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'सत्ता के नशे में चूर सीएम मनोहर लाल ने किया सरपंचों का अपमान, कोर्ट की भी की अवमानना'

ई टेंडरिंग को लेकर भिवानी में सरपंचों ने बैठक की. उन्होंने सीएम मनोहर लाल के उस बयान का विरोध किया जिसमें सीएम ने कहा था कि 50-50 हजार रुपये खर्च कर सरपंच बनते हैं.

sarpanch protest in bhiwani
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Published : Apr 6, 2023, 7:06 PM IST

भिवानी: ई टेंडरिंग को लेकर हरियाणा सरकार और सरपंचों के बीच घमासान खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. एक तरफ हरियाणा सरकार का दावा है इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगा, तो दूसरी तरफ सरपंच इस प्रक्रिया का ये कहकर विरोध कर रहे हैं कि इससे सरपंचों की भूमिका ना के बराबर रह जाएगी और सही तरीके से गांव का विकास नहीं हो पाएगा. भिवानी दौरे पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा था कि पहले लोग 50-50 लाख रुपये खर्च कर सरपंच बनते हैं और फिर उस राशि को पूरा करते हैं. ये नहीं होने दिया जाएगा.

अब भिवानी के सरपंचों ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया दी है. सरपंचों का कहना है कि सीएम खट्टर सत्ता के नशे में अपने से बड़ा किसी को नहीं मानते, वो तो अब कोर्ट की भी अवमानना करने लगे हैं. हरियाणा सरपंच एसोसिएशन ने भिवानी में सीएम के बयान का विरोध किया और कहा कि सीएम मनोहर लाल जिस भी गांव में गए. वहां उम्मीद के मुताबिक कोई बड़ी घोषणा नहीं की और हर कार्यक्रम में पास के जरिए चुनिंदा लोगों की ही इंट्री करवाई. कलिंगा गांव के सरपंच प्रतिनिधि रमेश परमार ने तो यहां तक आरोप लगाया कि इन सभी गांवों में सीएम के साथ उनके ही गांव के लोग रहते थे और सीएम उनसे ही सवाल जवाब करते थे.

कालुवास गांव के सरपंच आशीष बेनिवाल ने कहा कि सीएम मनोहरलाल सारे आरोप व नियम सरपंचों पर थौंपते हैं. सीएम बताए कि क्या विधायक पैसे खर्च करके नहीं बनते. क्या कभी विधायकों की तरह सरपंच पैसे या शराब बांटते और ईवीएम हैक करते पकड़ा है. सीएम पंचायतों की तरह विधानसभा में महिलाओं के लिए 50 फीसदी सीट आरक्षित करके दिखाएं. उन्होंने कहा कि सीएम सत्ता के नशे में चूर हैं, जो अपने से बड़ा किसी को नहीं मानते. अब तो सीएम जज पर विवादित टिप्पणी कर कोर्ट की भी अवमानना करने लगे हैं.

ये भी पढ़ें- 'अगले साल पूरा हो जाएगा भिवानी समेत 100 गांवों की चकबंदी का काम', जानें ई टेंडरिंग पर क्या बोले सीएम

वहीं कलिंगा गांव के सरपंच प्रतिनिधि रमेश परमार ने कहा कि हमारा गांव बहुत पुरानी संघी गांव है. जिसने हमेशा भाजपा का साथ दिया है. सीएम पहली बार गांव आए तो बहुत सी उम्मीदें थी, पर कोई बड़ी घोषणा नहीं की. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण इसलिए दिया है, ताकि महिलाएं सरकार के खिलाफ आवाज ना उठाएं. रमेश परमार ने आरोप लगाया कि सीएम के जन संवाद कार्यक्रम में गांवों के गणमान्य लोगों को रोका गया और सीएम अपने साथ आए अपने गांव के लोगों से ही सवाल जवाब करते रहे. उन्होंने कहा कि गांव के लोगों में रोष है और इसको लेकर रविवार को गांव में महापंचायत कर बड़ा फैसला लिया जाएगा.

भिवानी: ई टेंडरिंग को लेकर हरियाणा सरकार और सरपंचों के बीच घमासान खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. एक तरफ हरियाणा सरकार का दावा है इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगा, तो दूसरी तरफ सरपंच इस प्रक्रिया का ये कहकर विरोध कर रहे हैं कि इससे सरपंचों की भूमिका ना के बराबर रह जाएगी और सही तरीके से गांव का विकास नहीं हो पाएगा. भिवानी दौरे पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा था कि पहले लोग 50-50 लाख रुपये खर्च कर सरपंच बनते हैं और फिर उस राशि को पूरा करते हैं. ये नहीं होने दिया जाएगा.

अब भिवानी के सरपंचों ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया दी है. सरपंचों का कहना है कि सीएम खट्टर सत्ता के नशे में अपने से बड़ा किसी को नहीं मानते, वो तो अब कोर्ट की भी अवमानना करने लगे हैं. हरियाणा सरपंच एसोसिएशन ने भिवानी में सीएम के बयान का विरोध किया और कहा कि सीएम मनोहर लाल जिस भी गांव में गए. वहां उम्मीद के मुताबिक कोई बड़ी घोषणा नहीं की और हर कार्यक्रम में पास के जरिए चुनिंदा लोगों की ही इंट्री करवाई. कलिंगा गांव के सरपंच प्रतिनिधि रमेश परमार ने तो यहां तक आरोप लगाया कि इन सभी गांवों में सीएम के साथ उनके ही गांव के लोग रहते थे और सीएम उनसे ही सवाल जवाब करते थे.

कालुवास गांव के सरपंच आशीष बेनिवाल ने कहा कि सीएम मनोहरलाल सारे आरोप व नियम सरपंचों पर थौंपते हैं. सीएम बताए कि क्या विधायक पैसे खर्च करके नहीं बनते. क्या कभी विधायकों की तरह सरपंच पैसे या शराब बांटते और ईवीएम हैक करते पकड़ा है. सीएम पंचायतों की तरह विधानसभा में महिलाओं के लिए 50 फीसदी सीट आरक्षित करके दिखाएं. उन्होंने कहा कि सीएम सत्ता के नशे में चूर हैं, जो अपने से बड़ा किसी को नहीं मानते. अब तो सीएम जज पर विवादित टिप्पणी कर कोर्ट की भी अवमानना करने लगे हैं.

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वहीं कलिंगा गांव के सरपंच प्रतिनिधि रमेश परमार ने कहा कि हमारा गांव बहुत पुरानी संघी गांव है. जिसने हमेशा भाजपा का साथ दिया है. सीएम पहली बार गांव आए तो बहुत सी उम्मीदें थी, पर कोई बड़ी घोषणा नहीं की. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण इसलिए दिया है, ताकि महिलाएं सरकार के खिलाफ आवाज ना उठाएं. रमेश परमार ने आरोप लगाया कि सीएम के जन संवाद कार्यक्रम में गांवों के गणमान्य लोगों को रोका गया और सीएम अपने साथ आए अपने गांव के लोगों से ही सवाल जवाब करते रहे. उन्होंने कहा कि गांव के लोगों में रोष है और इसको लेकर रविवार को गांव में महापंचायत कर बड़ा फैसला लिया जाएगा.

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