ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों का मिलान 50 फीसदी तक बढ़ाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट को बताया कि चुनाव परिणाम आने में पांच दिन का ज्यादा समय लग सकता है. आयोग ने कहा है कि इसके लिए तादाद में स्टाफ की जरूरत होगी.
चुनाव आयोग ने की चुनौतियों की बात
चुनाव आयोग ने और भी कई चुनौतियों की बात कही है. जिसमें स्टाफ के साथ-साथ पर्चियों का मिलान करने के लिए एक बड़े काउंटिंग हॉल्स की जरूरत होगी, जिनकी कई राज्यों में पहले से कमी है
पर्चियों के मिलान का नहीं है कोई ऑटोमैटिक तरीका
चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया है कि इसमें ऑटोमैटिक रूप से पर्चियों के मिलान का कोई भी तरीका उपलब्ध नहीं है. इसलिए नतीजों में देरी हो सकती है.
क्या है VVPAT ?
- VVPAT व्यवस्था के तहत वोट डालने के तुरंत बाद कागज की एक पर्ची बनती है.
- इस पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है, उनका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है
- ईवीएम में लगे शीशे के एक स्क्रीन पर यह पर्ची सात सेकंड तक दिखती है
- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड ने यह मशीन 2013 में डिज़ायन की.
- सबसे पहले इसका इस्तेमाल नागालैंड के चुनाव में 2013 में हुआ
- इसके बाद SC ने VVPAT मशीन बनाने और इसके लिए पैसे मुहैया कराने के आदेश केंद्र सरकार को दिए