अंबाला: भले ही केंद्र सरकार ने अनलॉक के चौथे चरण में ज्यादातर चीजों में छूट दे दी हो. लेकिन अभी तक इंटर स्टेट बस सर्विस शुरू नहीं हुई है. इसका फायदा प्राइवेट ट्रांसपोर्टर्स जमकर उठा रहे हैं. एक तो वो सवारियों से दोगुना किराया वसूल रहे हैं. तो दूसरी तरफ उन्हें बॉर्डर पर ही छोड़कर चले जाते हैं. जिससे कि एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने वाले यात्रियों को खासी परेशानी हो रही है. बात करें अंबाला के शंभू बॉर्डर की तो यहां पंजाब जाने वाले यात्रियों को बॉर्डर से डेढ़ किलोमीटर पहले ही उतार दिया जाता है. बॉर्डर क्रॉस करने के लिए यात्रियों को प्राइवेट वाहनों का सहारा लेना पड़ता है. जो अब मनाने दाम वसूल रहे हैं.
मनचाहा किराया वसूल रहे ट्रांसपोर्टर्स
लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार अगर किसी वर्ग पर पड़ी है. तो वो है मजदूर वर्ग. जो अब भी सरकार और प्रशासन की बंदइतेजामी का मार झेल रहा है. अंतरराज्यीय बस सेवा शुरू नहीं होने की वजह से मजदूर प्राइवेट टैक्सी को दोगुना किराया देने के मजबूर हैं.
प्रशासन की तरफ से बॉर्डर पर यात्रियों के रुकने की कोई व्यवस्था भी नहीं की गई है. ना तो पानी की कोई सुविधा है और ना खाने की. ऐसा ही हाल पंजाब से हरियाणा की तरफ आने वाले लोगों का भी है. इसको लेकर जब ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने ट्रैफिक मैनेजर से बात की तो व्यवस्था को दुरुस्त करने का दावा करते नजर आए.
हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर यात्रियों को लगभग 1.5 किलोमीटर पीछे उतारा जा रहा है. ऐसे में ना तो बॉर्डर पर टेंपरेरी बस शेल्टर बनाया गया है, ना पानी पीने की व्यवस्था और ना ही शौचालय की व्यवस्था है. अंबाला छावनी के बस अड्डा इंचार्ज भी ऑटो चालकों प्राइवेट टैक्सी चालकों पर मनचाहे कियारे का आरोप लगाते नजर आए.
सबसे हैरानी की बात तो ये है कि ना तो प्राइवेट बसों में सैनिजाइजर की कोई व्यवस्था है और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग का नियम माना जा रहा है. यात्रियों को बिना मास्क के भी धड़ल्ले से बैठाया जा रहा है. ऐसे में यात्रियों ने सरकार से अंतरराज्यीय बस सेवा शुरू करने की मांग की है ताकि वो सुरक्षित सफर कर पाएं.
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ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत के दौरान यात्रियों ने बताया कि पहले जहां उन्हें दूसरे राज्य में जाने के लिए 500 रुपये खर्च करने पड़ते अब उन्हें 1500 खर्च करने पड़ रहे हैं. उसके बाद भी वो सुरक्षित पहुंचेंगे या नहीं इसी कोई गारंटी नहीं है. यात्रियों ने बताया कि प्राइवेट बस चालक और टैक्सी चालक उन्हें बॉर्डर पर ही छोड़कर चले जाते हैं. दरअसल हरियाणा की बसें भी यात्रियों को शंभू बॉर्डर से लगभग 1.5 किलोमीटर पीछे उतारती हैं. क्योंकि उन्हें आगे जाने की अनुमति नहीं.