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रोहतक: बढ़ते प्रदूषण का असर, पीजीआई में बढ़ने लगी मरीजों की संख्या

दिवाली के बाद से पीजीआई में अस्थमा के मरीजों की संख्या में एक दम से इजाफा हो गया है. रोहतक में बढ़े प्रदूषण के कारण लोगों के आंखों में जलन, गला खराब और सांस लेने में दिक्कत हो रही है.

pollution in rohtak
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Published : Nov 2, 2019, 4:42 PM IST

रोहतक: शहर में बढ़ें प्रदूषण की मार सबसे ज्यादा अस्थमा के मरीजों पर पड़ रही है. दिवाली के बाद से पीजीआई में अस्थमा के मरीजों की संख्या में एक दम से इजाफा हो गया है. रोहतक में बढ़े प्रदूषण के कारण लोगों के आंखों में जलन, गला खराब और सांस लेने में दिक्कत हो रही है.

सांस संबंधी समस्याएं बढ़ी

क्रिटिकल केयर मेडिसिन के चिकित्सक पवन कुमार ने बताया कि दिपावली के बाद प्रदूषण बढ़ने के कारण अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ी है. उन्होंने बताया कि बढ़े प्रदूषण के कारण लोगों के आंखों में जलन हो रही है. गला खराब हो रहा है. नाक बंद रहती है. वहीं उन्होंने बताया कि कुछ मरीजों को सांस लेने में काभी परेशानी हो रही है. डॉ. पवन कुमार ने बताया कि हमने इन मरीजों के लिए एक स्पेशल वार्ड बनाया है.

पीजीआई में बढ़ने लगी मरीजों की संख्या, देखें वीडियो

उन्होंने बताया कि अस्थमा के मरीज एलर्जी बढ़ने की शिकायत लेकर आ रहे हैं जिसमें उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है. अस्थमा के अलावा लोगों में सांस संबंधी समस्याएं भी बढ़ गई है. पॉल्यूशन की वजह से भी इन दिनों पीजीआईएमएस मे सांस की समस्याएं लिए परेशान लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.

पीजीआई में अलग से वार्ड बनाया गया
डॉक्टरों की मानें तो इनमें अस्थमा के प्रारंभिक लक्षण पाए जा रहे हैं, जिन्हें दवाइयों से ठीक किया जा सकता है और लापरवाही करने पर ये पूरी तरह अस्थमा में बदल जाएगी और जीवन भर दवाइयों का सहरा लेना पड़ेगा. फिलहाल प्रदूषण से बढ़ती मरीजों की संख्या को ध्यान रखते हुए पीजीआई में अलग से वार्ड बना दिया गया है.

अस्थमा एक गंभीर बीमारी

अस्थमा एक गंभीर बीमारी है जो सांस की नलियों को प्रभावित करती है. यह नलियां फेफड़े से हवा को अंदर-बाहर करती हैं. अस्थमा होने पर इन नलियों की भीतरी दीवार पर सूजन आ जाती है. यह सूजन नलियों को बेहद संवेदनशील बना देती है और किसी भी बेचैन करने वाली चीज के स्पर्श से यह तीखी प्रतिक्रिया करता है. जब नलियां प्रतिक्रिया करती हैं, तो यह सिकुड़ने लगती है. इस स्थिति में फेफड़े में ऑक्सीजन की कम मात्रा जाती है. इससे खांसी, नाक बजना, छाती का कड़ा होना, रात और सुबह में सांस लेने में तकलीफ आदि जैसे लक्षण पैदा होते हैं. ओपीडी में सांस की परेशानी के साथ-साथ खांसी के पिछले 10 दिनों से रोजाना 100 से ज्यादा मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं.

आपको बता दें कि दिवाली के बाद से ही रोहतक की आबोहवा खराब है. वहीं किसानों द्वारा पाराली जलाने के कारण स्थिति और भी भयावह हो गई है.

ये भी पढ़ें- गोहाना में प्रशासन की बड़ी लापरवाही,कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

रोहतक: शहर में बढ़ें प्रदूषण की मार सबसे ज्यादा अस्थमा के मरीजों पर पड़ रही है. दिवाली के बाद से पीजीआई में अस्थमा के मरीजों की संख्या में एक दम से इजाफा हो गया है. रोहतक में बढ़े प्रदूषण के कारण लोगों के आंखों में जलन, गला खराब और सांस लेने में दिक्कत हो रही है.

सांस संबंधी समस्याएं बढ़ी

क्रिटिकल केयर मेडिसिन के चिकित्सक पवन कुमार ने बताया कि दिपावली के बाद प्रदूषण बढ़ने के कारण अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ी है. उन्होंने बताया कि बढ़े प्रदूषण के कारण लोगों के आंखों में जलन हो रही है. गला खराब हो रहा है. नाक बंद रहती है. वहीं उन्होंने बताया कि कुछ मरीजों को सांस लेने में काभी परेशानी हो रही है. डॉ. पवन कुमार ने बताया कि हमने इन मरीजों के लिए एक स्पेशल वार्ड बनाया है.

पीजीआई में बढ़ने लगी मरीजों की संख्या, देखें वीडियो

उन्होंने बताया कि अस्थमा के मरीज एलर्जी बढ़ने की शिकायत लेकर आ रहे हैं जिसमें उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है. अस्थमा के अलावा लोगों में सांस संबंधी समस्याएं भी बढ़ गई है. पॉल्यूशन की वजह से भी इन दिनों पीजीआईएमएस मे सांस की समस्याएं लिए परेशान लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.

पीजीआई में अलग से वार्ड बनाया गया
डॉक्टरों की मानें तो इनमें अस्थमा के प्रारंभिक लक्षण पाए जा रहे हैं, जिन्हें दवाइयों से ठीक किया जा सकता है और लापरवाही करने पर ये पूरी तरह अस्थमा में बदल जाएगी और जीवन भर दवाइयों का सहरा लेना पड़ेगा. फिलहाल प्रदूषण से बढ़ती मरीजों की संख्या को ध्यान रखते हुए पीजीआई में अलग से वार्ड बना दिया गया है.

अस्थमा एक गंभीर बीमारी

अस्थमा एक गंभीर बीमारी है जो सांस की नलियों को प्रभावित करती है. यह नलियां फेफड़े से हवा को अंदर-बाहर करती हैं. अस्थमा होने पर इन नलियों की भीतरी दीवार पर सूजन आ जाती है. यह सूजन नलियों को बेहद संवेदनशील बना देती है और किसी भी बेचैन करने वाली चीज के स्पर्श से यह तीखी प्रतिक्रिया करता है. जब नलियां प्रतिक्रिया करती हैं, तो यह सिकुड़ने लगती है. इस स्थिति में फेफड़े में ऑक्सीजन की कम मात्रा जाती है. इससे खांसी, नाक बजना, छाती का कड़ा होना, रात और सुबह में सांस लेने में तकलीफ आदि जैसे लक्षण पैदा होते हैं. ओपीडी में सांस की परेशानी के साथ-साथ खांसी के पिछले 10 दिनों से रोजाना 100 से ज्यादा मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं.

आपको बता दें कि दिवाली के बाद से ही रोहतक की आबोहवा खराब है. वहीं किसानों द्वारा पाराली जलाने के कारण स्थिति और भी भयावह हो गई है.

ये भी पढ़ें- गोहाना में प्रशासन की बड़ी लापरवाही,कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

Intro:रोहतक:-बढ़ते प्रदूषण का दिखा असर,पीजीआई में बढ़ने लगी मरीजो की संख्या।
दिवाली के बाद बढ़ी अचानक मरीजो की संख्या।
आंखों में जलन,गला खराब,व सांस लेने में दिक्कत के मरीज बढ़े।
पीजीआई ने बनाया स्पेशल वार्ड,घर से बाहर निकलने में रखे सावधानी।

रोहतक पी जी आई मे अस्थमा के मरीजों को धूल और धुएं में सबसे अधिक परेशानी होती है। पिछले दो साल के हालातों पर गौर करें तो दिवाली के बाद से अस्थमा के मरीजों की संख्या में एक दम से इजाफा हो जाता है। रोजाना 100 से 120 के करीब नए अस्थमा व सांस संबंधी मरीज सामने आए थे। इस बार भी किसान पराली जलाने से पीछे नहीं हट रहे हैं अस्थमा और सांस के मरीजों को परेशानी बढ़ जाती है।
Body:पीजीआईएमएस की ओपीडी में स्मॉग छाने से पहले ही अस्थमा व सांस के मरीजों का आना शुरू हो गया है। क्रिटिकल केयर मेडिसिन के चिकित्सक डॉ. पवन कुमार बताते हैं की इस वातावरण में नमी होती है। इसके चलते डस्ट पार्टिकल ऊपर नहीं जा पाते हैं और वह वातावरण में रहते हैं। ऑक्सीजन के साथ मिलकर सांस नलियों में पहुंचती है। इससे एलर्जी बढ़ जाती है और मरीज को कई बार अटैक आता है। दीवाली बाद ठंड बढ़ते ही स्माॅग छाने के आसार हैं, ऐसे में मरीजों की संख्या में इजाफा होने लगा है। उन्होंने बताया कि अस्थमा के मरीज एलर्जी बढ़ने की शिकायत लेकर आ रहे हैं। जिसमें उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है। अस्थमा के अलावा लोगों में सांस संबंधी समस्याएं भी बढ़ गई है। पॉल्यूशन की वजह से भी इन दिनों पीजीआईएमएस मे सांस की समस्यासे परेशान लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों की मानें तो इनमें अस्थमा के प्रारंभिक लक्षण पाए जा रहे हैं, जिन्हें दवाइयों से ठीक किया जा सकता है और लापरवाही करने पर यह पूरी तरह अस्थमा में बदल जाएगी और जीवन भर दवाइयों का सहरा लेना पड़ेगा।फिलहाल प्रदूषण से बढ़ती मरीजो की संख्या को ध्यान रखते हुए पीजीआई में अलग से वार्ड बना दिया गया है।

बाईट -डॉ पवन कुमार ,पी जी आई रोहतक
Conclusion:गौरतलब है कि ओपीडी में रोजाना 100 मरीज पहुंच रहे,अस्थमा एक गंभीर बीमारी है, जो सांस की नलियों को प्रभावित करती है। यह नलियां फेफड़े से हवा को अंदर-बाहर करती हैं। अस्थमा होने पर इन नलियों की भीतरी दीवार पर सूजन आ जाती है। यह सूजन नलियों को बेहद संवेदनशील बना देती है और किसी भी बेचैन करने वाली चीज के स्पर्श से यह तीखी प्रतिक्रिया करता है। जब नलियां प्रतिक्रिया करती हैं, तो यह सिकुड़ने लगती है। इस स्थिति में फेफड़े में ऑक्सीजन की कम मात्रा जाती है। इससे खांसी, नाक बजना, छाती का कड़ा होना, रात और सुबह में सांस लेने में तकलीफ आदि जैसे लक्षण पैदा होते हैं। ओपीडी में सांस की परेशानी के साथ-साथ खांसी के पिछले 10 दिनों से रोजाना 100 से ज्यादा मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। दिवाली के बाद स्मॉग बढ़ने से मरीजों की संख्या में इजाफा होने की संभावना है।
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