पानीपत: शौर्य दिवस के अवसर पर मुख्यतिथि के तोर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने शिरकत की. 14 जनवरी 1761 को इसी मैदान पानीपत की भूमि पर भयंकर युद्ध हुआ था. एक विदेशी अक्रांता अहमद शाह अब्दाली ने भारत की अस्मिता को ललकारा था. वीर मराठों ने राष्ट्र की अस्मिता के लिए उसका दृढ़ता से सामना किया था. युद्ध में कई उतार चढ़ाव आए.
अब्दाली पर भारी मराठा सैना
इतिहासकार बताते हैं कि चार बजे तक मराठा सेना विदेशी आक्रमणकारी अहमदशाह अब्दाली की सेना पर भारी पड़ रही थी. तत्पश्चात परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि युद्ध में भगदड़ मच गई और अहमद शाह अब्दाली की सेना का मनोबल बढ़ गया. परिणामस्वरूप हजारों की संख्या में मराठा सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए.
पानीपत का तीसरा युद्ध
हम सबके लिए गर्व का विषय है कि वीर मराठों ने राष्ट्र की अस्मिता के लिए इस भूमि को अपने रक्त से सींचकर दुश्मन को वापिस अपने देश जाने पर विवश कर दिया था. इस युद्ध में मराठों ने अदम्य साहस का ऐसा परिचय दिया कि इस युद्ध के पश्चात् किसी भी विदेशी आक्रांता का उत्तर की सीमा से आक्रमण करने का साहस नहीं हुआ.
मुख्यमंत्री ने लोगों का किया धन्यवाद
इस मौके पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने का कहा कि उस युद्ध को 259 वर्ष पूर्ण हो गए हैं. उन योद्धाओं के वंशज होने के नाते आप प्रतिवर्ष इस दिन शौर्य दिन समारोह के रूप में कार्यक्रम का आयोजन करते हैं. इसके लिए मैं आपको साधुवाद देता हूं. जो समाज अपने पूर्वजों द्वारा किए गए अच्छे कार्यों का स्मरण रखता है, वो समाज निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर रहता है. वहीं जो समाज अपने इतिहास को भूल जाता है, वह समाज धीरे-धीरे अवनति को प्राप्त होते हुए लुप्तप्राय: हो जाता है.
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एक प्रसन्नता का विषय है डॉ. वसंतराव मोरे के प्रयासों से आपने खोई हुई पहचान को पुन: प्राप्त करने का प्रयास किया है. जिसके लिए आप बधाई के पात्र हैं. मुझे पूर्ण आशा है कि जिस मार्ग पर चलकर वीर मराठों ने राष्ट्र का गौरव बढ़ाया था, उनसे प्रेरणा लेकर आप भी राष्ट्र की सेवा के लिए और इसके हित के लिए बलिदान देने के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे.