भिवानी: हरियाणा प्रदेश में सतलुज यमुना लिंक नहर के पानी को लेकर लंबे समय से राजनीति होती रही है, जो अब भी थमने का नाम नहीं ले रही. पंजाब सरकार ने एक बार फिर से हरियाणा को एसवाईएल का पानी न देने की बात कही है.
एसवाईएल का पानी हरियाणा में लाने का लेकर काम करने वाली एसवाईएल हिमाचल मार्ग समिति ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रावी, ब्याज, सतलुज का 6 लाख क्यूसिक पानी हर वर्ष भारत से बहकर पाकिस्तान चला जाता है. इस पानी को यदि पंजाब सरकार अपने रास्ते नहीं आने देना चाहती तो ऐसे में हिमाचल प्रदेश से यह पानी हरियाणा प्रदेश में लाया जा सकता है.
रोड मैप भी हो चुका है तैयार
एसवाईएल हिमाचल मार्ग समिति के अध्यक्ष एडवोकेट जितेंद्र नाथ ने भिवानी में पत्रकार वार्ता आयोजित कर कहा कि आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार 1999 से 2019 तक लगभग एक करोड़ क्यूसिक डेज पानी पाकिस्तान में भारत से गया है. जबकि हरियाणा प्रदेश की जरूरत 6 हजार क्यूसिक पानी से पूरी हो सकती है. इसके लिए भाखड़ा डैम से पानी पंजाब की बजाए वैकल्पिक रास्ते से नालागढ़-बद्दी-पिंजौर-अंबाला से जनसुईया हैड के माध्यम से हरियाणा में बनी एसवाईएल से दक्षिण हरियाणा व पूरे प्रदेश में लाया जा सकता है.
हिमाचल के रास्ते से यह मार्ग मात्र 67 किलोमीटर का है. ऐसे में उनकी समिति की मांग है कि पंजाब सरकार हरियाणा के हिस्से के पानी को न रोके तथा हरियाणा सरकार हिमाचल मार्ग से यह पानी लाए. जिसका इंतजार 1955 से पूरे हरियाणा प्रदेश को है.
पीएम, राष्ट्रपति को भेजा गया सुझाव
उन्होंने कहा कि 1963 में व्यास-सतलुज लिंक बनकर तैयार हुआ था, परन्तु इसके बनने के बाद से यह पानी पाकिस्तान बहकर जा रहा है. इसके लिए उनकी समिति ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राष्ट्रपति को हिमाचल मार्ग से पानी लाने का सुझाव पत्र भी लिखा है.
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उन्होंने कहा कि हरियाणा को इस मार्ग से यदि 6 हजार क्यूसिक पानी भी मिल जाता है तो प्रदेश के हर खेत को वर्ष भर के लिए पानी उपलब्ध हो जाएगा. इसीलिए प्रदेश के किसानों की तरफ से उनकी मांग है कि भाखड़ा डैम से हिमाचल के मार्ग से एसवाईएल का पानी जनसुईया हैड में लाकर प्रदेश के किसानों को दिया जाए.