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पानीपत की तीसरी लड़ाई के 259 साल पूरे, शौर्य दिवस पर मराठों ने दी श्रद्धांजलि

पानीपत जिले की पावन भूमि का नाम जिस युद्ध और मराठों के वीरता के कारण इतिहास में दर्ज हुआ, मंगलवार को उसी पानीपत के तीसरे युद्ध के 259 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में शौर्य दिन समारोह का आयोजन किया गया. यहां की धरती पर मराठों एवं अहमद शाह अब्दाली के बीच लड़ा गया. तीसरा युद्ध किसी की जीत और हार का युद्ध नहीं था, बल्कि युद्ध देश की सीमाओं और अस्मिता को बचाने के लिए लड़ा गया था, जिसमें वीर मराठों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. उसी वीरभूमि पर 259 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विदेश और देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे मराठों और रोड़मराठा बिरादरी के लोगों ने अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित की.

259 years of the Third Battle of Panipat
259 years of the Third Battle of Panipat
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Published : Jan 15, 2020, 2:05 AM IST

पानीपत: शौर्य दिवस के अवसर पर मुख्यतिथि के तोर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने शिरकत की. 14 जनवरी 1761 को इसी मैदान पानीपत की भूमि पर भयंकर युद्ध हुआ था. एक विदेशी अक्रांता अहमद शाह अब्दाली ने भारत की अस्मिता को ललकारा था. वीर मराठों ने राष्ट्र की अस्मिता के लिए उसका दृढ़ता से सामना किया था. युद्ध में कई उतार चढ़ाव आए.

अब्दाली पर भारी मराठा सैना

इतिहासकार बताते हैं कि चार बजे तक मराठा सेना विदेशी आक्रमणकारी अहमदशाह अब्दाली की सेना पर भारी पड़ रही थी. तत्पश्चात परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि युद्ध में भगदड़ मच गई और अहमद शाह अब्दाली की सेना का मनोबल बढ़ गया. परिणामस्वरूप हजारों की संख्या में मराठा सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए.

पानीपत की तीसरी लड़ाई के 259 साल पूरे, शौर्य दिवस पर मराठाओं ने श्रद्धांजलि

पानीपत का तीसरा युद्ध

हम सबके लिए गर्व का विषय है कि वीर मराठों ने राष्ट्र की अस्मिता के लिए इस भूमि को अपने रक्त से सींचकर दुश्मन को वापिस अपने देश जाने पर विवश कर दिया था. इस युद्ध में मराठों ने अदम्य साहस का ऐसा परिचय दिया कि इस युद्ध के पश्चात् किसी भी विदेशी आक्रांता का उत्तर की सीमा से आक्रमण करने का साहस नहीं हुआ.

मुख्यमंत्री ने लोगों का किया धन्यवाद

इस मौके पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने का कहा कि उस युद्ध को 259 वर्ष पूर्ण हो गए हैं. उन योद्धाओं के वंशज होने के नाते आप प्रतिवर्ष इस दिन शौर्य दिन समारोह के रूप में कार्यक्रम का आयोजन करते हैं. इसके लिए मैं आपको साधुवाद देता हूं. जो समाज अपने पूर्वजों द्वारा किए गए अच्छे कार्यों का स्मरण रखता है, वो समाज निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर रहता है. वहीं जो समाज अपने इतिहास को भूल जाता है, वह समाज धीरे-धीरे अवनति को प्राप्त होते हुए लुप्तप्राय: हो जाता है.

ये भी पढ़ें:- पंचकूला को जल्द मिलेगी एथनिक टावर की सौगात, सेक्टर 5 के मेला ग्राउंड होगा निर्माण

एक प्रसन्नता का विषय है डॉ. वसंतराव मोरे के प्रयासों से आपने खोई हुई पहचान को पुन: प्राप्त करने का प्रयास किया है. जिसके लिए आप बधाई के पात्र हैं. मुझे पूर्ण आशा है कि जिस मार्ग पर चलकर वीर मराठों ने राष्ट्र का गौरव बढ़ाया था, उनसे प्रेरणा लेकर आप भी राष्ट्र की सेवा के लिए और इसके हित के लिए बलिदान देने के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे.

पानीपत: शौर्य दिवस के अवसर पर मुख्यतिथि के तोर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने शिरकत की. 14 जनवरी 1761 को इसी मैदान पानीपत की भूमि पर भयंकर युद्ध हुआ था. एक विदेशी अक्रांता अहमद शाह अब्दाली ने भारत की अस्मिता को ललकारा था. वीर मराठों ने राष्ट्र की अस्मिता के लिए उसका दृढ़ता से सामना किया था. युद्ध में कई उतार चढ़ाव आए.

अब्दाली पर भारी मराठा सैना

इतिहासकार बताते हैं कि चार बजे तक मराठा सेना विदेशी आक्रमणकारी अहमदशाह अब्दाली की सेना पर भारी पड़ रही थी. तत्पश्चात परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि युद्ध में भगदड़ मच गई और अहमद शाह अब्दाली की सेना का मनोबल बढ़ गया. परिणामस्वरूप हजारों की संख्या में मराठा सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए.

पानीपत की तीसरी लड़ाई के 259 साल पूरे, शौर्य दिवस पर मराठाओं ने श्रद्धांजलि

पानीपत का तीसरा युद्ध

हम सबके लिए गर्व का विषय है कि वीर मराठों ने राष्ट्र की अस्मिता के लिए इस भूमि को अपने रक्त से सींचकर दुश्मन को वापिस अपने देश जाने पर विवश कर दिया था. इस युद्ध में मराठों ने अदम्य साहस का ऐसा परिचय दिया कि इस युद्ध के पश्चात् किसी भी विदेशी आक्रांता का उत्तर की सीमा से आक्रमण करने का साहस नहीं हुआ.

मुख्यमंत्री ने लोगों का किया धन्यवाद

इस मौके पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने का कहा कि उस युद्ध को 259 वर्ष पूर्ण हो गए हैं. उन योद्धाओं के वंशज होने के नाते आप प्रतिवर्ष इस दिन शौर्य दिन समारोह के रूप में कार्यक्रम का आयोजन करते हैं. इसके लिए मैं आपको साधुवाद देता हूं. जो समाज अपने पूर्वजों द्वारा किए गए अच्छे कार्यों का स्मरण रखता है, वो समाज निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर रहता है. वहीं जो समाज अपने इतिहास को भूल जाता है, वह समाज धीरे-धीरे अवनति को प्राप्त होते हुए लुप्तप्राय: हो जाता है.

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एक प्रसन्नता का विषय है डॉ. वसंतराव मोरे के प्रयासों से आपने खोई हुई पहचान को पुन: प्राप्त करने का प्रयास किया है. जिसके लिए आप बधाई के पात्र हैं. मुझे पूर्ण आशा है कि जिस मार्ग पर चलकर वीर मराठों ने राष्ट्र का गौरव बढ़ाया था, उनसे प्रेरणा लेकर आप भी राष्ट्र की सेवा के लिए और इसके हित के लिए बलिदान देने के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे.

Intro:
एंकर -- पानीपत की पावन भूमि का नाम जिस युद्ध और मराठो के वीरता के कारण इतिहास में दर्ज हुआ मंगलवार को उसी पानीपत के तीसरे युद्ध के 259 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में शौर्य दिन समारोह का आयोजन किया गया। यहां की धरती पर मराठों एवं अहमदशाह अब्दाली के बीच लड़ा गया तीसरा युद्ध किसी की जीत और हार का युद्ध नही था। बल्कि वह युद्ध देश की सीमाओं और अस्मिता को बचाने के लिए लडा गया था, जिसमें वीर मराठों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, उसी वीरभूमि पर 259 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विदेश और देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे मराठों और रोड़मराठा बिरादरी के लोगों ने अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

Body:वीओ -- आज पानीपत में शौर्य दिवस के अवसर पर मुख्यतिथि के तोर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने शिरकत की , 14 जनवरी 1761 को इसी मैदान में, जहां हम आज उपस्थित हैं, एक भयंकर युद्ध हुआ। एक विदेशी अक्रांता अहमदशाह अब्दाली द्वारा भारत की अस्मिता को ललकारा गया। वीर मराठों ने राष्ट्र की अस्मिता के लिए उसका दृढ़ता से सामना किया। युद्ध में कई उतार चढ़ाव आए। इतिहासकार यह भी लिखते हैं कि चार बजे तक मराठा सेना विदेशी आक्रमणकारी अहमदशाह अब्दाली की सेना पर भारी पड़ रही थी। तत्पश्चात् परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि युद्ध में भगदड़ मच गई और अहमदशाह अब्दाली की सेना का मनोबल बढ़ गया। परिणामस्वरूप हजारों की संख्या में मराठा सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए। यह हम सबके लिए गर्व का विषय है कि वीर मराठों ने राष्ट्र की अस्मिता के लिए इस भूमि को अपने रक्त से सींचकर दुश्मन को वापिस अपने देश जाने पर विवश कर दिया। इस युद्ध में मराठों ने अद्म्य साहस का ऐसा परिचय दिया कि इस युद्ध के पश्चात् किसी भी विदेशी आक्रांता का उत्तर की सीमा से आक्रमण करने का साहस नहीं हुआ।

Conclusion:मुख्यमंत्री ने कहा की आज उस युद्ध को 259 वर्ष पूर्ण हो गए हैं। उन योद्धाओं के वंशज होने के नाते आप प्रतिवर्ष इस दिन च्शौर्य दिन समारोह के रूप में कार्यक्रम का आयोजन करते हैं। इसके लिए मैं आपको साधुवाद देता हूं। उन्होंने कहा कि जो समाज अपने पूर्वजों द्वारा किये गए अच्छे कार्यों का स्मरण रखता है वह समाज निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर रहता है। वहीं जो समाज अपने इतिहास को भूल जाता है, वह समाज धीरे-धीरे अवनति को प्राप्त होते हुए लुप्तप्राय: हो जाता है। यह एक प्रसन्नता का विषय है डॉ. वसंतराव मोरे के प्रयासों से आपने खोई हुई पहचान को पुन: प्राप्त करने का प्रयास किया है। जिसके लिए आप बधाई के पात्र हैं। मुझे पूर्ण आशा है कि जिस मार्ग पर चलकर वीर मराठों ने राष्ट्र का गौरव बढ़ाया था, उनसे प्रेरणा लेकर आप भी राष्ट्र की सेवा के लिए व इसके हित के लिए बलिदान देने के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे।

सम्भोधन -- मनोहर लाल ,मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार
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