भिवानी: आशा वर्कर्स यूनियन अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए सिविल अस्पताल परिसर में पिछले सात अगस्त से धरने पर बैठी हैं. आशा वर्कर्स ने मंगलवार को अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी करते हुए सरकार को चेताया और कहा कि समय रहते सरकार उनकी मांगें माने, नहीं तो आगे बड़ा आंदोलन करेंगे. इस आंदोलन के दौरान जो नुकसान होगा, उसका खामियाजा प्रदेश सरकार को ही भुगतना पड़ेगा.
धरने पर बैठी आशा वर्कर्स का कहना है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सबसे अधिक सक्रिय स्वास्थ्य कार्यकर्ता आशा सहयोगी ही हैं, जो कोरोना महामारी के दौर में अपनी जान को जोखिम में डाल कर जनता को बचाने का काम कर रही हैं. जिला सचिव सुशीला ने कहा कि सीएम को कोरोना का नाटक खत्म कर क्वारंटाइन से बाहर आकर हमारी समस्याओं को सुनना चाहिए.
आशा वर्कर यूनियन की जिला सचिव सुशीला ने बताया कि पूरे प्रदेश में आशा वर्कर्स सात अगस्त से लगातार सरकार के साथ हुए समझौते को लागू करवाने तथा प्रदेश की जनता को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए आंदोलन कर रही हैं.
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सरकार ने उनकी मांगों का आज तक कोई समाधान नहीं निकाला है. यूनियन ने सरकार को 15 दिन का समय दिया था, वह भी समाप्त होने वाला है, लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री से उनकी बातचीत नहीं हो पाई है.
जिला सचिव ने कहा कि कोरोना काल में भी हमने सरकार को सेवाएं दी हैं और दूसरी तरफ अब डेंगू भी फैल रहा है. अगर आशाएं इसी तरह धरने पर बैठी रही तो सरकार डेंगू की मार भी झेलने को तैयार रहे.