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रोहतक से पैदल 600 किमी के सफर पर निकले प्रवासी मजदूर - मजदूरों की समस्याएं

प्रशासन के लाख प्रयासों के बाद भी प्रवासी मजदूरों का पयालन नहीं रुक रहा है. रोहतक के कुछ मजदूरों ने 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान बचे खुचे राशन के साथ जैसे तैसे दिन बिताए. 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ने के बाद मजदूरों ने पैदल ही सफर पर निकल पड़े.

labour migration from foot rohtak
रोहतक से पैदल 600 किमी के सफर पर निकले प्रवासी मजदूर
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Published : Apr 18, 2020, 5:49 PM IST

रोहतक: सरकार के प्रयास और प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी प्रवासी मजदूर लगातार पलायन कर रहे हैं. 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान बचे खुचे राशन के साथ जैसे तैसे दिन बिताए. जिसके बाद प्रवासी मजदूरों को उम्मीद थी कि 14 अप्रैल को लॉकडाउन खुल जाएगा, लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ाने से मजदूरों का सब्र टूट गया और उन्होंने पैदल ही घर जाने का फैसला कर लिया.

दरअसल प्रवासी मजदूरों के अनुसार ये लोग राजमिस्त्री का काम करते हैं. 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान काम बंद होने के बाद कमाए हुए पैसों से राशन आ गया. प्रवासी मजदूरों को उम्मीद थी कि 14 अप्रैल को लॉकडाउन खुल जाएगा और जिंदगी फिर से पटरी पर आ जाएगी. लेकिन 3 मई तक लॉकडाउन के बढ़ने के बाद मजदूरों का सब्र टूर गया और इन्होंने पैदल ही घर जाने का फैसला कर लिया. ये मजदूर 600 किलोमीटर पैदल चलकर झांसी जाएंगे.

रोहतक से पैदल 600 किमी के सफर पर निकले प्रवासी मजदूर

मजदूरों ने प्रशासन और सरकार पर आरोप भी लगाए कि उन्होंने कोई मदद नहीं की. अगर मदद करते तो वो यहीं रहते. हालांकि प्रशासन का दावा है कि प्रवासी मजदूरों को शेल्टर होम में रखा जा रहा है. जहां पर उनके खाने पीने की सब व्यवस्थाएं भी है. लेकिन ये प्रवासी मजदूर खुद ही अपने मुंह से प्रशासन की पोल खोल रही है.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन: जीवन रक्षक दवाएं सप्लाई कर रहा डाक विभाग

रोहतक: सरकार के प्रयास और प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी प्रवासी मजदूर लगातार पलायन कर रहे हैं. 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान बचे खुचे राशन के साथ जैसे तैसे दिन बिताए. जिसके बाद प्रवासी मजदूरों को उम्मीद थी कि 14 अप्रैल को लॉकडाउन खुल जाएगा, लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ाने से मजदूरों का सब्र टूट गया और उन्होंने पैदल ही घर जाने का फैसला कर लिया.

दरअसल प्रवासी मजदूरों के अनुसार ये लोग राजमिस्त्री का काम करते हैं. 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान काम बंद होने के बाद कमाए हुए पैसों से राशन आ गया. प्रवासी मजदूरों को उम्मीद थी कि 14 अप्रैल को लॉकडाउन खुल जाएगा और जिंदगी फिर से पटरी पर आ जाएगी. लेकिन 3 मई तक लॉकडाउन के बढ़ने के बाद मजदूरों का सब्र टूर गया और इन्होंने पैदल ही घर जाने का फैसला कर लिया. ये मजदूर 600 किलोमीटर पैदल चलकर झांसी जाएंगे.

रोहतक से पैदल 600 किमी के सफर पर निकले प्रवासी मजदूर

मजदूरों ने प्रशासन और सरकार पर आरोप भी लगाए कि उन्होंने कोई मदद नहीं की. अगर मदद करते तो वो यहीं रहते. हालांकि प्रशासन का दावा है कि प्रवासी मजदूरों को शेल्टर होम में रखा जा रहा है. जहां पर उनके खाने पीने की सब व्यवस्थाएं भी है. लेकिन ये प्रवासी मजदूर खुद ही अपने मुंह से प्रशासन की पोल खोल रही है.

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