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Divyang hunger strike in Karnal: लघु सचिवालय के बाहर अनशन पर बैठे दिव्यांगों की तबीयत बिगड़ी

करनाल लघु सचिवालय पर एक अप्रैल से दिव्यांग मोर्चा (Haryana Disabled dharna in karnal) के लोग धरने पर बैठे हैं. 5 जुलाई को इनमें से 5 सदस्यों ने अनशन शुरू कर दिया. शनिवार को चार दिन बाद तीन सदस्यों की हालत बिगड़ गई.

Divyang hunger strike in Karnal
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Published : Jul 9, 2022, 8:37 PM IST

करनाल: लघु सचिवालय करनाल (Mini Secretariat Karnal) के बाहर बैठे दिव्यांग आमरण अनशनकारियों की तबीयत शनिवार को बिगड़ने लगी. 3 दिव्यांगों को करनाल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है. 5 जुलाई को पांच दिव्यांग आमरण अनशन पर बैठे थे. करनाल लघु सचिवालय के बाहर आमरण अनशन पर बैठे तीन दिव्यांगों की देर रात तबीयत बिगड़ गई. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर एंबुलेंस मंगवाई और दिव्यांगों को ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया.

जिन दिव्यांगों की तबीयत खराब हुई उनमें विनोद राणा, बंता राम और चरण सिंह संधू शामिल हैं. एक अप्रैल से दिव्यांग अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं. उन्होंने अपनी मुख्य मांगो को लेकर सरकार को चेतावनी देते हुए आमरण अनशन का ऐलान कर दिया. इसी के तहत 5 जुलाई से पांच सदस्य आमरण अनशन पर बैठ गये. चार दिन से कुछ नहीं खाने के चलते इन्हीं में से तीन की तबीयत रात को बिगड़ने घटना स्थल पर हड़कंप मच गया.

विकलांग कल्याण अधिकार समिति के संस्थापक कल्याण सिंह ने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाये हम इस आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे. तबीयत बिगड़ने के बाद भी तीनों अनशनकारी अस्पताल जाने को बिल्कुल तैयार नहीं थे. देर रात को डीएसपी मुख्यालय मुकेश कुमार धरना स्थल पर पहुंचे. उन्होंने दो एंबुलेंस और अनशनकारियों को अस्पताल भेजा.

प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण कुमार ने बताया कि प्रदेश में 20 लाख से ज्यादा दिव्यांगजनों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार कई बार आश्वासन दे चुकी है. लेकिन ये आश्वासन कभी पूरा नहीं होता. हरियाणा विकलांग संयुक्त मोर्चा (Haryana Disabled United Front) और विकलांग कल्याण अधिकार समिति के बैनर तले मांगों को लेकर दिव्यांग समाज धरना दे रहा है. तीन महीने बीतने के बाद भी किसी अधिकारी या नेता ने उनकी परेशानी को नहीं समझा है. उन्होंने बताया कि चंड़ीगढ़ में भी 2016 और 2018 में मांगों को लेकर ये लोग प्रदर्शन भी कर चुके हैं.

दिव्यांग मोर्चे का कहना है कि प्रदेश सरकार भी उनकी मांगों को जायज मान चुकी है. मांगों में मुख्य रूप से बीपीएल राशन कार्ड बनाने, 100-100 गज के प्लॉट, डीसी रेट के तहत नौकरी, दिव्यांग पेंशन प्रमुख रूप से शामिल हैं. विकलांग अधिकार अधिनियम-2016 को नियम बनाकर पूर्ण रूप से लागू करवाने की मांग भी ये लोग कर रहे हैं.

करनाल: लघु सचिवालय करनाल (Mini Secretariat Karnal) के बाहर बैठे दिव्यांग आमरण अनशनकारियों की तबीयत शनिवार को बिगड़ने लगी. 3 दिव्यांगों को करनाल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है. 5 जुलाई को पांच दिव्यांग आमरण अनशन पर बैठे थे. करनाल लघु सचिवालय के बाहर आमरण अनशन पर बैठे तीन दिव्यांगों की देर रात तबीयत बिगड़ गई. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर एंबुलेंस मंगवाई और दिव्यांगों को ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया.

जिन दिव्यांगों की तबीयत खराब हुई उनमें विनोद राणा, बंता राम और चरण सिंह संधू शामिल हैं. एक अप्रैल से दिव्यांग अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं. उन्होंने अपनी मुख्य मांगो को लेकर सरकार को चेतावनी देते हुए आमरण अनशन का ऐलान कर दिया. इसी के तहत 5 जुलाई से पांच सदस्य आमरण अनशन पर बैठ गये. चार दिन से कुछ नहीं खाने के चलते इन्हीं में से तीन की तबीयत रात को बिगड़ने घटना स्थल पर हड़कंप मच गया.

विकलांग कल्याण अधिकार समिति के संस्थापक कल्याण सिंह ने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाये हम इस आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे. तबीयत बिगड़ने के बाद भी तीनों अनशनकारी अस्पताल जाने को बिल्कुल तैयार नहीं थे. देर रात को डीएसपी मुख्यालय मुकेश कुमार धरना स्थल पर पहुंचे. उन्होंने दो एंबुलेंस और अनशनकारियों को अस्पताल भेजा.

प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण कुमार ने बताया कि प्रदेश में 20 लाख से ज्यादा दिव्यांगजनों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार कई बार आश्वासन दे चुकी है. लेकिन ये आश्वासन कभी पूरा नहीं होता. हरियाणा विकलांग संयुक्त मोर्चा (Haryana Disabled United Front) और विकलांग कल्याण अधिकार समिति के बैनर तले मांगों को लेकर दिव्यांग समाज धरना दे रहा है. तीन महीने बीतने के बाद भी किसी अधिकारी या नेता ने उनकी परेशानी को नहीं समझा है. उन्होंने बताया कि चंड़ीगढ़ में भी 2016 और 2018 में मांगों को लेकर ये लोग प्रदर्शन भी कर चुके हैं.

दिव्यांग मोर्चे का कहना है कि प्रदेश सरकार भी उनकी मांगों को जायज मान चुकी है. मांगों में मुख्य रूप से बीपीएल राशन कार्ड बनाने, 100-100 गज के प्लॉट, डीसी रेट के तहत नौकरी, दिव्यांग पेंशन प्रमुख रूप से शामिल हैं. विकलांग अधिकार अधिनियम-2016 को नियम बनाकर पूर्ण रूप से लागू करवाने की मांग भी ये लोग कर रहे हैं.

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