सिरसा: "सियासत में जरूरी है रवादारी, समझता है. वो रोज़ा तो नहीं रखता पर इफ्तारी समझता है" राहत इंदौरी का ये शेर अशोक तंवर और अजय चौटाला की मुलाकात पर सटीक बैठता है. दरअसल मौका था सिरसा में नामांकन का. अशोक तंवर अपना नामांकन करने पहुंचे थे और अजय चौटाला अपनी पार्टी के उम्मीदवार का नामांकन कराने के लिए गये थे. यहीं पर दोनों की मुलाकात हो गई और मुलाकात ऐसी हुई कि मानो दो बरसों से बिछड़े हुए दोस्त मिल गये हों. अशोक तंवर ने अजय चौटाला को गले लगा लिया. दोनों के चेहरे पर मुस्कुराहट थी. अशोक तंवर के साथ उनकी पत्नी और बेटा भी थे तो उनके बेटे ने अजय चौटाला के पैर छुए और आशीर्वाद लिया. फिर अशोक तंवर अपने रास्ते चल दिये.
मुलाकात के मायने क्या ?
वैसे तो जब भी कोई जानकार मिलता है भारतीय सभ्यता कहती है कि आप उससे खुश होकर मिलिये. लेकिन ये राजनीति यहां मुलाकात तो छोड़िये हर बात का मतलब होता है. सियासत में हर शब्द और हर कदम का मतलब होता है और निकाला जाता है तो अशोक तंवर और अजय चौटाला अगर इतनी गर्मजोशी से गले मिलते हैं तो राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं होना तय है. वैसा ही हुआ अब अजय चौटाला और अशोक तंवर की इस मुलाकात पर तरह-चरह की बातें हो रही हैं. ये चर्चाएं इसलिए भी गर्म हैं क्योंकि आप-जेजेपी और कांग्रेस के गठबंधन की हवाएं अभी शांत नहीं हुई हैं.
वो अद्भुत संगम था- अशोक तंवर
अशोक तंवर ने अजय चौटाला से गले मिलने के सवाल पर कहा कि वो मेरे बड़े भाई हैं और ऐसा लग रहा था जैसे मुझे आशीर्वाद देने के लिए ही वो यहां आये हैं. वो एक अद्भुत संगम था. अशोक तंवर ने कहा कि मैंने उनका आशीर्वाद लिया और मैं समझता हूं कि ये आशीर्वाद हमारे काम आयेगा.
मेरे अजीज हैं अशोक तंवर- अजय चौटाला
अशोक तंवर से गले मिलने का सवाल जब जेजेपी नेता और दुष्यंत चौटाला के पिता अजय चौटाला से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं तो गले मिलूंगा ही क्योंकि अशोक तंवर मेरे अजीज हैं.
बड़ा दुख होता है- अर्जुन चौटाला
इनेलो नेता और अभय चौटाला के पुत्र अर्जुन चौटाला ने अशोक तंवर और अजय चौटाला के गले मिलने पर कहा है कि ऐसी बातें सुनकर भी बहुत दुख होता है. चौधरी देवीलाल की विचारधारा कभी कांग्रेस से नहीं मिली और ये अपने झंडे पर उनका फोटो लगाकर कांग्रेस से गठबंधन की बात करते हैं.