्रीत ने याचिका में बताया है कि इन दंगों की साजिश रचे जाने को लेकर 27 अगस्त 2017 को शिकायत दर्ज करवाई गई थी, तब शिकायत सिर्फ आदित्य इंसा और सुरिंदर धीमान के खिलाफ ही दर्ज की गई थी। इसके बाद 7 सितंबर को डेरा मुखी के गनमैन कांस्टेबल विकास कुमार के बयान दर्ज किये गए जिसमे पहली बार याचिकाकर्ता का नाम आया कि उसने आदित्य इंसा सहित अन्य के साथ 17 अगस्त 2017 को डेरे में बैठक की थी कि अगर 25 अगस्त को सी.बी.आई. कोर्ट डेरा मुखी के खिलाफ कोई भी फैसला सुनाती है तो दंगे करवा इन दंगों की आड़ में डेरा मुखी को वहां से निकालने में मदद की जाये।
याचिकाकर्ता के कहना है कि इसके बाद 3 अक्तूबर 2017 को उसने पुलिस के समक्ष समर्पण कर दिया था तभी से वह न्यायिक हिरासत में है। इस मामले में उसे गलत तरीके से फंसाया गया है और वह पिछले डेढ़ वर्ष से जेल में है। इस केस के 52 गवाही बनाये गए हैं, इस केस का ट्रायल काफी लम्बा चल सकता है ऐसे में उसे तब तक जेल में न रखा जाये और उसे जमानत दी जाये।

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