रोहतक: पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा डोमिसाइल के लिए सरकार द्वारा किए गए नियमों में बदलाव का विरोध किया है. सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया है कि अब कोई भी शख्स जो 5 साल से हरियाणा में निवास कर रहा हो, वो यहां का डोमिसाइल बनवा सकता है. पहले ये मियाद 15 साल की थी.
हुड्डा का कहना है कि एक तरफ प्रदेश सरकार प्राइवेट नौकरियों में हरियाणवियों को 75 प्रतिशत आरक्षण का जुमला उछालती है, दूसरी तरफ सरकार ये दोहरी नीति क्यों अपना रही है. हुड्डा ने कहा कि हम अन्य राज्यों के लोगों के खिलाफ नहीं है, लेकिन हर राज्य सरकार का दायित्व बनता है कि वो पहले अपने प्रदेश के लोगों के अधिकार सुनिश्चित करे.
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उन्होंने कहा कि देश के कई राज्यों में स्थानीय निवासियों को नौकरी में प्राथमिकता के नियम बनाए गए हैं. ऐसे में हरियाणा को भी ये करने का अधिकार है. कांग्रेस सरकार के दौरान हमने प्रदेश की उद्योग नीति में हरियाणावासियों को नौकरियों में प्राथमिकता की शर्त रखी हुई थी. उस वक्त प्रदेश में बेरोजगारी की दर बमुश्किल 2.8 प्रतिशत थी, लेकिन आज हरियाणा पूरे देश में बेरोजगारी के मामले में पहले पायदान पर है.
पूर्व सीएम ने कहा कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी के आंकड़े बताते हैं कि 2019 से ही लगातार हरियाणा बेरोजगारी में टॉप पर है. दिसंबर महीने के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश का युवा आज 32.5 प्रतिशत बेरोजगारी दर झेल रहा है. इसका मतलब है कि हर तीसरा हरियाणवी बेरोजगार है.
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हुड्डा ने कहा कि ये हालात इसलिए हैं, क्योंकि सरकार नौकरी देने के बजाय नौकरियां छीन रही है. कभी शिक्षा सहायकों को नौकरी से निकाल दिया जाता है तो कभी सफाई कर्मचारियों को. कंप्यूटर ऑपरेटर, लैब अटेंडेंट, पीटीआई, ड्राइंग टीचर और अब खुद के लगाये ग्रुप-डी स्पोर्ट्स कोटे के 1518 कर्मचारियों को भी इस सरकार ने नौकरी से निकाल दिया है. स्पष्ट है कि सरकार से हर वर्ग त्रस्त है, वो चाहे नौजवान हो या किसान.