भिवानी: शुरू से ही विवादों में रही भिवानी की चौधरी बंसीलाल यूनिवर्सिटी एक बार फिर विवादों में हैं. इस बार मामला यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं को यूनिवर्सिटी के बजाय काफी दूर एक निजी स्कूल में पढ़ाने का है. इससे गुस्साए छात्र-छात्राएं जब धरने पर बैठे तो यूनिवर्सिटी प्रशासन ने आनन-फानन में गुस्साएं छात्रों को समझाया और पुलिस की मौजूदगी में मामले को कुछ दिनों के लिए शांत करवाया.
बता दें कि कांग्रेस सरकार में चौधरी बंसीलाल यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखी गई थी. इसके बाद मनोहरल सरकार ने भी आधारशिला रखी, लेकिन सालों बाद भी यूनिवर्सिटी का भवन बनकर तैयार नहीं हो पाया है. वहीं दूसरी तरफ कॉलेज के भवन में चल रही यूनिवर्सिटी में हर साल कोर्सों की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए भवन की कमी हो रही है.
छात्रों ने दिया धरना
भवन की कमी के चलते अब यूनिवर्सिटी प्रशासन के एमए इतिहास के छात्र-छात्राओं को पांच किलोमीटर दूर हिसार रोड पर एक निजी स्कूल में पढ़ाने के लिए कमरों का प्रबंध किया है. यहां छात्र-छात्राएं कुछ दिन तो पढ़ने के लिए गए पर वहां कोई सुविधा ना मिलने और वहां आने-जाने की उचित व्यवस्था ना होने पर गुस्साए छात्र-छात्राएं शुक्रवार को यूनिवर्सिटी में धरने पर बैठ गए.
पुलिस प्रशासन ने धरने पर बैठे छात्रों को समझाया
करीब दो घंटे बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पुलिस की मौजूदगी में गुस्साए छात्र-छात्राओं को समझा बुझाकर शांत किया और जल्द ही उनकी समस्याओं के समाधान का भरोसा दिलाया. कॉर्डिनेटर सुरेश मलिक ने बताया कि भवन की कमी और कोर्स जरूरी होने पर ये समस्या आ रही है. स्कूल में आने-जाने में बसों और वहां सुविधाओं की कमी को पूरा किया जाएगा.
दूर स्कूल में पढ़ने जाने को तैयार नहीं छात्र
वहीं धरना देने वाले छात्र नितिन ने बताया कि एमए इतिहास के छात्रों को यूनिवर्सिटी की बजाय एक निजी स्कूल में पढ़ाया जा रहा है. जहां आने-जाने में समस्या हो रही है. वहां स्कूल में किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है. उनके साथ अन्याय हो रहा है. वो स्कूल में नहीं जाएंगे. यूनिवर्सिटी में ही किसी पेड़ के नीचे या पार्क में बैठ कर पढ़ लेंगे. हमें पढने के लिए कमरों की जरूरत नहीं. यूनिवर्सिटी में पढ़ाई का अपना एक क्रेज और सिस्टम होता है. ऐसे में दाखिला यूनिवर्सिटी और पढ़ाई एक स्कूल में, वो भी निजी स्कूल में काफी दूर जाकर करनी पड़े निश्चित तौर पर परेशानी का सबब है.