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कई पीढ़ियों से तिरंगा बना रहा अंबाला का ये परिवार, यहीं बना था कारगिल का विजय ध्वज - कारगिल जीत अंबाला तिरंगा समाचार

ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत के दौरान दुकान संचालक गुरप्रीत ने बताया कि वो कई पीढ़ियों से तिरंगा बनाने का काम कर रहे हैं. 15 अगस्त और 26 जनवरी पर औसतन 700-800 तिरंगे वो तैयार करते हैं.

story of Ambala tricolor
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Published : Aug 13, 2020, 2:18 PM IST

Updated : Aug 14, 2020, 12:59 PM IST

अंबाला: 15 अगस्त की याद आते ही सबसे पहले ख्याल आता है लाल किले पर फहरा रहे तिरंगे का. क्या आप जानते हैं कि ये तिरंगा कहां और कैसे बनाया जाता है. वैसे तो देश के अलग-अलग हिस्सों में तिरंगे का निर्माण होता है. लेकिन अंबाला में बनने वाला तिरंगा कई मायनों में अहम है.

हरियाणा में अंबाला ही एकमात्र ऐसा जिला है, लिबर्टी एम्ब्रायडर्स नाम की दुकान यहां साल 1965 से चल रही है. जहां तिरंगे को बनाया जाता है. 15 अगस्त का स्वतंत्रता दिवस हो या 26 जनवरी का गणतंत्र दिवस, भारतीय सेना की जरूरत हो या भारत-पाकिस्तान का मैच, नेताओं की रैली, हर त्योहार और मौकों के लिए तिरंगा यहीं से बनकर सप्लाई होता है.

अंबाला की इसी दुकान में बना था कारगिल का विजय ध्वज, क्लिक कर देखें रिपोर्ट

अंबाला में ही बनाया जाता है तिरंगा

आपको ये जानकर गर्व होगा कि 26 जुलाई 1999 को भारतीय जवानों ने पाकिस्तान के दांत खट्टे कर, कारगिल की सबसे ऊंची चोटियों में एक, जिस टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया था वो अंबाला कि इस दुकान में बना था. जिन शूरवीरों ने कारगिल में शहादत दी थी. उनके लिए भी तिरंगा इसी दुकान से गया था.

ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत के दौरान दुकान संचालक गुरप्रीत ने बताया कि वो कई पीढ़ियों से तिरंगा बनाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध जीता तो उनके पिता ने 5 झंडे जीती हुई चोटियों पर लगाने के लिए आर्मी को मुफ्त में बनाकर दिए. जिसके बाद उन्हें तत्कालीन 102 इन्फेंट्री ब्रिगेड के ब्रिगेडियर पीसी कटोच ने प्रशंसा पत्र दिया.

50 से 12 हजार रुपये तक होती है कीमत

लिबर्टी एम्ब्रायडर्स दुकान के संचालक गुरप्रीत सिंह ने बताया कि 15 अगस्त और 26 जनवरी पर औसतन 700-800 तिरंगे वो तैयार करते हैं. जिनकी कीमत 50 रुपये से लेकर 12 हजार रुपये तक होती है. छोटे बच्चों के लिए एक बाई डेढ़ फुट का तिरंगा 50 रुपये का बनता है. तो 20 बाई 30 फीट के तिरंगे की कीमत 8 हजार से 12 हजार तक होती है. इसे तैयार करने में दो-तीन दिन लगते हैं.

ये भी पढ़ें- प्रदेश में 7 स्पेशल इकोनॉमिक जोन में 10 हजार करोड़ के निवेश का लक्ष्य- दुष्यंत चौटाला

तिरंगे को तैयार करने के लिए थ्री प्लाइ के धागे का इस्तेमाल किया जाता है ताकि मजबूती बनी रही. टेरीकॉट, साटन और खद्दर तीन क्वालिटी और 5 साइज के तिरंगे तैयार होते हैं. आम तौर पर लालकिले सहित अन्य प्रमुख स्थलों पर 6 बाई चार फीट का तिरंगा फहराया जाता है.

जानें तिरंगे से जुड़े तथ्य:

  1. किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुंह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए.
  2. देश में 'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया' (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं. इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को जेल भी हो सकती है.
  3. तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए. प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही है.
  4. तिरंगे का निर्माण हमेशा रेक्टेंगल शेप में ही होगा, जिसका अनुपात 3:2 तय है. वहीं जबकि अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं.
  5. झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है.
  6. किसी भी गाड़ी के पीछे, बोट या प्लेन में तिरंगा नहीं लगाया जा सकता. और ना ही इसका प्रयोग किसी बिल्डिंग को ढकने किया जा सकता है.
  7. किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन पर टच नहीं होना चाहिए. यह इसका अपमान होता है.
  8. तिरंगे को किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता.
  9. किसी भी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगा सकते और न ही बराबर रख सकते हैं.
  10. आम नागरिकों को अपने घरों या ऑफिस में आम दिनों में भी तिरंगा फहराने की अनुमति 22 दिसंबर 2002 के बाद मिली.
  11. तिरंगे को रात में फहराने की अनुमति साल 2009 में दी गई.
  12. राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय में एक ऐसा लघु तिरंगा हैं, जिसे सोने के स्तंभ पर हीरे-जवाहरातों से जड़ कर बनाया गया है.

अंबाला: 15 अगस्त की याद आते ही सबसे पहले ख्याल आता है लाल किले पर फहरा रहे तिरंगे का. क्या आप जानते हैं कि ये तिरंगा कहां और कैसे बनाया जाता है. वैसे तो देश के अलग-अलग हिस्सों में तिरंगे का निर्माण होता है. लेकिन अंबाला में बनने वाला तिरंगा कई मायनों में अहम है.

हरियाणा में अंबाला ही एकमात्र ऐसा जिला है, लिबर्टी एम्ब्रायडर्स नाम की दुकान यहां साल 1965 से चल रही है. जहां तिरंगे को बनाया जाता है. 15 अगस्त का स्वतंत्रता दिवस हो या 26 जनवरी का गणतंत्र दिवस, भारतीय सेना की जरूरत हो या भारत-पाकिस्तान का मैच, नेताओं की रैली, हर त्योहार और मौकों के लिए तिरंगा यहीं से बनकर सप्लाई होता है.

अंबाला की इसी दुकान में बना था कारगिल का विजय ध्वज, क्लिक कर देखें रिपोर्ट

अंबाला में ही बनाया जाता है तिरंगा

आपको ये जानकर गर्व होगा कि 26 जुलाई 1999 को भारतीय जवानों ने पाकिस्तान के दांत खट्टे कर, कारगिल की सबसे ऊंची चोटियों में एक, जिस टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया था वो अंबाला कि इस दुकान में बना था. जिन शूरवीरों ने कारगिल में शहादत दी थी. उनके लिए भी तिरंगा इसी दुकान से गया था.

ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत के दौरान दुकान संचालक गुरप्रीत ने बताया कि वो कई पीढ़ियों से तिरंगा बनाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध जीता तो उनके पिता ने 5 झंडे जीती हुई चोटियों पर लगाने के लिए आर्मी को मुफ्त में बनाकर दिए. जिसके बाद उन्हें तत्कालीन 102 इन्फेंट्री ब्रिगेड के ब्रिगेडियर पीसी कटोच ने प्रशंसा पत्र दिया.

50 से 12 हजार रुपये तक होती है कीमत

लिबर्टी एम्ब्रायडर्स दुकान के संचालक गुरप्रीत सिंह ने बताया कि 15 अगस्त और 26 जनवरी पर औसतन 700-800 तिरंगे वो तैयार करते हैं. जिनकी कीमत 50 रुपये से लेकर 12 हजार रुपये तक होती है. छोटे बच्चों के लिए एक बाई डेढ़ फुट का तिरंगा 50 रुपये का बनता है. तो 20 बाई 30 फीट के तिरंगे की कीमत 8 हजार से 12 हजार तक होती है. इसे तैयार करने में दो-तीन दिन लगते हैं.

ये भी पढ़ें- प्रदेश में 7 स्पेशल इकोनॉमिक जोन में 10 हजार करोड़ के निवेश का लक्ष्य- दुष्यंत चौटाला

तिरंगे को तैयार करने के लिए थ्री प्लाइ के धागे का इस्तेमाल किया जाता है ताकि मजबूती बनी रही. टेरीकॉट, साटन और खद्दर तीन क्वालिटी और 5 साइज के तिरंगे तैयार होते हैं. आम तौर पर लालकिले सहित अन्य प्रमुख स्थलों पर 6 बाई चार फीट का तिरंगा फहराया जाता है.

जानें तिरंगे से जुड़े तथ्य:

  1. किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुंह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए.
  2. देश में 'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया' (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं. इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को जेल भी हो सकती है.
  3. तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए. प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही है.
  4. तिरंगे का निर्माण हमेशा रेक्टेंगल शेप में ही होगा, जिसका अनुपात 3:2 तय है. वहीं जबकि अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं.
  5. झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है.
  6. किसी भी गाड़ी के पीछे, बोट या प्लेन में तिरंगा नहीं लगाया जा सकता. और ना ही इसका प्रयोग किसी बिल्डिंग को ढकने किया जा सकता है.
  7. किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन पर टच नहीं होना चाहिए. यह इसका अपमान होता है.
  8. तिरंगे को किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता.
  9. किसी भी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगा सकते और न ही बराबर रख सकते हैं.
  10. आम नागरिकों को अपने घरों या ऑफिस में आम दिनों में भी तिरंगा फहराने की अनुमति 22 दिसंबर 2002 के बाद मिली.
  11. तिरंगे को रात में फहराने की अनुमति साल 2009 में दी गई.
  12. राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय में एक ऐसा लघु तिरंगा हैं, जिसे सोने के स्तंभ पर हीरे-जवाहरातों से जड़ कर बनाया गया है.
Last Updated : Aug 14, 2020, 12:59 PM IST
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