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भिवानी में पीटीआई अध्यापकों ने लगाए सरकार विरोधी नारे

शनिवार को भिवानी में पीटीआई अध्यापकों ने अपनी बहाली की मांग को लेकर लघु सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने सरकार से रोजी-रोटी बचाने की अपील की.

pti teachers protest in bhiwani
भिवानी में पीटीआई अध्यापकों ने लगाए सरकार विरोधी नारे
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Published : Aug 2, 2020, 7:53 PM IST

भिवानी: शनिवार को अपनी बहाली की मांग को लेकर तालमेल कमेटी के बैनर तले लघु सचिवालय पर बर्खास्त पीटीआई अध्यापकों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी की. प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व संघर्ष समिति के पदाधिकारी कृष्ण यादव ने किया.

पीटीआई अध्यापक नेता वजीर सिंह और सर्व कर्मचारी संघ नेता सुखदर्शन सरोहा ने कहा कि वर्ष 2010 से लगातार अपनी सेवाएं दे रहे 1983 पीटीआई को सरकार जल्द से जल्द बहाल करे. उन्होंने कहा कि सरकार आए दिन कर्मचारियों का शोषण कर रह है. जबकि ये कर्मचारी सरकार की रीढ़ की हडडी हैं. सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को सिरे कर्मचारी ही चढ़ाते हैं. अगर कर्मचारी ही नहीं रहेंगे तो सरकार का काम कौन करेगा.

उन्होंने कहा कि हरियाणा शारीरिक शिक्षक खिलाड़ियों को मैदान में तैयार करके उसको अपने पैरों पर खड़ा करते हैं. जिसके बाद खिलाड़ी सरकार की झोली में मेडल लाकर देते हैं. ये सब शारीरिक शिक्षकों की बदौलत ही संभव है. इसलिए उनके द्वारा किये गए विशेष कार्यों को दरकिनार ना करके उनकी बहाली के लिए कोई ना कोई रास्ता निकाला जाए. जिससे उनके परिवार की रोजी-रोटी चल सके.

ये भी पढ़ें: रक्षाबंधन पर फ्री बस सेवा बंद करने की बजाय ज्यादा बसें चलाए सरकार- भूपेंद्र सिंह हुड्डा

भिवानी: शनिवार को अपनी बहाली की मांग को लेकर तालमेल कमेटी के बैनर तले लघु सचिवालय पर बर्खास्त पीटीआई अध्यापकों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी की. प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व संघर्ष समिति के पदाधिकारी कृष्ण यादव ने किया.

पीटीआई अध्यापक नेता वजीर सिंह और सर्व कर्मचारी संघ नेता सुखदर्शन सरोहा ने कहा कि वर्ष 2010 से लगातार अपनी सेवाएं दे रहे 1983 पीटीआई को सरकार जल्द से जल्द बहाल करे. उन्होंने कहा कि सरकार आए दिन कर्मचारियों का शोषण कर रह है. जबकि ये कर्मचारी सरकार की रीढ़ की हडडी हैं. सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को सिरे कर्मचारी ही चढ़ाते हैं. अगर कर्मचारी ही नहीं रहेंगे तो सरकार का काम कौन करेगा.

उन्होंने कहा कि हरियाणा शारीरिक शिक्षक खिलाड़ियों को मैदान में तैयार करके उसको अपने पैरों पर खड़ा करते हैं. जिसके बाद खिलाड़ी सरकार की झोली में मेडल लाकर देते हैं. ये सब शारीरिक शिक्षकों की बदौलत ही संभव है. इसलिए उनके द्वारा किये गए विशेष कार्यों को दरकिनार ना करके उनकी बहाली के लिए कोई ना कोई रास्ता निकाला जाए. जिससे उनके परिवार की रोजी-रोटी चल सके.

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