अंबाला: मंगलवार को हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल कॉन्फ्रेंस और इंटीग्रेट प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसायटी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड पर आर्थिक दबाव बनाने और भेदभाव करने का आरोप लगाया. निजी स्कूलों का कहना है कि कोरोना टेस्ट के नाम पर उनसे 1600 रुपये मांगे जा रहे हैं, जो सरासर गलत है, वहीं एप्लीकेशन फीस को लेकर भी निजी स्कूलों ने सवाल सरकार पर कई सवाल उठाए है.
निजी स्कूलों ने सरकार पर लगाए भेदभाव करने के आरोप
अंबाला में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल के प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि कोरोना टेस्ट के नाम पर उनसे भेदभाव किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार एक हमें एक अध्यापक का कोरोना टेस्ट करवाने के लिए 1,600 रुपये खर्च करने पड़ते हैं, जिससे हम लोगों पर लाखों रुपयों का आर्थिक बोझ पड़ेगा. उन्होंने कहा कि सरकार को निजी स्कूलों के साथ एसा भेदभाव नहीं करना चाहिए, जबकि सरकारी अध्यापकों के मुफ्त में कोरोना टेस्ट किए जा रहे हैं.
मांगे नहीं मानने पर हाई कोर्ट में जाने की चेतावनी
निजी स्कूलों का कहना है कि 2018 में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने विद्यालयों से आठवीं तक की बोर्ड की परीक्षाओं के लिए 8,000 रुपये एफीलेशन फीस के नाम पर लिए थे, जबकि बोर्ड का एग्जाम तक नहीं हुआ था. इसलिए या तो उनका पैसा रिफंड किया जाए या उसे आगे एडजस्ट किया जाए. निजी स्कूल वेलफेयर सोसाइटी ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांग नहीं मानी जाती है तो वो सरकार के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
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