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संपत्ति क्षति वसूली कानून है जनता के मौलिक अधिकारों का हनन: भूपेंद्र हुड्डा - भूपेंद्र हुड्डा संपत्ति क्षति वसूली कानून कुरुक्षेत्र

संपत्ति क्षति वसूली कानून को लेकर भूपेंद्र हुड्डा ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि संपत्ति क्षति वसूली कानून से जनता के मौलिक अधिकारों का हनन है.

bhupendra Hoodas statement on property damage recovery law in Kurukshetra
भूपेंद्र हुड्डा संपत्ति क्षति वसूली कानून
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Published : Mar 20, 2021, 7:44 AM IST

कुरुक्षेत्रः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधानसभा में सरकार द्वारा पारित संपत्ति क्षति वसूली विधेयक 2021 को वापस लेने की मांग की है. उन्होंने कहा कि ये लोकतंत्र का गला घोटने वाला विधेयक है. इसका गलत इस्तेमाल करके सरकार जनता के मौलिक अधिकारों का हनन कर सकती है. इसके जरिए सरकार संविधान द्वारा नागरिकों को दी गई शांतिपूर्ण प्रदर्शन और अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार को छीनने की कोशिश कर रही है.

भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि इस कानून का मकसद सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर नागरिक को दोषी साबित करना है. क्योंकि विधेयक में अपनी जायज मांगों के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों से भी वसूली का प्रावधान है. ये कानून बनने के बाद नागरिकों के लिए सरकार के खिलाफ आवाज उठाना मुश्किल हो जाएगा.

संपत्ति क्षति वसूली कानून है जनता के मौलिक अधिकारों का हनन: भूपेंद्र हुड्डा

संपत्ति क्षति वसूली विधेयक से आम जन में डर का माहौल: भूपेंद्र हुड्डा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि कानून का उदेश्य और कारणों में सरकार ने आम जन में डर पैदा करने की बात लिखी हुई है. विधेयक में प्रदर्शनकारियों की जवबादेही और उनसे वसूली का तो प्रावधान है, लेकिन इसमें कहीं भी सरकार और पुलिस की जवाबदेही तय नहीं की गई. विधानसभा में कांग्रेस विधायकों ने इस विधेयक का जमकर विरोध किया.

ये भी पढ़ें: कोरोना को लेकर सीएम ने नए निर्देश जारी किए, बनाएं जाएंगे माइक्रो कंटेनमेंट जोन

विधेयक पर बहस के दौरान गृहमंत्री अनिल विज ने माना कि किसान आंदोलन के दौरान कोई हिंसा नहीं हुई. इसपर नेता प्रतिपक्ष ने सरकार से पूछा कि अगर खुद गृहमंत्री ऐसा मानते हैं तो सरकार निर्दोष किसानों पर मुकदमे क्यों दर्ज कर रही है. सरकार को तमाम मुकदमे वापस लेने चाहिए.

बजट में बीजेपी ने की आंकड़ों की बाजीगरी: हुड्डा

हुड्डा आज कुरुक्षेत्र में कई सामाजिक कार्यक्रमों में शिरकत करने पहुंचे थे. इस मौके पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बजट सत्र में प्रदेश के हर वर्ग को निराशा हाथ लगी. क्योंकि मौजूदा सरकार चार्वाक की ‘कर्जा लो, घी पियो’ की नीति पर काम कर रही है. इसकी वजह से प्रदेश की वित्तीय स्थिति ऐसी हो गई है कि बजट का करीब 95 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ कर्ज व ब्याज भुगतान और पेंशन, वेतन व भत्तों के भुगतान में खर्च हो जाता है. इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास के अन्य कार्यों के लिए सरकार के पास कोई बजट नहीं है. इसलिए वित्त मंत्री ने लोगों को कंफ्यूज करने के लिए बजट भाषण को लंबा रखा और सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी की.

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'राशन कार्ड से नाम काटना गरीबों के हक पर है कुठाराघात'

लॉकडाउन के बाद डीजल 28 प्रतिशत और राशन 43 प्रतिशत महंगा हो गया. लोगों को उम्मीद थी कि उन्हें इस बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिए बजट में कोई ऐलान किया जाएगा, लेकिन बजट में ना किसान व मजदूरों के लिए कोई योजना थी और ना ही कर्मचारी व व्यापारी के लिए कोई राहत का ऐलान. गरीबों के हकों पर एक और कुठाराघात करते हुए सरकार ने प्रदेश में हजारों राशन कार्ड काटने का काम किया है. इससे हजारों परिवारों को सरकार की तरफ से दिया जाने वाला सस्ता अनाज और दालें मिलने बंद हो जाएंगे.

भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि बेरोजगारी को रोकने में सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है. पिछले 2 साल से हरियाणा का युवा पूरे देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रहा हैं. मुख्यमंत्री ने भविष्य में जेबीटी की कोई भर्ती नहीं करना का ऐलान करके बेरोजगारों के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है.

ये भी पढ़ें: सिंघु बॉर्डर पर किसानों को वैक्सीन लगाना शुरू, किसानों ने जताई आपत्ति

'पद खाली होने के बावजूद सरकार नहीं कर रही टीचर्स की भर्ती'

हुड्डा ने बताया कि उनकी सरकार के दौरान 20 हजार से ज्यादा जेबीटी की भर्ती निकली थी, लेकिन बीजेपी सरकार के 6 साल में एक भी जेबीटी की भर्ती नहीं निकाली गई. क्योंकि ये सरकार लगातार स्कूलों को बंद और नौकरियों को खत्म कर रही है. सरकार ने एक ही झटके में 1057 स्कूलों को बंद करने का ऐलान कर दिया. इतना ही नहीं कांग्रेस सरकार के दौरान बनाए गए 9 किसान मॉडल स्कूलों को भी इस सरकार ने बंद कर दिया. प्रदेश में 40 हजार अध्यापकों की पोस्ट खाली पड़ी हैं. बावजूद इसके सरकार टीचर्स की भर्ती नहीं कर रही है.

कुरुक्षेत्रः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधानसभा में सरकार द्वारा पारित संपत्ति क्षति वसूली विधेयक 2021 को वापस लेने की मांग की है. उन्होंने कहा कि ये लोकतंत्र का गला घोटने वाला विधेयक है. इसका गलत इस्तेमाल करके सरकार जनता के मौलिक अधिकारों का हनन कर सकती है. इसके जरिए सरकार संविधान द्वारा नागरिकों को दी गई शांतिपूर्ण प्रदर्शन और अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार को छीनने की कोशिश कर रही है.

भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि इस कानून का मकसद सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर नागरिक को दोषी साबित करना है. क्योंकि विधेयक में अपनी जायज मांगों के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों से भी वसूली का प्रावधान है. ये कानून बनने के बाद नागरिकों के लिए सरकार के खिलाफ आवाज उठाना मुश्किल हो जाएगा.

संपत्ति क्षति वसूली कानून है जनता के मौलिक अधिकारों का हनन: भूपेंद्र हुड्डा

संपत्ति क्षति वसूली विधेयक से आम जन में डर का माहौल: भूपेंद्र हुड्डा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि कानून का उदेश्य और कारणों में सरकार ने आम जन में डर पैदा करने की बात लिखी हुई है. विधेयक में प्रदर्शनकारियों की जवबादेही और उनसे वसूली का तो प्रावधान है, लेकिन इसमें कहीं भी सरकार और पुलिस की जवाबदेही तय नहीं की गई. विधानसभा में कांग्रेस विधायकों ने इस विधेयक का जमकर विरोध किया.

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विधेयक पर बहस के दौरान गृहमंत्री अनिल विज ने माना कि किसान आंदोलन के दौरान कोई हिंसा नहीं हुई. इसपर नेता प्रतिपक्ष ने सरकार से पूछा कि अगर खुद गृहमंत्री ऐसा मानते हैं तो सरकार निर्दोष किसानों पर मुकदमे क्यों दर्ज कर रही है. सरकार को तमाम मुकदमे वापस लेने चाहिए.

बजट में बीजेपी ने की आंकड़ों की बाजीगरी: हुड्डा

हुड्डा आज कुरुक्षेत्र में कई सामाजिक कार्यक्रमों में शिरकत करने पहुंचे थे. इस मौके पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बजट सत्र में प्रदेश के हर वर्ग को निराशा हाथ लगी. क्योंकि मौजूदा सरकार चार्वाक की ‘कर्जा लो, घी पियो’ की नीति पर काम कर रही है. इसकी वजह से प्रदेश की वित्तीय स्थिति ऐसी हो गई है कि बजट का करीब 95 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ कर्ज व ब्याज भुगतान और पेंशन, वेतन व भत्तों के भुगतान में खर्च हो जाता है. इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास के अन्य कार्यों के लिए सरकार के पास कोई बजट नहीं है. इसलिए वित्त मंत्री ने लोगों को कंफ्यूज करने के लिए बजट भाषण को लंबा रखा और सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी की.

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'राशन कार्ड से नाम काटना गरीबों के हक पर है कुठाराघात'

लॉकडाउन के बाद डीजल 28 प्रतिशत और राशन 43 प्रतिशत महंगा हो गया. लोगों को उम्मीद थी कि उन्हें इस बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिए बजट में कोई ऐलान किया जाएगा, लेकिन बजट में ना किसान व मजदूरों के लिए कोई योजना थी और ना ही कर्मचारी व व्यापारी के लिए कोई राहत का ऐलान. गरीबों के हकों पर एक और कुठाराघात करते हुए सरकार ने प्रदेश में हजारों राशन कार्ड काटने का काम किया है. इससे हजारों परिवारों को सरकार की तरफ से दिया जाने वाला सस्ता अनाज और दालें मिलने बंद हो जाएंगे.

भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि बेरोजगारी को रोकने में सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है. पिछले 2 साल से हरियाणा का युवा पूरे देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रहा हैं. मुख्यमंत्री ने भविष्य में जेबीटी की कोई भर्ती नहीं करना का ऐलान करके बेरोजगारों के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है.

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'पद खाली होने के बावजूद सरकार नहीं कर रही टीचर्स की भर्ती'

हुड्डा ने बताया कि उनकी सरकार के दौरान 20 हजार से ज्यादा जेबीटी की भर्ती निकली थी, लेकिन बीजेपी सरकार के 6 साल में एक भी जेबीटी की भर्ती नहीं निकाली गई. क्योंकि ये सरकार लगातार स्कूलों को बंद और नौकरियों को खत्म कर रही है. सरकार ने एक ही झटके में 1057 स्कूलों को बंद करने का ऐलान कर दिया. इतना ही नहीं कांग्रेस सरकार के दौरान बनाए गए 9 किसान मॉडल स्कूलों को भी इस सरकार ने बंद कर दिया. प्रदेश में 40 हजार अध्यापकों की पोस्ट खाली पड़ी हैं. बावजूद इसके सरकार टीचर्स की भर्ती नहीं कर रही है.

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