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शारीरिक शिक्षा अध्यापक संघ ने किया 1983 पीटीआई भर्ती का विरोध - haryana govt pti recruitment

हरियाणा सरकार ने 1983 पीटीआई की दोबारा भर्ती के लिए विज्ञापन निकाले हैं, जिसका विरोध अध्यपाक संघ द्वारा किया जा रहा है. अध्यापक संघ का कहना है कि कोर्ट में कोई भी नियुक्त अध्यापक दोषी नहीं पाया गया है.

Physical Education Teachers Association protested against 1983 PTI recruitment
Physical Education Teachers Association protested against 1983 PTI recruitment
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Published : May 18, 2020, 5:42 PM IST

भिवानी: 1983 पीटीआई की दोबारा भर्ती के विरोध में जिला भिवानी शारीरिक शिक्षा अध्यापक संघ ने कड़ा विरोध जताकर निंदा प्रकट की है.

जिला प्रधान राजपाल तंवर व जिला वरिष्ठ उप प्रधान सोमदत्त शर्मा ने गांव चांग में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बैठक कर संयुक्त रूप से कहा कि अध्यापक भले ही कोर्ट में केस हार चुके हैं, लेकिन सरकार को इनके वर्षों के अनुभव को देखते हुए सेवा सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि जो याचिकाकर्ता उस समय रह गए थे, राज्य सरकार उन्हें भी विभाग में लगा सकती थी, लेकिन सरकार ने ऐसा ना करके इन अध्यापकों के पद दोबारा भर्ती के लिए विज्ञापित कर करवा दिए हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार इन अध्यापकों के बारे में सोचे, जिससे ये अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें. उन्होंने कहा कि कोर्ट केस में एक भी नियुक्त अध्यापक दोषी नहीं पाया गया है, बल्कि भर्ती एजेंसी ही दोषी पाई गई है. उसके ऊपर ही सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ना कि अध्यापकों को परेशान किया जाए.

भिवानी: 1983 पीटीआई की दोबारा भर्ती के विरोध में जिला भिवानी शारीरिक शिक्षा अध्यापक संघ ने कड़ा विरोध जताकर निंदा प्रकट की है.

जिला प्रधान राजपाल तंवर व जिला वरिष्ठ उप प्रधान सोमदत्त शर्मा ने गांव चांग में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बैठक कर संयुक्त रूप से कहा कि अध्यापक भले ही कोर्ट में केस हार चुके हैं, लेकिन सरकार को इनके वर्षों के अनुभव को देखते हुए सेवा सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि जो याचिकाकर्ता उस समय रह गए थे, राज्य सरकार उन्हें भी विभाग में लगा सकती थी, लेकिन सरकार ने ऐसा ना करके इन अध्यापकों के पद दोबारा भर्ती के लिए विज्ञापित कर करवा दिए हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार इन अध्यापकों के बारे में सोचे, जिससे ये अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें. उन्होंने कहा कि कोर्ट केस में एक भी नियुक्त अध्यापक दोषी नहीं पाया गया है, बल्कि भर्ती एजेंसी ही दोषी पाई गई है. उसके ऊपर ही सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ना कि अध्यापकों को परेशान किया जाए.

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